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शनिवार, 17 अगस्त 2013

क्योंकि ये एक पत्रकार की लड़ाई है..!

किसी फैक्ट्री या मिल में कर्मचारियों के साथ ज्यादती होती या फिर उसका उत्पीडन होता है तो फैक्ट्री/मिल के सभी कर्मचारी भी प्रबंधन के इस फैसले के खिलाफ आवाज उठाते हैं..! व्यापारियों को लगता है कि सरकार उनके हित में फैसले नहीं ले रही है तो व्यापारी भी एक दिन का सांकेतिक बंद या फिर चक्का जाम कर अपनी आवाज उठाते हैं..! सरकारी कर्मचारी अपनी मांगों के लिए हड़ताल का रास्ता अख्तियार करते हैं..!
ये छोड़िए हमारे नेतागण तो सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ भी आवाज उठाने से गुरेज नहीं करते क्योंकि उन्हें लगता है कि कोर्ट के फैसले उनकी राजनीति का कहीं बंटाधार न हो जाए..! इस सब के बीच मीडिया की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि मीडिया ही एक ऐसा माध्यम है जो फैक्ट्री या मिल के कर्मचारियों के साथ ही सरकारी कर्मचारियों और व्यापारियों के साथ ही अपने हक की लड़ाई के लिए लड़ रहे लोगों के लिए सरकार तक पहुंचने का एक माध्यम बनता है..!
सरकार और शोषित के बीच पुल का कार्य करने वाले पत्रकार शोषित जनता को उनका हक दिलवाने का दम भरते हैं लेकिन बात जब खुद के शोषण/उत्पीडन के खिलाफ आवाज उठाने की आती है तो यही पत्रकार चुप्पी साध कर बैठ जाते हैं, जैसे इन्होंने कोई गुनाह किया हो और ये लोग इस गुनाह की सजा भुगत रहे हों..! आपको जानकर हैरत होगी कि दूसरों के हक की आवाज उठाने वाले पत्रकार ही सबसे ज्यादा शोषण का शिकार हैं..! कई मीडिया संस्थान  दो – दो महीने तक अपने कर्मचारियों को वेतन नहीं देते हैं तो कई संस्थानों में कब, किस दिन किसी पत्रकार को अगले दिन से बिना कोई कारण बताए नौकरी में न आने का नोटिस थमा दिया जाए ये कोई नहीं जानता..?
एक बार फिर ऐसा ही हुआ है, देश के सबसे बड़े पूंजीपतियों में से मुकेश अंबानी ने नेटवर्क 18 समूह से करीब 300 से ज्यादा मीडियाकर्मियों को नौकरी से चलता कर दिया है..! लेकिन हैरत की बात है कि मीडिया की अब तक की सबसे बड़ी छंटनी के खिलाफ पत्रकार खामोश हैं..! दूसरों के हक के लिए सरकार को कठघरे में खड़े करने वाली पत्रकार बिरादरी पूंजीपति के आगे नतमस्तक है और कोई भी नेटवर्क 18 प्रबंधन के इस फैसले के खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है..! दुख की बात तो ये है कि इन चैनलों के संपादक की कुर्सी पर बैठे तथाकथित बड़े-बड़े पत्रकार आशुतोष और राजदीप सरदेसाई भी अपने कर्मचारियों के साथ खड़े नहीं दिखाई दे रहे हैं..!   
इन संस्थानों के इस फैसले के खिलाफ पत्रकार बिरादरी में जबरदस्त गुस्सा तो है लेकिन अंबानी जैसे पूंजीपति के इस कत्लेआम के खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत शायद किसी में नहीं है..!
सोशल मीडिया में एक छोटी सी मुहिम जारी भी है लेकिन इसमें भी खुलकर अपनी बात कहने वाले पत्रकार गिने चुने ही हैं..!  भाई लोग ये जानते हैं कि आज ये कत्लेआम एक संस्थान में हुआ है और कल उनके बारी भी आ सकती है लेकिन इसके बाद भी इस कत्लेआम का विरोध करने का दम शायद किसी में नहीं है..! आज नहीं तो कल ये होगा और छंटनी के नाम पर पत्रकारों को नौकरी से निकाल भी दिया जाएगा लेकिन पत्रकार कुछ नहीं बोलेंगे क्योंकि इन्हें शायद अपनी लड़ाई लड़नी ही नहीं आती क्योंकि या तो हम इसके आदि हो गए हैं या फिर हमने इसी को अपनी नियति मान लिया है..!

