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शनिवार, 18 मई 2013

पाकिस्तान- सत्ता में परिवर्तन हुआ...सोच में नहीं..!


पाकिस्तान में नवाज शरीफ के तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने को लेकर ये चर्चा फिर से जोर पकड़ने लगी है कि क्या भारत-पाकिस्तान के संबंधों पर इसका सकारात्मक असर पड़ेगा..? अगर हां तो क्या भारत – पाकिस्तान के आपसी संबंधों में मधुरता आएगी..? और सबसे बड़ा सवाल यह कि क्या पाकिस्तान में दिनों दिन मजबूत हो रहा तालिबान क्या ऐसा होने देगा..?
सवाल तमाम है जिसका जवाब ढूंढने पर अलग अलग वर्गों की राय भी भिन्न – भिन्न है। भारत में ही एक वर्ग को नवाज शरीफ के प्रधानमंत्री बनने पर इसे भारत – पाकिस्तान के रिश्तों में मिठास घुलती नजर आ रही है तो ऐसा वर्ग भी है जो ये मानता है कि पाकिस्तान में प्रधानमंत्री की कुर्सी पर कोई भी विराजमान हो जाए लेकिन पाकिस्तान की नीयत में कोई बदलाव नहीं होने वाला..!
आज नवाज शरीफ भले ही पाकिस्तान के पीएम बनने की ओऱ बढ़ रहे हैं लेकिन 1999 में जब भारत पाकिस्तान के बीच कारगिल की जंग हुई थी तो उस वक्त भी नवाज शरीफ ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री थे। कारगिल युद्ध पर नवाज शरीफ का कहना था कि उन्हें जानकारी ही नहीं है कि पाक सेना ने भारत के साथ युद्ध छेड़ दिया है। लेकिन क्या ऐसा हो सकता है कि किसी देश की सेना पड़ोसी देश के साथ जंग का ऐलान कर चुकी है और उस देश के प्रधानमंत्री को इसकी ख़बर तक नही हो..? जाहिर है नवाज शरीफ का ये सफेद झूठ था कि उन्हें युद्ध की भनक तक नहीं थी..!
ऐसे में तीसरी बार पाकीस्तान के पीएम की कुर्सी पर विराजमान होते दिखाई दे रहे नवाज शरीफ से भारत के साथ संबंध सुधारने की नयी पहल करने की उम्मीद करना बेमानी ही होगी..! पाकिस्तान में सत्ता परिवर्तन जरुर हुआ है लेकिन इसका मतलब ये तो नहीं कि भारत के प्रति पाकिस्तान की सोच में भी परिवर्तन हुआ है..!
ऐसे में एक नयी निर्वाचित सरकार के मुखिया से जो पहले भी भारत की पीठ में छुरा घोंपने में माहिर रहा है उससे इस दिशा में कोई सकारात्मक उम्मीद करना कहीं से भी तर्कसंगत नहीं लगता..! पाकिस्तान एक ऐसा पड़ोसी है जो अपने दुख से नहीं पडोसी के सुख से ज्यादा दुखी है। उसे अपने देश की दम तोड़ती अर्थव्यवस्था, बेरोजगारी, भूखमरी और मजबूत होते तालिबान की चिंता नहीं है बल्कि उसे भारत के सुख और शांति से ज्यादा दिक्कत है..! वो सिर्फ इसी उलझन में डूबा रहता है कि कैसे भारत परेशान हो न कि ये कि कैसे उनकी आवाम की समस्याओं का निदान हो..! इसका ताजा उदाहरण भारत में संसद पर हमले के आरोपी अफजल की फांसी है..! आपको याद ही होगा कि अफजल की फांसी पर पाकिस्तानी संसद ने निंदा प्रस्ताव पेश किया था।
कवाहत है कि दूध का जला छांछ भी फूंक फूंक कर पीता है लेकिन भारत के प्रधानमंत्री तो एक नहीं कई बार दूध से जलने के बाद भी एक बार फिर से गर्म दूध बिना फूंक मारे पीने के लिए उतावले दिखाई दे रहे हैं..! मनमोहन सिंह पहले ही मानकर बैठे हुए हैं कि नवाज शरीफ की अगुवाई वाला पाकिस्तान अब भारत के खिलाफ न तो जहर उगलेगा और न ही भारत की पीठ पर फिर से छुरा घोंपेगा..! मनमोहन सिंह साहब का उतावलापन देखिए पाकिस्तान के आम चुनाव की मतगणना समाप्त होने  पहले ही नवाज शरीफ को बधाई देते हुए भारत आने का न्यौता दे दिया..! मनमोहन सिंह का ये न्यौता हर कदम पर भारत को धोखा देने वाले पाकिस्तान के प्रति भारत का उदार रवैया तो दर्शाता है लेकिन इस बात को कैसे भुलाया जा सकता है कि हर कदम पर भारत की इस उदारता का फायदा पाकिस्तान ने उठाया है और भारत को सिर्फ दर्द ही दिया है।
एक पल के लिए ये मान भी लिया जाए कि नवाज शरीफ की नीयत में कोई खोट नहीं है और वे भारत के साथ बेहतर संबंध कायम करना चाहते हैं लेकिन क्या पाकिस्तान के कट्टरपंथी गुट नवाज शरीफ की इस कोशिश को सफल होने देंगे...जाहिर है बिल्कुल नहीं..! नवाज शरीफ को पहले अपने देश में कट्टरपंथियों पर लगाम कसनी होगी जो पाकिस्तान के हालात को देखते हुए आसान तो बिल्कुल भी नहीं लगता..!
जब तक पाकिस्तान की सोच में बदलाव नहीं आएगा और पाक की नीयत पाक नहीं होगी तब तक नवाज शरीफ क्या कोई भी शख्स पाकिस्तान का प्रधानमंत्री क्यों न बन जाए...भारत को अपने इस पडोसी से सतर्क रहना होगा वर्ना हर बार की तरह पाक भारत का दोस्ती का हाथ तो तुरंत थाम लेगा लेकिन अपनी आदत से बाज नहीं आएगा और मौका मिलते ही भारत की पीठ में छुरा घोंपने में देर नहीं करेगा..!

