कांग्रेस महासचिव दिग्विजय
सिंह...इस नाम से तो वाकिफ ही होंगे आप..! बड़ी ही अदभुत और रोचक हस्ती हैं
ये..! विरोधियों के खिलाफ
जुबानी तीर छोड़ने में तो इन्हें महारत हासिल है..! कहने को तो कांग्रेस में महासचिव हैं लेकिन जब – जब
कांग्रेस पर संकट घिरता है तब – तब दिग्विजय सिंह कांग्रेस के आनाधिकृत प्रवक्ता
हो जाते हैं..!
कांग्रेस में
दिग्विजय सिंह के रोल को हम यूं समझ सकते हैं- संकट में घिरी कांग्रेस जब कई बार
असहज स्थिति में आ जाती है और पार्टी को ऐसी स्थिति में विरोधियों पर हमला बोलना
होता है तो कांग्रेस आलाकमान दिग्विजिय सिंह का सहारा लेता है..!
दिग्विजय सिंह के
तीखे जुबानी तीर कांग्रेस की बात को जनता तक और विरोधियों तक पहुंचा भी देते हैं
और कांग्रेस इसे दिग्विजय सिंह का व्यक्तिगत मत कहते हुए इससे पल्ला भी झाड़ लेती
है..! अगर ऐसा नहीं है तो
आज से पहले जाने कितनी बार जब – जब दिग्विजय सिंह ने अपने तीखे जुबानी तीर छोड़े
हैं तो कांग्रेस को दिग्विजय सिंह पर कार्रवाई करनी चाहिए थी लेकिन ऐसा कभी देखने
को मिला नहीं..!
एक बार फिर से
दिग्विजय सिंह चर्चा के केन्द्र में हैं। इस चर्चा का विषय बना है दिग्विजय सिंह
का एक ट्विट जिसमें दिग्विजय सिंह सुप्रीम कोर्ट द्वारा सीबीआई को “पिंजरे में बंद तोता” कहे जाने पर नाराज़
दिखाई दे रहे हैं। साथ ही दिग्विजय सिंह को केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण(कैट) द्वारा
इंटेलिजेंस ब्यूरो(आईबी) को “चिकन”(मुर्गा) कहे जाने
पर भी ऐतराज है।
दिग्विजय सिंह सवाल
करते हैं कि सीबीआई को “पिंजरे में बंद तोता” कहने और आईबी को “मुर्गा” कहने से क्या हम
अपने संस्थानों की हैसियत नहीं घटा रहे हैं..?
सुप्रीम कोर्ट की
टिप्पणी पर सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा ने तो ये स्वीकार ही कर लिया है कि सीबीआई
पिंजरे मे बंद तोते की तरह ही है लेकिन कांग्रेस ने अधिकृत तौर पर इस पर कोई टिप्पणी
नहीं की लेकिन दिग्विजय सिंह कब तक चुप रहते सो ट्विटर पर उनकी टिप्पणी आ ही गयी। लगे
हाथों अब कांग्रेसी भी दिग्विजय सिंह की इस नाराजगी को बडे ही बैलेंस तरीके से जायज
ठहरा रहे हैं..!
सुप्रीम कोर्ट की
टिप्पणी की चर्चा हो रही है...दिग्विजय सिंह की नाराजगी की चर्चा भी खूब हो रही है
लेकिन ये सवाल तो ये है कि आखिर सुप्रीम कोर्ट को ऐसी टिप्पणी करने की जरुरत ही
क्यों पड़ी..?
क्या इस सब के लिए
सरकार जिम्मेदार नहीं है...जिसने सीबीआई को अपने हाथ का खिलौना बना रखा है..? जो सीबीआई को अपने
सियासी फायदे के लिए इस्तेमाल करती रही है..?
माया-मुलायम की
सीबीआई और सरकार को लेकर आए दिए उनके बयान...डीएमके समर्थन वापस लेने के तुरंत बाद
सीबीआई का छापा और ताजा मामले में कोलगेट पर सीबीआई की स्टेटस रिपोर्ट में सरकार
का दखल क्या दर्शाती है..? ऐसी स्थिति में सुप्रीम कोर्ट मे अगर सीबीआई को पिंजरे में बंद ऐसा तोता कहा
जो अपने मालिक के इशारे पर काम करती है तो क्या गलत कहा..?
आज दिग्विजय सिंह कह
रहे हैं कि इससे हम अपने संस्थानों की हैसियत घटा रहे हैं लेकिन वास्तविकता तो ये
है कि सीबीआई की हैसियत तो सरकार ने खुद कभी रखी ही नहीं..? कुछ एक अपवाद छोड़ दें तो सीबीआई ने तो हर बार
सरकार के इशारे पर ही काम किया है..! सीबीआई के इसी कार्यप्रणाली से नाराज़ होकर सुप्रीम
कोर्ट ने टिप्पणी की तो ये दिग्विजय सिंह के गले नहीं उतर रही है..!
ये छोड़िए इसके बाद
भी सरकार की बेशर्मी देखिए...सरकार में शामिल लोग ये मानने को तैयार ही नहीं हैं
कि सीबीआई का इस्तेमाल कभी उन्होंने अपने सियासी फायदे के लिए किया..! जबकि सीबीआई निदेशक
रंजीत सिन्हा सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी को खुद ही सही ठहरा चुके हैं कि सीबीआई
पिंजरे मे बंद तोते की तरह है जो अपने मालिक(सरकार) के इशारे पर काम करती है। बेहतर होगा कि सुप्रीम कोर्ट की तल्ख़ टिप्पणी के
बाद केन्द्र सरकार सीबीआई जैसी संस्थाओं को अपने सियासी फायदे के लिए इस्तेमाल न
करते हुए उनको स्वतंत्र रुप से कार्य करने दे..! लेकिन बड़ा सवाल तो ये है कि क्या कभी ऐसा हो
पाएगा..?
deepaktiwari555@gmail.com
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