deepaktiwari555@gmail.com

बुधवार, 14 अगस्त 2013

लेकिन प्रधानमंत्री से उम्मीद करते हैं कि…

पूरा देश आजादी की 67वीं वर्षगांठ के जश्न की तैयारियों में डूबा हुआ है। वर्ष में सिर्फ दो दिन (26 जनवरी और 15 अगस्त) मौन व्रत तोड़ने वाले हमारे प्रधानमंत्री माननीय मनमोहन सिंह के मौन टूटने का वक्त भी करीब आ गया है, उम्मीद करते हैं मनमोहन सिंह लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित करने के बाद अपनी सोनिया मैडम की तरफ देखकर ये नहीं पूछेंगे कि ठीक है(जरुर पढ़ें-दिल्ली गैंगरेप- ठीक हैलोग इसे भी भूल जाएंगे !)
मनमोहन सिंह लाल किले की प्राचीर से यूपीए टू की उपलब्धियों को गिनाते हुए यूपीए टू के कार्यकाल को स्वर्णिम करार देते हुए देश को गर्व करने का मौका देंगे लेकिन उम्मीद करते हैं कि मनमोहन सिंह यूपीए टू के कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार और घोटालों पर एक शब्द भी नहीं बोलेंगे..!
माननीय प्रधानमंत्री जी उत्तराखंड में आई भीषण प्राकृतिक आपदा पर दुख जताते हुए इससे उबरने में उत्तराखंड राज्य सरकार की हर संभव मदद करने का ठोस आश्वासन देंगे और त्रासदी के वक्त दिल्ली के चक्कर लगाने वाले उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा की पीठ जरुर ठोकेंगे..! लेकिन उम्मीद करते हैं कि प्रधानमंत्री जी भीषण त्रासदी से निपटने में नाकाम बहुगुणा सरकार के खिलाफ एक शब्द भी नहीं बोलेंगे..!
माननीय मनमोहन सिंह अपने भाषण में सीमा पर पाकिस्तानी सैनिकों के हमले में शहीद हुए सैनिकों के प्रति दुख प्रकट करेंगे लेकिन उम्मीद करते हैं कि भारत की नाक में दम करने वाले अपने धूर्त पड़ोसी के खिलाफ लाल किले का प्राचीर से एक भी शब्द नहीं बोलेंगे..! हां, नवाज शरीफ की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाते हुए पाक प्रधानमंत्री को लंच या डिनर पर जरुर आमंत्रित करेंगे..!
पीएम साहब अपने भाषण में मंदी से निपटने और देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए हर संभव कदम उठाने की बात तो करेंगे और देश की जनता का सामान्य ज्ञान ये कहकर बढ़ाएंगे कि पैसे पेड़ पर नहीं लगते लेकिन उम्मीद करते हैं कि मनमोहन सिंह साहब सुरसा के मुहं की तरह मुंह फाड़ती महंगाई पर अपनी चुप्पी नहीं तोड़ेंगे..! और न ही ये बताएंगे कि पैसे पेड़ पर नहीं लगते तो फिर कहां लगते हैं..? (जरुर पढ़ें- ठीक कहा प्रधानमंत्री जी...पैसे पेड़ पर नहीं लगते)।
आखिर में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह साहब यूपीए सरकार को महंगाई के बोझ तले दबी और भूख और कुपोषण से मर रही देश की जनता की सबसे फिक्रमंद सरकार होने का तमगा खुद देंगे और जनता से एक बार फिर से 2014 में कांग्रेस पर भरोसा करने की अपील करेंगे लेकिन उम्मीद करते हैं कि मनमोहन सिंह यूपीए सरकार की नाकामी पर एक भी शब्द नहीं बोलेंगे और देश के सुरक्षा हालात, आर्थिक हालात के साथ ही भ्रष्टाचार और घोटालों के फेरहिस्त की तुलना पिछली सरकारों से करके अपने आंकड़ों को कम दिखाने की कोशिश नहीं करेंगे..!
अंत में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सभी भारतवासियों को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं देने के साथ ये वादा करेंगे कि चाहे कुछ भी हो जाए मैं 26 जनवरी 2014 से पहले अपना मौन नहीं तोडूंगा..! जय हिंद !!


deepaktiwari555@gmail.com