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पाताल भुवनेश्वर- ऐसे होगा कलयुग का अंत..?


धरती पर एक जगह ऐसी भी है जहां एक ही स्थान पर पूरी सृष्टि के दर्शन होते हैं। सृष्टि की रचना से लेकर कलयुग का अंत कब और कैसे होगा इसका पूरा वर्णन यहां पर है। ये एकमात्र ऐसा स्थान है जहां पर चारों धामों के दर्शन एकसाथ होते हैं। शिवजी की जटाओं से अविरल बहती गंगा की धारा यहां नजर आती है तो अमृतकुंड के दर्शन भी यहां पर होते हैं। ऐरावत हाथी भी आपको यहां दिखाई देगा तो स्वर्ग का मार्ग भी यहां से शुरु होता है..!
सुना या पढ़ा तो आपने भी जरूर होगा कि इस पृथ्वी को शेषनाग ने अपने फन पर उठा रखा है लेकिन वो शेषनाग है कहां..? इसके जवाब में इसका उत्तर समुद्र सुनने को मिलता है। लेकिन यहां आपको शेषनाग के दर्शन भी होते हैं और यहां पर शेषनाग अपने फन पर पृथ्वी को धारण किए दिखाई देता है..!
ये सब सुनने में किसी कहानी की तरह लगे लेकिन धर्म में अगर आपकी जरा सी भी आस्था है तो इस स्थान पर पहुंचने के बाद आप इन चीजों पर यकीन करने से खुद को चाहकर भी नहीं रोक सकते। इस स्थान पर ऊपर वर्णित आकृतियां भले ही निर्जीव हो लेकिन वास्तव में ये इतनी सजीव लगती हैं कि आप इन्हें चाहकर भी नजरअंदाज नहीं कर सकते..!
दरअसल मैं बात कर रहा हूं भारत के उत्तरी राज्य उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित पाताल भुवनेश्वर की। मार्च 2013 के पहले सप्ताह में मुझे भी पाताल भुवनेश्वर जाने का मौका मिला। हल्दवानी से अल्मोड़ा, धौलछीना और सेराघाट होते हुए हम राई आगर पहुंचे। राई आगर से एक रास्ता बेरीनाग को जाता है जबकि दूसरा गंगोलीहाट को। गंगोलीहाट पहुंचने से करीब 6 किमी पहले एक रास्ता पाताल भुवनेश्वर को जाता है। पाताल भुवनेश्वर वाले मार्ग में सुनहरी चमक बिखेरती हिमालय की ऊंची चोटियों के मनमोहक दर्शन होते हैं।
पाताल भुवनेश्वर दरअसल एक प्राचीन और रहस्यमयी गुफा है जो अपने आप में एक रहस्यमयी दुनिया को समेटे हुए है। गुफा के अंदर कैमरा और मोबाई ले जाने की अनुमति नहीं है लिहाजा अपने सामान के साथ ही कैमरा और मोबाईल फोन जमा करने के बाद गाइड के साथ हम गाइड के साथ गुफा में प्रवेश के लिए तैयार थे। ये गुफा विशालकाय पहाड़ी के करीब 90 फिट अंदर है। 90 फिट नीचे गुफा में उतरने के लिए चट्टानों के बीच संकरे टेढ़ी मेढ़े रास्ते से ढलान पर उतरना पड़ता है। देखने पर गुफा में उतरना नामुमकिन सा लगता है लेकिन गुफा में उतरने पर शरीर खुद ब खुद गुफा के संकरे रास्ते में अपने लिए जगह बना लेता है। करीब 90 फिट नीचे उतरने के बाद हम समतल स्थान पर खड़े थे।
गुफा में पहुंचने पर एक एक अलग ही अनुभूति हुई जैसे हम किसी काल्पनिक लोक में पहुंच गए हों। गाइड गुफा में बनी रहस्यमयी आकृतियों के सच पर से पर्दा हटाने लगा। गुफा में उतरते ही सबसे पहले गुफा के बायीं तरफ शेषनाग की एक विशाल आकृति दिखाई देती जिसके ऊपर विशालकाय अर्द्धगोलाकार चट्टान है जिसके बारे में कहा जाता है कि शेषनाग ने इसी स्थान पर पृथ्वी को अपने फन पर धारण किया है। गुफा में आगे बढ़ते हुए हम जिस स्थान पर चल रहे थे वो गाइड के अनुसार शेषनाग का शरीर है जिसकी आकृति सर्प की तरह थी।
