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बुधवार, 14 सितंबर 2011

हिंदी हैं हम वतन से....

हिंदुस्तान में हिंदी की दुर्दशा देखते हुए 1947 से पहले का अग्रेजों भारत छोडो का नारा याद आता हैकैसे अंग्रेजों को आखिर भारत को छोड कर जाना पडा थालगता है अब फिर से जरूरत है ऐसे ही एक नारे की...अंग्रेजी भारत छोडोलेकिन हिंदुस्तान में ऐसा संभव नहीं दिखता क्योंकि यहां हर सरकारी कार्यालय में हिंदी दिवस तो मनाया जाता है...लेकिन इसके लिए आदेश अंग्रेजी मे जारी किय़े जाते हैं
हमारे देश के प्रधानमंत्री औऱ सर्वोच्च पद पर बैठे लोग हिंदी बोलने में अपनी तौहीन समझते हैं...तो क्या इन्हें हक है हिंदुस्तान में सर्वोच्च पदों पर आसीन होने का...
मेरा कहने का मतलब य़े नहीं कि आप अंग्रेजी को पूर्णत: विसर्जित कर दें...बल्कि अपने अधिक से अधिक काम हिंदी में करने की आदत डालें...शायद हम आम हिंदुस्तानी हिंदी का कुछ मान बचा पाएं...हमारे देश के प्रधानमंत्री को तो शायद शर्म आती है हिंदी बोलने में...आपने सुना है कभी उन्हें हिंदी बोलते हुए...
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इसी उम्मीद में कि ये पंक्तियां वाकई में सार्थक हों...हिंदी हैं हम...हिंदी हैं हम वतन से हिंदोस्तान हमारा...आप सभी को हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं...जय हिंदुस्तान....जय हिंदी

दीपक तिवारी