कुल पेज दृश्य

गुरुवार, 4 सितंबर 2014

डायरी खोलेगी राज !

सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा के निवास की विजिटर डायरी पर हंगामा तो ऐसा मचा है, जैसे रंजीत सिन्हा साहब ने कोई बहुत बड़ा गुनाह कर दिया हो। सिर्फ मुलाकात ही तो की है। डायरी में भी तो यही दर्ज है कि फलां-फलां साहब फलां-फलां तारीख को फलां-फलां बार सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा साहब से मिलने पहुंचे थे। इसमें कौन सी बड़ी बात हो गई। अब टूजी और कोल ब्लॉक आवंटन जैसे कई और जिन मामलों की जांच सीबीआई कर रही है, उनमें जांच के घेरे में आए लोग बचने के लिए किससे मिलेंगे..? जाहिर है सीबीआई डायरेक्टर से ही न..! और, वैसे भी टूजी और कोयला घोटाले कौन से बहुत बड़े घोटाले हैं। टूजी में सिर्फ एक लाख 76 हजार करोड़ की ही तो घोटाला हुआ जबकि कोयला घोटाला इससे जरा सा बड़ा एक लाख 86 हजार करोड़ का हुआ..!
अब इन छोट-मोटे घोटाले के आरोपी अगर हमारे सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा साहब से मिल भी लिए तो कौन सा पहाड़ टूट पड़ा। वैसे भी इस ख़बर के बाद से ही घबराए-घबराए से नजर आ रहे सिन्हा साहब साफ कर चुके हैं कि उन्होंने किसी को कोई फायदा नहीं पहुंचाया। लेकिन ये समझ नहीं आ रहा कि सिन्हा साहब इतने क्यों घबराए हुए हैं। एक तरफ वे कह रहे हैं कि उनके निवास पर मौजूद दो डायरी में इनमें से किसी भी आगंतुक का जिक्र नहीं है, लेकिन दूसरी तरफ वे इस डायरी को मीडिया में आने से रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगा रहे हैं। हालांकि ये बात अलग कि सर्वोच्च न्यायालय से भी उन्हें राहत नहीं मिली।
सिन्हा साहब जब आपके मुताबिक आपने कोई गुनाह नहीं किया है, किसी को फायदा नहीं पहुंचाया है तो फिर क्यों घबरा रहे हैं..? कहीं ये घबराहट इसलिए तो नहीं है कि इस डायरी की जितनी चर्चा होगी, उतने ही राज भी खुलेंगे..? अब डायरी के राज को आप और आपसे मिलने वालों से बेहतर और कौन समझ सकता है..? वैसे भी सीबीआई निदेशक बनने के बाद से ही आपकी कार्यप्रणाली पर सवाल कई बार उठे हैं।
कोलगेट की स्टेटस रिपोर्ट भी आप हंसी खुशी तत्कालीन कानून मंत्री अश्वनी कुमार के पास लेकर गए थे, जो आप सर्वोच्च न्यायालय में कबूल भी कर चुके हैं और आपके इस कृत्य की बदौलत न्यायालय ने सीबीआई को पिंजरे में बंद तोते की संज्ञा दी थी। आप इतने ही ईमादार होते तो सरकार के दबाव के बाद भी स्टेटस रिपोर्ट लेकर कानून मंत्री के पास जाने की बजाए इसका विरोध कर सकते थे। वैसे दोष आपका भी नहीं है, सीबीआई निदेशक की कुर्सी का मोह छोड़ना इतना आसान काम भी नहीं है। खैर अब मुलाकात करना कबूल ही लिया है तो अब छटपटाने से क्या फायदा..? हो सकता है, सिन्हा साहब ने किसी को फायदा न पहुंचाया हो लेकिन घर पर मुलाकात का फंडा समझ में नहीं आया। कोई बात नहीं सिन्हा साहब, आगे से ध्यान रखिएगा, वैसे आप ध्यान रखें न रखें, भविष्य में दूसरे लोग जरूर इसका ध्यान रखेंगे।


deepaktiwari555@mail.com