कुछ आगे बढ़ने पर आदि गणेश के दर्शन होते हैं जिस पर ब्रह्म कमल से अमृत की बूंदे गिरती दिखाई देती हैं। यहीं पर केदारनाथ, बद्रीनाथ और अमरनाथ धाम के दर्शन होते हैं तो कालभैरव भी यहीं पर विराजमान हैं।
कुछ आगे बढ़ने पर पाताल चंडिका के दर्शन होते हैं और चारों द्वार- पाप द्वार, रण द्वार, धर्म द्वार और मोक्ष द्वार भी यहां पर दिखाई देते हैं। कहते हैं कि त्रेता युग में रावण के अंत के साथ ही पाप द्वार बंद हो गया था जबकि महाभारत के युद्ध के बाद रण द्वार भी बंद हो गया था। धर्म और मोक्ष द्वारा का रास्ता यहां से जाता हुआ दिखाई देता है। 
आगे बढ़ने पर समुद्र मंथन से निकला पारिजात का पेड़ नज़र आता है तो ब्रह्मा जी का पांचवे मस्तक के दर्शन भी यहां पर होते हैं।
गुफा के ऊपर से नीचे की ओर आती शिवजी की विशाल जटाओं के साथ ही 33 करोड़ देवी देवताओं के दर्शन भी इस स्थान पर होते हैं। शिव की जटाओं से बहती गंगा का अदभुत दृश्य मन को मोह लेता है।  
गुफा के दाहिनी ओर इसके ठीक सामने ब्रह्मकपाल और सप्तजलकुंड के दर्शन होते हैं जिसकी बगल में टेढ़ी गर्दन वाले एक हंस की आकृति दिखाई देती है।
मानस खंड में वर्णन है कि हंस को कुंड में मौजूद अमृत की रक्षा करने का कार्य दिया गया था लेकिन लालच में आकर हंस ने खुद ही अमृत को पीने की चेष्टा की जिससे शिव जी के श्राप के चलते हंस की गर्द हमेशा के लिए टेढ़ी हो गयी।
गुफा में चार कदम आगे बढ़ने पर पाताल भुवनेश्वर- ब्रह्मा, विष्णु और महेश के एक साथ दर्शन होते है।
गुफा में दाहिनी ओर कुछ ऊपर चढ़ने पर पांड़वों के दर्शन होते हैं। इसके पास से ही रामेश्वरम की गुफा का मार्ग और सबरीवन द्वारिका का रास्ता दिखाई देता है।
साथ ही कुछ दूर पर काशी और कैलाश का मार्ग भी गुफा में नजर आता है।  
दाहिनी ओर बढ़ते हुए जब हम गुफा में आगे बढ़ते हैं तो एक स्थान पर चारों युग- कलयुग, सतयुग, द्वापर और त्रेता युग के लिंग के दर्शन होते हैं और इनके ऊपर समय चक्र दिखाई पड़ता है। इस चारों युगों के लिंग में कलयुग का लिंग सबसे बड़ा है। कहते हैं कि जिस दिन कलयुग का लिंग उसके ठीक ऊपर स्थापित समय चक्र को स्पर्श कर लेगा उस दिन प्रलय आ जाएगी और कलयुग का अंत हो जाएगा। कहा ये भी जाता है कि कलयुग का लिंग हजारों साल में तिल की आकृति के बराबर बढ़ता है।
वापस जाने पर जब हम गुफा के प्रारंभ में पहुंचते हैं तो गुफा के बांयी तरफ गुफा की छत से नीचे को लटकते ऐरावत हाथी के एक हजार पांवों के दर्शन होते हैं। इसके साथ ही यहां पर मनोकामना कमंडल भी स्थापित है और मान्यता है कि मनोकामना कमंडल को छू कर सच्चे मन से मांगी हर मनोकामना जरुर पूर्ण होती है।
कुल मिलाकर 160 मीटर लंबी पाताल भुवनेश्वर गुफा एक ऐसा स्थान है जहां पर एक ही स्थान पर न सिर्फ 33 करोड़ देवताओं का वास है बल्कि इस गुफा के दर्शन से चारों धाम- जगन्नाथ पुरी, रामेश्वरम, द्वारिकी पुरी और बद्रीनाथ धाम के दर्शन पूर्ण हो जाते हैं।
पाताल भुवनेश्वर गुफा का विस्तृत वर्णन स्कन्द पुराण के मानस खंड के 103 अध्याय में मिलता है। पाताल भुवनेश्वर अपने आप में एक दैवीय संसार को समेटे हुए है। धर्म में अगर आपकी जरा सी भी आस्था है तो आप भी जीवन में एक बार पाताल भुवनेश्वर गुफा के दर्शन अवश्य कीजिएगा। यकीन मानिए, आप महसूस करेंगे कि अगर इस गुफा के अंदर विराजमान दैवीय संसार को आप ने इसके दर्शन कर नहीं जाना होता तो जीवन में कुछ अधूरा छूट जाता..!  

