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शनिवार, 30 अगस्त 2014

मांझी बिहार नहीं सिर्फ मखदमपुर के सीएम !

जीतन राम मांझी, ये बिहार के मुख्यमंत्री ही नहीं बल्कि बिहार में भाजपा के खिलाफ अपना अस्तित्व बचाने की लड़ाई के लिए पैदा हुए महागठबंधन के फिलहाल अघोषित तौर पर सबसे बड़े नेता हैं। आम चुनाव में करारी हार की जिम्मेदारी लेकर मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ने वाले नीतिश कुमार के उत्तराधिकारी के रूप में सीएम की कुर्सी संभालने वाले मांझी को कौन समझाए कि वे सिर्फ जहानाबाद के मखदमपुर विधानसभा सीट के मुख्यमंत्री नहीं हैं, जहां से वे विधायक चुन कर आए हैं बल्कि वे पूरे प्रदेश के मुखिया हैं। बिहार का मुख्यमंत्री होने के नाते उनकी जिम्मेदारी है कि पूरे प्रदेश के विकास के लिए काम करें। पूरे प्रदेश के लोगों की समस्याओं का समाधान करें।
जाहिर है हर तरफ से निराश होने के बाद लोग मुख्यमंत्री से ही गुहार लगाते हैं, लेकिन लगता है कि मांझी को ये बात समझ में नहीं आती। ये इसलिए क्योंकि जहानाबाद के मखदमपुर के झमणबिगहा गांव के पास स्कूल में आयोजित सभा में बिजली कटौती के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों से वे कहते हैं कि आपके वोट से मैं चुनाव नहीं जीतता हूं और आप हमें वोट नहीं देते। दरअसल ये लोग सीएम मांझी को बिजली नहीं तो वोट नहीं कि तख्ती दिखाकर अपना विरोध प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन सीएम साहब को उनका ये तरीका रास नहीं आया और मांझी अपना आपा खो बैठे।
मांझी साहब के ये तेवर अपनी समझ से तो बाहर हैं। मांझी साहब जनता तो आपसे ही सवाल पूछेगी न, अपनी समस्याएं लेकर आपके ही पास आएगी न, अब अपनी समस्याएं लेकर आपके राज्य की जनता पड़ोसी राज्य के मुख्यमंत्री से तो सवाल पूछेगी नहीं। ठीक है, आपको कुर्सी संभाले हुए सिर्फ तीन महीने ही हुए हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि आपकी जिम्मेदारी कम हो जाती है। वैसे इसमें दोष आपका भी नहीं है, जब आप खुद मंत्री रहते हुए अपने घर का बिजली का बिल घूस देकर कम कराने में यकीन रखते हैं तो फिर राज्य की जनता को आपसे ज्यादा उम्मीद होनी भी नहीं चाहिए।


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