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गुरुवार, 7 अगस्त 2014

लो खुल गई राहुल गांधी की नींद !

संसद से नदारद रहने वाले और मौजूद रहने पर भी चुप्पी साधने वाले कांग्रेस युवराज राहुल गांधी को संसद में बोलते देखना अच्छा लगा। सोचा नहीं था कि राहुल इतने आक्रमक भी हो सकते हैं कि संसद की वेल में आकर सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद करेंगे, लेकिन राहुल इतने सक्रिय और आक्रमक पहले हो गए होते तो शायद आम चुनाव में कांग्रेस की ये गत न होती।
आम चुनाव के बाद जम्मू में नेशनल कांफ्रेंस का कांग्रेस से अलग होना, महाराष्ट्र में कांग्रेस के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण और हरियाणा में कांग्रेसी मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के खिलाफ कांग्रेस के दिग्गज नेताओं का बगावत का झंडा बुलंद करना तो कम से कम इस ओर ही ईशारा करता है कि कांग्रेस का जहाज डगमगा रहा है और जहाज का कप्तान जहाज को संभालने में नाकाम साबित हो रहा है। महंगाई पर चर्चा के दौरान संसद में राहुल गांधी का झपकी लेने वाली तस्वीरों ने संभलने की कोशिश कर रही कांग्रेसियों की उम्मीदों को निराशा का अंधेरा ही दिया। (जरूर पढ़ें - राहुल बाबा को सोने दो न प्लीज)  
इस दौरान एक-एक कर कांग्रेस के कई दिग्गजों का राहुल की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाना भी ये ईशारा कर गया कि राहुल के नेतृत्व में शायद अब कांग्रेसियों का दम घुटने लगा है। लेकिन राहुल गांधी अचानक से अति सक्रिय और आक्रमक हो गए हैं। राहुल एंग्री यंगमैन की भूमिका में दिखाई देने लगे हैं। वो दिखा देना चाह रहे हैं कि वे संसद में बोल भी सकते हैं और जरूरत पड़ने पर संसद की वेल में आकर हाथ ऊपर उठाकर चिल्ला भी सकते हैं।
लेकिन राहुल बाबा की ये नींद काफी देर से खुली, जब राहुल का प्रधानमंत्री बनने का सपना भी चकनाचूर हो चुका था और देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। लोकसभा में कांग्रेस के सदस्यों की संख्या सिर्फ 44 ही रह गई है और दिग्गज कांग्रेसियों का गांधी परिवार के अपने सर्वमान्य नेताओं से विश्वास उठने लगा है ! लेकिन अच्छा है, देर से ही सही, राहुल गांधी की नींद तो टूटी, राहुल गांधी के लिहाज से भी, कांग्रेस पार्टी के लिहाज से भी राहुल की ये सक्रियता और आक्रमकता आवश्यक है। प्रचंड बहुमत वाली सरकार के कामकाज पर नजर रखने के लिए सदन के भीतर ये जरूरी भी है, लेकिन सवाल फिर उठता है कि कांग्रेस में नई जान फूंकने की तैयारी कर रहे राहुल गांधी कि ये सक्रियता, ये आक्रमकता कितने दिन दिखाई देती है। क्या अगले पांच साल तक राहुल गांधी इसी एंग्री यंगमैन की भूमिका में दिखाई देंगे..?  


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