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शुक्रवार, 17 मई 2013

ब्रेकिंग न्यूज- संजू बाबा ने नाश्ते में पोहा खाया


सुबह - सुबह टीवी खोला तो सभी प्रमुख समाचार चैनलों में आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग के साथ ही ये ख़बर भी प्रमुखता से थी कि आर्म्स एक्ट में दोषी करार संजय दत्त की पहली रात आर्थर रोड जेल में कैसी गुजरी..? मसलन पहली रात किस बैरक में गुजरी..? संजय दत्त को नींद आई कि नहीं..? नाश्ते में संजय दत्त ने क्या खाया..? वगैराह वगैराह..!
समाचार चैनलों के अनुसार संजय दत्त ने पहली रात बैरक नंबर 12 में अकेले काटी। साथ में ये भी बताया जा रहा था कि संजय दत्त रातभर सो नहीं सके। सुबह उठकर संजय दत्त ने नाश्ते में पोहा खाया ये ख़बर भी सभी समाचार चैनलों की सुर्खियों में थी।
शुक्र है कि समाचार चैनल संजय दत्त के नाश्ते तक ही सीमित थे और साथ में ये नहीं बता रहे थे कि संजय दत्त ने एक दिन पहले क्या खाया था..?
टीवी देखते हुए अजीब सी उलझन के साथ ही कई सवाल जेहन में उठ रहे थे कि गैरकानूनी कार्यों में लिप्त रहने पर देश की सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दोषी ठहराए गए एक अपराधी के पीछे आखिर क्यों सब इतने दीवाने हो रहे हैं..?
इस सब को देखकर ऐसा लगने लगा है कि मानो संजय दत्त निर्दोष है और संजय दत्त को बिना किसी अपराध के जेल में डाल दिया गया है..! ऐसे लाखों मुल्जिम भारतीय जेलों में बंद हैं जिनके मामले विभिन्न अदालतों पर सालों से लंबित हैं..! वे मुजरिम नहीं ठहराए जाने के बाद भी किसी अपराधी की तरह सजा काट रहे हैं लेकिन ऐसे मुल्जिमों के लिए तो कोई आवाज़ नहीं उठाता..! संजय दत्त के मामले में ऐसा हो रहा है सिर्फ इसलिए कि वे एक मशहूर फिल्म अभिनेता हैं..!
मैं व्यक्तिगत तौर पर संजय तक का प्रशंसक हूं और दत्त के अभिनय का कायल हूं...संजय दत्त की शायद ही कोई फिल्म होगी जो मैंने न देखी हो लेकिन इसके बाद भी मैं संजय दत्त ने जो अपराध किया है...जिसके लिए वे दोषी भी ठहराए जा चुके हैं उस अपराध के लिए संजय दत्त को मिली सजा को माफ करने की मांग करने वालों की सूची में शामिल नहीं हूं और न ही संजय दत्त के इस आपराधिक कृत्य को लेकर मेरे मन में संजू बाबा के लिए जरा सी भी सहानुभूति है।
समझ नहीं आ रहा है कि आखिर क्यों संजय दत्त को मीडिया में इस तरह का ट्रीटमेंट दिया जा रहा है कि जिससे लोगों के मन में ये भाव उठने लगे कि संजय दत्त निर्दोष हैं..? संजय दत्त की सजा माफ कर देनी चाहिए..? एक अपराधी को आखिर इतनी अहमियत क्यों दी जा रही है..?
सिर्फ मीडिया ही नहीं विभिन्न क्षेत्रों के बड़े बड़े दिग्गज भी संजय दत्त की पैरवी को तैयार बैठे हैं क्यों..? क्योंकि संजय दत्त एक जानी मानी फिल्मी हस्ती है इसलिए..?
मैं खुद पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूं लेकिन फिर भी मुझे ये कहने में कोई संकोच नहीं है कि संजय दत्त से जुड़ी ख़बरों को लेकर मीडिया में जो सक्रियता दिखाई दे रही है वह पत्रकारिता के लिहाज से ठीक तो नहीं कही जा सकती..!
पत्रकारिता से जुड़े मेरे कुछ संगी साथियों को शायद ये बात पसंद न आए..! लेकिन क्या ये वास्तव में दर्शकों को ब्रेकिंग न्यूज के रुप में दिखाया या बताया जाना चाहिए कि जेल में रात को संजय दत्त को नींद आई कि नहीं..!  संजय दत्त ने सुबह नाश्ते में क्या खाया..?
ठीक है न...एक अपराधी को उसके किए अपराध के लिए सजा मिल गयी...वो जेल चला गया...! क्यों एक अपराधी का इतना महिमा मंडन हो रहा है कि दर्शकों को ये लगने लगे कि यार संजय दत्त तो निर्दोष है...दत्त की सजा माफ कर दी जानी चाहिए..!
121 करोड़ की आबादी वाले भारत में जन समस्यों का बड़ा अंबार है...जनता से जुड़े ऐसे लाखों मुद्दे हैं जिन्हें एक सशक्त आवाज और माध्यम की जरुरत है..! जेल में बंद संजय दत्त के नाश्ते में पोहे की ख़बरों की बजाए मीडिया के कैमरे उस तरफ की तस्वीर जनता के साथ ही सरकार को दिखाए और सरकार से जवाब मांगे तो शायद जनता की आधी से ज्यादा समस्याओं का हल चुटकी में निकल आए..!
जहां तक बात किसी भी अपराधी कि है तो उसे उसके कर्मों की सजा मिलनी ही चाहिए फिर चाहे वो अपराधी कसाब हो, या फिर संजय दत्त..!

