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बुधवार, 24 अगस्त 2011

लोकपाल औऱ जनलोकपाल


लोकपाल औऱ जनलोकपाल

समाजसेवी अन्ना हजारे औऱ उनकी टीम ने भ्रष्टाचार के खिलाफ बिगुल फूंकते हुए जनलोकपाल बिल का मसौदा तैयार कर इसे लागू करने को लेकर अपना आंदोलन शुरू किया...इसकी शुरूआत अन्ना एंड टीम ने अप्रेल 2011 में जंतर मंतर से की थी...जिसके बाद सरकार ने स्टैंडिंग कमेटी का गठन किया...जिसमें अन्ना एंड टीम भी शामिल थी...लेकिन यहां पर भी बात नहीं बनी...औऱ सरकार ने अन्ना एंड टीम की सिफारिशों को दरकिनार करते हुए सरकारी लोकपाल बिल ड्राफ्ट किया। जिसके विरोध में 16 अगस्त से शुरू हुआ अन्ना का आंदोलन किस तरह जनांदोलन बन गया...इसे बताने की जरूरत नहीं है। इसी बीच अरूणा रॉय ने भी एक बिल ड्राफ्ट किया।

एक नजर सरकारी लोकपाल, जनलोकपाल औऱ अरूणा रॉय के लोकपाल पर....

सरकारी लोकपाल
जनलोकपाल
अरूणा रॉय लोकपाल
सरकारी लोकपाल के पास भ्रष्टाचार के मामलों पर खुद या आम लोगों की शिकायत पर सीधे कार्रवाई शुरू करने का अधिकार नहीं होगा।
प्रस्तावित जनलोकपाल बिल के तहत लोकपाल खुद किसी भी मामले की जाँच शुरू करने का अधिकार रखता है।
राष्ट्रीय भ्रष्टाचार निवारण लोकपाल- इसके दायरे में प्रधानमंत्री को कुछ शर्तो के साथ लाया जाए. प्रधानमंत्री के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला चलाने का फैसला लोकपाल की पूर्ण पीठ करे और सुप्रीम कोर्ट की पूर्ण पीठ अनुमोदन करे. सांसद और वरिष्ठ मंत्री लोकपाल के दायरे में रहें.
सरकारी विधेयक में लोकपाल केवल परामर्शदात्री संस्था बन कर रह जाएगी।
जनलोकपाल सशक्त संस्था होगी।
पृथक न्यायपालिका लोकपाल- न्यायपालिका के लिए अलग से.

सरकारी विधेयक में लोकपाल के पास पुलिस शक्ति नहीं होगी।
जनलोकपाल न केवल प्राथमिकी दर्ज करा पाएगा बल्कि उसके पास पुलिस फोर्स भी होगी।
केंद्रीय सतर्कता लोकपाल- दूसरी व तीसरी श्रेणी के अफसरों के भ्रष्टाचार के लिए सतर्कता आयोग को ही और अधिक ताकतवर बनाया जाए.

सरकारी विधेयक में लोकपाल का अधिकार क्षेत्र सांसद, मंत्री और प्रधानमंत्री तक सीमित रहेगा।
जनलोकपाल के दायरे में प्रधानमत्री समेत नेता, अधिकारी, न्यायाधीश सभी आएँगे।
लोकरक्षक कानून लोकपाल- भ्रष्टाचार की शिकायत करने वाले लोगों की सुरक्षा मुहैया कराने के लिए.
लोकपाल में तीन सदस्य होंगे जो सभी सेवानिवृत्त न्यायाधीश होंगे।
जनलोकपाल में 10 सदस्य होंगे और इसका एक अध्यक्ष होगा। चार की कानूनी पृष्टभूमि होगी। बाक़ी का चयन किसी भी क्षेत्र से होगा।
शिकायत निवारण लोकपाल-जन शिकायतों के जल्द निपटारे लिए है.
सरकार द्वारा प्रस्तावित लोकपाल को नियुक्त करने वाली समिति में उपराष्ट्रपति। प्रधानमंत्री, दोनो सदनों के नेता, दोनों सदनों के विपक्ष के नेता, कानून और गृहमंत्री होंगे।
प्रस्तावित जनलोकपाल बिल में न्यायिक क्षेत्र के लोग, मुख्य चुनाव आयुक्त, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक, भारतीय मूल के नोबेल और मैगासेसे पुरस्कार के विजेता चयन करेंगे।


