हवा का रुख जिधर हो,
उधर ही चलने में समझदारी है, इस लिहाज से सोचा-समझा जाए तो किरण बेदी के बाद अब शाजिया
इल्मी की समझ को न समझने की कोई वाजिब वजह नहीं दिखाई देती है। आम आदमी पार्टी के
झंडे तले 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमाने वाली शाजिया ने पहले “आप’ का झाड़ू छोड़ भजपा का स्वच्छता अभियान का झाड़ू हाथ में थामा और फिर कमल का
फूल।
आम आदमी पार्टी में
रहते हुए भाजपा समेत दूसरे विरोधी राजनीतिक दलों के खिलाफ मोर्चा लेने वाली शाजिया
ने अपने राजनीतिक विरोधियों पर वार करने का कभी कोई मौका नहीं छोड़ा। शाजिया को
भाजपा समेत दूसरी विरोधी राजनीतिक दलों में पहले देश का भविष्य अंधकारमय नजर आता
था, लेकिन अब यही शाजिया को भाजपा में अपना भविष्य उज्जवल नजर आने लगा है !
भाजपा में शामिल
होते वक्त शाजिया क चेहरे की खुशी देखने लायक थी। शाजिया कह रही हैं कि वे चुनाव
नहीं लड़ना चाहती, सिर्फ जनता की सेवा करना चाहती हैं। लेकिन शाजिया जी, जरा ये भी
बता दीजिए कि क्या बिना राजनीति के जनता की सेवा नहीं हो सकती या फिर भाजपा में
रहकर जनता की सेवा ज्यादा अच्छी तरह से हो सकती है !
किरण बेदी की ही तरह
भाजपा को कोसने वाली शाजिया का भाजपा में शामिल होने के पीछे महत्वकांक्षाओं का बड़ा
पहाड़ है, जिन्हें पूरा करने में फिलहाल के राजनीतिक हालात तो मोदी लहर पर सवार भाजपा
पर सवार होने के संकेत दे रहे हैं ! फिर शाजिया ने क्या गलत किया, भाजपा का दामन थाम कर। छह
महीने के अंदर पहले दिल्ली की आरके पुरम विधानसभा सीट से और फिर गाजियाबाद लोकसभा
सीट से चुनाव में मात खाने के बाद शाजिया को शायद ये बात समझ में आ गई थी कि
वर्तमान राजनीतिक हालात में भाजपा से बेहतर विकल्प उनके पास नहीं हो सकता, वो भी
विधानसभा चुनाव के वक्त !
“आप” की टोपी पहनकर कभी भाजपा के कमल को मुरझाने की हर मुमकिन कोशिश करने वाली शाजिया इल्मी अब
कमल खिलाने के लिए जी जान लगाती नज़र आएंगी! बहरहाल कड़कड़ाती सर्दी में कोहरे में खोई दिल्ली में
हीटर और ब्लोअर न सही, लेकिन दिल्ली का चुनावी मौसम दिल्लीवासियों को खूब गर्मी का
एहसास करा रहा है !
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