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गुरुवार, 16 मई 2013

यहां सब कुछ फिक्स है..!


जिस खेल ने करोड़ों क्रिकेट प्रेमियों के प्यार के साथ ही दौलत और शोहरत दी उस खेल की आत्मा का ही सौदा कर दिया..! पैसों के लिए उन करोड़ों क्रिकेट प्रेमियों की भावना से तक खिलवाड़ करने में गुरेज नहीं किया जो क्रिकेट मैच की हर एक गेंद पर रोमांचित हो उठते हैं..! हर गेंद पर उनके दिल की धड़कनों को चरम पर पहुंचा देती है लेकिन उन्हें ये नहीं पता कि हर एक गेंद का सौदा तो पहले ही किया जा चुका है..!
कौन से गेंद वाईड होगी..? कौन सी गेंद नो बॉल...किस गेंद पर छक्का पड़ेगा..? ये सब तो पहले से ही फिक्स है..! यहां गेंदबाज सामने खड़े बल्लेबाज का विकेट लेकर अपनी टीम को मैच में जीत दिलाकर क्रिकेट प्रेमियों का दिल नहीं जीतना चाहता बल्कि उसे तो हर एक खराब गेंद फेंकने के लिए चाहिए लाखों रुपए। वैसे भी जब एक ओवर की सभी 6 खराब गेंद फेंकने के लिए 60 लाख रुपए मिल रहे हों तो क्यों न ऐसा किया जाए..?
हिंदुस्तान में क्रिकेट ही एक ऐसा खेल है जिसे लोग धर्म से बड़ा मानते हैं। करोड़ों क्रिकेट प्रेमियों के लिए ये मायने नहीं रखता कि सामने वाला खिलाड़ी किस धर्म, जाति या राज्य से है..! करोड़ों क्रिकेट प्रेमी उस खिलाड़ी की हौसला अफजाई करते हैं...साथ ही करते हैं भारत की जीत की दुआ। लेकिन भोले भाले क्रिकेट प्रेमी ये नहीं जानते कि जिन खिलाड़ियों पर वे जान लुटा रहे हैं उनका इमान पैसों के लिए इतना डोल चुका है कि वे खेल की आत्मा तक का सौदा करने में तक नहीं हिचकते..!
आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स के तीन खिलाड़ियों एस श्रीशांत, अंकित चौहान और अजीत चंदीलीया की स्पॉट फिक्सिंग में गिरफ्तारी के बाद एक बार फिर से करोड़ों क्रिकेट प्रेमियों के भरोसे को तोड़ के रख दिया है।  
हालांकि ये पहली बार नहीं हुआ है जब फिक्सिंग की कालिख ने इस खेल का मुंह काला किया है..! इससे पहले भी पैसों के लिए खेल की आत्मा का सौदे की ख़बरें क्रिकेट प्रेमियों के भरोसे को तोड़ती रही हैं लेकिन सब भुला कर दर्शकों ने हर बार इस खेल को और खिलाड़ियों को सम्मान और प्यार दिया है..! आईपीएल के हर मैच में खचाखच भरे स्टेडियम ये बताने के लिए काफी हैं कि इस खेल का रोमांच किस कदर क्रिकेट प्रेमियों के सिर चढ़कर बोलता है..!
2000 में क्रिकेट के इस काले खेल का खुलासा उस वक्त हुआ था जब दिल्ली पुलिस ने दक्षिण अफ्रीका के कप्तान हैंसी क्रोनिए और एक बुकी के बीच बातचीत को ट्रेस किया था जिसमें क्रोनिए की मैच हारने के लिए बुकी से पैसे लेने की बात सामने आयी थी। क्रोनिए से शुरु हुई जांच में निकी बोए और हर्शल गिब्स के साथ ही पाकिस्तान के सलीम मलिक, भारत के मोहम्मद अजहरुद्दीन और अजय जडेजा का नाम सामने आया था।
उस वक्त इन खिलाड़ियों पर आईसीसी की कार्रवाई के बाद लगने लगा था कि भविष्य में शायद खिलाड़ी फिक्सिंग की काली परछाई से खुद को दूर रखेंगे लेकिन पैसों का लालच फिर से खेल भावना पर भारी पड़ता दिखा 2010 में जब इंग्लैंड दौरे में गयी पाकिस्तान टीम के तीन खिलाड़ी मोहम्मद आसिफ, सलमान बट्ट और मोहम्मद आमिर फिक्सिंग के दोषी पाए गए।
इन तीनों को भी सजा मिल गयी...क्रिकेट प्रेमी भी शायद इसे भुला बैठे थे लेकिन आईपीएल के रोमांच के बीच अचानक फिर से प्रकट हुई फिक्सिंग की काली परछाई ने एक बार फिर से भरोसे की डोर को तोड़ के रख दिया...जिसे फिर से जोड़ना राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट संस्थाओं के लिए आसान नहीं होगा..!