सरकारी लोकपाल विधेयक में दोषी को छह से सात महीने की सजा हो सकती है और घोटाले के धन को वापिस लेने का कोई प्रावधान नहीं है।

जनलोकपाल बिल में कम से कम पाँच साल और अधिकतम उम्र कैद की सजा हो सकती है। साथ ही दोषियों से घोटाले के धन की भरपाई का भी प्रावधान है।



राम मनोहर लोहिया ने कहा था कि जिंदा कौमें पांच साल इंतजार नहीं करती...जिस कानून को आजादी के वक्त अस्तित्व में आ जाना चाहिए था...उसका इंतजार 1969 से हो रहा है। अब जाकर इस कानून के लिए गंभीरता दिख रही है...उसमें भी सरकार गेंद अपने पाले में रखना चाहती है। सरकार चाहती है कि प्रधानमंत्री औऱ न्यायपालिका को इसके दायरे से बाहर रखा जाए...लेकिन अन्ना एंड टीम के जनलोकपाल में प्रधानमंत्री औऱ न्यायपालिका दोनों को इसके दायरे में लाने की बात कही गयी है...यही बात अरूणा रॉय ने भी अपने बिल में कही है। मेरा मानना है कि हिंदुस्तान में भ्रष्टाचार सारी सीमाएं पार कर चुका है...औऱ आम जनता इसे बुरी तरह त्रस्त है...इसलिए जब अन्ना हजारे ने जनलोकपाल के लिए लड़ाई का शंखनाद किया तो देशवासियों ने इसे हाथों हाथ लिया...औऱ देशभर में हर वर्ग औऱ आयु के लोग तिरंगा हाथ में लेकर अपने – अपने तरीके से इसका समर्थन कर रहे हैं। लोग भले ही इसे भीड का नाम दे रहे हैं...लेकिन ये भीड नहीं भ्रष्टाचार औऱ भ्रष्टाचारियों के खिलाफ वो जनाक्रोश है...जो लंबे समय से किसी शांत ज्वालामुखी की तरह फटने का इंतजार कर रहा था...अगर सरकार झुकती है...जिसके आसार भी नजर आ रहे हैं...औऱ जनलोकपाल को पूरी तरह से सरकार स्वीकार कर संसद में पेश भी करती है...औऱ ये पारित होकर कानून बनता है तो भी मुझे नहीं लगता कि भ्रष्टाचार पर पूरी तरह अंकुश लग पाएगा...या भ्रष्टाचारी इससे तौबा कर लेंगे...क्योंकि जब तक आम लोग पूरी तरह इसका विरोध नहीं करेंगे...औऱ ठान लेंगे कि वे अपने किसी काम के लिए रिश्वत नहीं देगे...भ्रष्टाचार को बढ़ावा नहीं देंगे...तब तक इस समस्या का कोई समाधान नहीं निकलेगा। इसलिए जरूरत है हर किसी को अपने अंदर वो इच्छाशक्ति पैदा करे कि भ्रष्टाचार अपना सिर ही न उठा सके। जनलोकपाल कानून बन भी जाता है तो ये तभी सार्थक होगा...जब देश के हर एक नागरिक इसकी ताकत को समझे...औऱ जिस दिन वे ये समझ जाएंगे...उस दिन एक हद भ्रष्टाचार पर काबू पाया जा सकेगा।  


दीपक तिवारी
deepaktiwari555@gmail.com



मैं भी अन्ना...तू भी अन्ना...अब तो सारा देश है अन्ना...




मैं भी अन्ना...तू भी अन्ना...अब तो सारा देश है अन्ना...
हाथ में लेकर तिरंगा...हर कोई लगता है अन्ना...
जनलोकपाल से डरने वाले भागो...जहां जाओगे पाओगे अन्ना...
मैं भी अन्ना...तू भी अन्ना...अब तो सारा देश है अन्ना...
निकल पड़े हैं लेकर तिरंगा...अब नहीं है हमें रूकना...
बनकर अन्ना बढ रहे हैं आगे...जनलोकपाल को लागू करवाने...
मैं भी अन्ना...तू भी अन्ना...अब तो सारा देश है अन्ना...
चाहे मारो लाठी-गोली...चाहे भेजो हमको जेल...
आगे बढ़कर अपना हक छीनेंगे...भ्रष्टाचारियों को नहीं छोड़ेंगे...
मैं भी अन्ना...तू भी अन्ना...अब तो सारा देश है अन्ना...