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बुधवार, 15 मई 2013

शिलापट पर अब सिब्बल का भी नाम..!


बस केन्द्रीय मंत्री कपिल सिब्बल का नाम ही बाकी रह गया था वर्ना प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से लेकर उनके मंत्रिमंडल के अधिकतर सदस्यों के नाम तो भ्रष्टाचार और घोटालों के शिलापट पर स्वर्ण अक्षरों में अंकित हो ही चुके हैं..! वोडाफोन के बहाने रही सही कसर को केन्द्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने पूरा कर दिया..!
आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल के कपिल सिब्बल पर लगाए गए आरोप तो कम से कम यही कहानी बयां कर रहे हैं..! केजरीवाल ने कपिल सिब्बल के कानून मंत्रालय संभालते ही वोडाफोन के 11 हजार करोड़ रुपए के कर विवाद को अदालत से बाहर सुलझाने के फैसले पर सवाल खड़े करते हुए कहा है कि सिब्बल के इस फैसले से भ्रष्टाचार की बू आ रही है औऱ इसके लिए सिब्बल और कंपनी के बीच मोटी डील हुई है..!
केजरीवाल के आरोपों में कितना दम है ये तो वक्त ही बताएगा लेकिन कानून मंत्रालय का पदभार संभालने के तुरंत बाद वोडाफोन के 11 हजार करोड़ के कर विवाद को अदालत के बाहर सुलझाने का केन्द्रीय मंत्री कपिल सिब्बल का जल्दबाजी भरा फैसला कई सवालों को तो जन्म देता ही है..!
अभी ज्यादा दिन नहीं हुए जब कपिल सिब्बल मोदी के खिलाफ बड़ा खुलासा करने का दम भर रहे थे लेकिन खुलासे से पहले सिब्बल खुद ही खुल गए..! सिब्बल लगते तो समझदार हैं..! लेकिन वोडाफोन के मसले पर फैसला लेने में सिब्बल ने कुछ ज्यादा ही समझदारी दिखा दी..!
अरे सिब्बल साहब कुछ दिन ठहर जाते...फिर ले लेते वोडाफोन के मसले को अदालत से बाहर सुलझाने का फैसला...ऐसी भी क्या जल्दी थी..? कौन सा कोयला मंत्रालय आपको सिर्फ 24 घंटे के लिए ही मिला था..? वैसे भी तो यूपीए सरकार के आपके अधिकतर साथी भ्रष्टाचार और घोटालों के शिलापट पर अपना नाम खुदवा ही चुके हैं..! आप भी शिलापट पर नाम खुदवाने के फेर में आ गए...आप से तो ये उम्मीद नहीं थी..! लेकिन इसमें दोष आपका भी नहीं है...वैसे भी नेताओं को कुर्सी पर बैठने के साथ ही ज्यादा से ज्यादा शिलापटों पर अपने नाम खुदवाने का शौक तो पुराना है..! ये शिलापट तो वैसे भी आपसे पहले कई दिग्गजों के नामों से सुशोभित है..! ऐसे मे अपना नाम लिखवाने के लिए आपका उतावलापन समझ में तो आता है..!

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मंगलवार, 14 मई 2013

सीबीआई “तोता”, आईबी “मुर्गा” और दिग्विजय सिंह..?


कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह...इस नाम से तो वाकिफ ही होंगे आप..! बड़ी ही अदभुत और रोचक हस्ती हैं ये..! विरोधियों के खिलाफ जुबानी तीर छोड़ने में तो इन्हें महारत हासिल है..! कहने को तो कांग्रेस में महासचिव हैं लेकिन जब – जब कांग्रेस पर संकट घिरता है तब – तब दिग्विजय सिंह कांग्रेस के आनाधिकृत प्रवक्ता हो जाते हैं..!
कांग्रेस में दिग्विजय सिंह के रोल को हम यूं समझ सकते हैं- संकट में घिरी कांग्रेस जब कई बार असहज स्थिति में आ जाती है और पार्टी को ऐसी स्थिति में विरोधियों पर हमला बोलना होता है तो कांग्रेस आलाकमान दिग्विजिय सिंह का सहारा लेता है..!
दिग्विजय सिंह के तीखे जुबानी तीर कांग्रेस की बात को जनता तक और विरोधियों तक पहुंचा भी देते हैं और कांग्रेस इसे दिग्विजय सिंह का व्यक्तिगत मत कहते हुए इससे पल्ला भी झाड़ लेती है..! अगर ऐसा नहीं है तो आज से पहले जाने कितनी बार जब – जब दिग्विजय सिंह ने अपने तीखे जुबानी तीर छोड़े हैं तो कांग्रेस को दिग्विजय सिंह पर कार्रवाई करनी चाहिए थी लेकिन ऐसा कभी देखने को मिला नहीं..!
एक बार फिर से दिग्विजय सिंह चर्चा के केन्द्र में हैं। इस चर्चा का विषय बना है दिग्विजय सिंह का एक ट्विट जिसमें दिग्विजय सिंह सुप्रीम कोर्ट द्वारा सीबीआई को पिंजरे में बंद तोता कहे जाने पर नाराज़ दिखाई दे रहे हैं। साथ ही दिग्विजय सिंह को केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण(कैट) द्वारा इंटेलिजेंस ब्यूरो(आईबी) को चिकन(मुर्गा) कहे जाने पर भी ऐतराज है।
दिग्विजय सिंह सवाल करते हैं कि सीबीआई को पिंजरे में बंद तोता कहने और आईबी को मुर्गा कहने से क्या हम अपने संस्थानों की हैसियत नहीं घटा रहे हैं..?
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा ने तो ये स्वीकार ही कर लिया है कि सीबीआई पिंजरे मे बंद तोते की तरह ही है लेकिन कांग्रेस ने अधिकृत तौर पर इस पर कोई टिप्पणी नहीं की लेकिन दिग्विजय सिंह कब तक चुप रहते सो ट्विटर पर उनकी टिप्पणी आ ही गयी। लगे हाथों अब कांग्रेसी भी दिग्विजय सिंह की इस नाराजगी को बडे ही बैलेंस तरीके से जायज ठहरा रहे हैं..!
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी की चर्चा हो रही है...दिग्विजय सिंह की नाराजगी की चर्चा भी खूब हो रही है लेकिन ये सवाल तो ये है कि आखिर सुप्रीम कोर्ट को ऐसी टिप्पणी करने की जरुरत ही क्यों पड़ी..?
क्या इस सब के लिए सरकार जिम्मेदार नहीं है...जिसने सीबीआई को अपने हाथ का खिलौना बना रखा है..? जो सीबीआई को अपने सियासी फायदे के लिए इस्तेमाल करती रही है..?
माया-मुलायम की सीबीआई और सरकार को लेकर आए दिए उनके बयान...डीएमके समर्थन वापस लेने के तुरंत बाद सीबीआई का छापा और ताजा मामले में कोलगेट पर सीबीआई की स्टेटस रिपोर्ट में सरकार का दखल क्या दर्शाती है..? ऐसी स्थिति में सुप्रीम कोर्ट मे अगर सीबीआई को पिंजरे में बंद ऐसा तोता कहा जो अपने मालिक के इशारे पर काम करती है तो क्या गलत कहा..?
आज दिग्विजय सिंह कह रहे हैं कि इससे हम अपने संस्थानों की हैसियत घटा रहे हैं लेकिन वास्तविकता तो ये है कि सीबीआई की हैसियत तो सरकार ने खुद कभी रखी ही नहीं..?  कुछ एक अपवाद छोड़ दें तो सीबीआई ने तो हर बार सरकार के इशारे पर ही काम किया है..! सीबीआई के इसी कार्यप्रणाली से नाराज़ होकर सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की तो ये दिग्विजय सिंह के गले नहीं उतर रही है..!
ये छोड़िए इसके बाद भी सरकार की बेशर्मी देखिए...सरकार में शामिल लोग ये मानने को तैयार ही नहीं हैं कि सीबीआई का इस्तेमाल कभी उन्होंने अपने सियासी फायदे के लिए किया..! जबकि सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी को खुद ही सही ठहरा चुके हैं कि सीबीआई पिंजरे मे बंद तोते की तरह है जो अपने मालिक(सरकार) के इशारे पर काम करती है। बेहतर होगा कि सुप्रीम कोर्ट की तल्ख़ टिप्पणी के बाद केन्द्र सरकार सीबीआई जैसी संस्थाओं को अपने सियासी फायदे के लिए इस्तेमाल न करते हुए उनको स्वतंत्र रुप से कार्य करने दे..! लेकिन बड़ा सवाल तो ये है कि क्या कभी ऐसा हो पाएगा..?

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रविवार, 12 मई 2013

नवाज शरीफ के स्वागत को बेचैन मनमोहन..!


प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की इतनी त्वरित प्रतिक्रिया इससे पहले तो कभी नहीं देखी। अक्सर खामोश रहने वाले हमारे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अहम मसलों पर भी अपनी चुप्पी तोड़ने में भी कई हफ्ते लगा देते हैं लेकिन पाकिस्तान में आम चुनाव में नवाज शरीफ की पार्टी को सबसे ज्यादा सीटें मिलने पर मनमोहन सिंह ने पाकिस्तान नवाज शरीफ को बधाई देने में देर नहीं की। इतना ही नहीं लगे हाथ नवाज शरीफ को भारत आने का न्यौता भी दे दिया।
ज्यादा दिन नहीं हुए हैं जब पाक की कोट लखपत जेल में कैद भारतीय कैदी सरबजीत की साथी कैदियों की पिटाई के बाद लाहौर के जिन्ना अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गयी थी..! सरबजीत की मौत एक सामान्य मौत तो थी नहीं ऐसे में पाक की नीयत पर सवाल उठने लाजिमी थे। (जरुर पढ़ें- कब तक आंख रोएगी..?)
इससे पहले भारतीय सीमा में घुसपैठ पर भारतीय सैनिकों के सिर कलम करने की पाक सैनिकों की घटना को भी इतनी आसानी से नहीं भुलाया जा सकता..! पाक की नापाक करतूतों की फेरहिस्त तो काफी लंबी है लेकिन इन दोनों वाक्यों की ही अगर बात करें तो शायद आपको याद होगा की हमारे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कभी इतनी त्वरित प्रतिक्रिया इन मामलों पर नहीं दी।
पाक की नापाक करतूत तो छोड़िए दिल्ली गैंगरेप और यूपीए सरकार के एक के बाद एक उजागर होते भ्रष्टाचार के मामले और घोटालों पर भी मनमोहन सिंह ने अपनी चुप्पी तोड़ने के लिए भी मानो हर बार किसी शुभ मुहूर्त का ही इंतजार किया..! जिस पाकिस्तान की नापाक करतूतों पर पूरा देश आक्रोशित था उस पर भी प्रधानमंत्री की चुप्पी हर बार लंबे इंतजार के बाद ही टूटी लेकिन नवाज शरीफ की पार्टी को पाकिस्तान के आम चुनाव में सबसे ज्यादा सीटें मिलने पर बधाई देने और नवाज शरीफ को भारत आने का न्यौता देने के लिए प्रधानमंत्री का उतावलापन समझ से बाहर है..!
नवाज शरीफ को बधाई देने तक तो समझ में आता है लेकिन प्रधानमंत्री जी शरीफ को भारत आने का न्यौता क्यों..? क्या जिस तरह भारतीय सीमा में घुसकर भारतीय सैनिकों के सिर कलम करने के बाद सरकार ने पाक प्रधानमंत्री राजा परवेज अशरफ को शाही लंच दिया उसी तरह क्या अब सरबजीत की पाक जेल में साजिशन हत्या के बाद अब आप नवाज शरीफ को भारत बुलाकर उनकी पीठ ठोकना चाहते हैं..? (जरुर पढ़ें- और कितने थप्पड़ खाओगे..?)
एक बार नहीं पाक ने हर बार भारत के दोस्ती के हाथ को थामने के बाद भारत की पीठ पर धोखे से वार किया है..! फिर भी आपको उम्मीद है कि पाक के साथ दोस्ती की गाड़ी उस रास्ते पर बिना रुके आगे बढ़ पाएगी जिस राह पर हर कदम पर बम धमाके, दगाबाजी, चालबाजी, दोहरा चरित्र और भारत की शांति को भंग करने की साजिश की लैंड माइन बिछी हुई है..!
प्रधानमंत्री जी काश इतना उतावलापन आपने देश के भीतर के अहम मसलों को सुलझाने पर और अपनी सरकार के मंत्रियों के भ्रष्टाचार और घोटालों पर लगाम कसने के लिए दिखाया होता तो शायद आज देश की तस्वीर कुछ और ही होती लेकिन अफसोस आपको भारत को हर कदम पर लहूलुहान करने वाले पाकिस्तान पर ज्यादा भरोसा है..!

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