26-11 को मुंबई दहलाने वाले आतंकी कसाब की कहानी शायद ही
कोई भूला होगा। भारत की आर्थिक
राजधानी को हिलाने वाले आतंकी हमले में अपनों को खोने वालों के जेहन में इसका दर्द
आज भी ताजा होगा। कसाब को फांसी जरूर हो गई लेकिन उसके बाद भी आतंकियों के सहारे भारत
को दहलाने की पाकिस्तान की नापाक कोशिशें लगातार जारी है।
उधमपुर के सिमरोली
में मुठभेड़ के बाद बीएसएफ के हाथ लगे एक और जिंदा पाकस्तानी आतंकी
कासिम खान की गिरफ्तारी के बाद ये साफ हो गया है कि पाक अपनी नापाक हरकतों से बाज
आने वाला नहीं है। गिरफ्तारी के बाद सामने आए वीडियो में कासिम खान के पाकिस्तानी
होने के कबूलनामे के बाद तो शक की गुंजाईश भी समाप्त हो जाती है।
कसाब की गिरफ्तारी
के बाद कसाब की फांसी तक के वक्त को देखते हुए जेहन में फिर से ये सवाल उठता है कि
क्या अबकी बार भी यही होगा ?
कसाब के कबूलनामे के
बाद हम पाकिस्तान के खिलाफ क्या कर पाए ? लेकिन इस दौरान पाक जरूर बहुत कुछ करता रहा। भारत को
दहलाने की आतंकी साजिशें बढ़ती गई। हम सिर्फ अनुरोध करते देखे गए। हम उन्हें
बातचीत के लिए ही आमंत्रित करते रह गए लेकिन वे आपने मिशन में जुटे रहे। सीज फायर
उल्लंघन के लगातार बढ़ते मामले तो कम से कम इसी ओर ईशारा करते हैं।
चलिए माना तब यूपीए
की सरकार थी, लेकिन बातें तो तब के “पीएम इन वेटिंग” नरेन्द्र मोदी ने भी बहुत बड़ी – बड़ी की थी। अब तो सरकार
भी बदल की है। “इन वेटिंग” का तमगा भी हट चुका
है तो क्या कर लिया नरेन्द्र मोदी साहब ने। यही न की पाकिस्तान की फायरिंग का
जवाबी फायरिंग से जवाब दे दिया। इसे मुंहतोड़ जवाब का नाम दे दिया गया। लेकिन इस
सब में भी तो हमारे कई जवान अपनी जान गंवाते रहे। कई औरतें बेवा होती रही, कई
बच्चे अनाथ होते रहे। ये सब छोड़िए इस सब के बाद भी तो हम उन्हें बातचीत के लिए
आमंत्रित ही तो कर रहे हैं।
ये सही है कि आप अपने दोस्त तो अपनी मर्जी से चुन सकते हैं, लेकिन अपने पड़ोसी नहीं। दुष्ट भी नहीं धूर्त पड़ोसी पाकिस्तान को तो हम बदल नहीं सकते लेकिन इस तरह उसकी गोलियों से अपने जवानों को शहीद होते हुए भी तो नहीं देख सकते ना प्रधानमंत्री जी।
ये सही है कि आप अपने दोस्त तो अपनी मर्जी से चुन सकते हैं, लेकिन अपने पड़ोसी नहीं। दुष्ट भी नहीं धूर्त पड़ोसी पाकिस्तान को तो हम बदल नहीं सकते लेकिन इस तरह उसकी गोलियों से अपने जवानों को शहीद होते हुए भी तो नहीं देख सकते ना प्रधानमंत्री जी।
कासिम खान और उसके
मारे गए साथी आतंकी ने हमारे दो जवानों को मौत के घाट उतारा है लेकिन फिर भी हम
उसकी सुनवाई करेंगे। उसे बेगुनाह साबित होने के लिए पूरे मौके देंगे। उसकी सुरक्षा
में करोड़ों रूपए खर्च किए जाएंगे। लेकिन उसकी सुरक्षा का क्या मोदी जी जो
सीमावर्ती गांवों में रहने वाले लोग ऐसे आतंकियों की गोली का शिकार हो रहे हैं। जो
जवान देश के लए कुर्बान हो रहे हैं। जो निर्दोष लोग बम धमकों में मारे जाते हैं।
तरीके आप बेहतर
जानते हैं पाकिस्तान को सबक सिखाने के, लेकिन देश जानना चाहता है कि आखिर कब ? आप से ये सवाल शायद
हम नहीं पूछते लेकिन चुनाव से पहले किए गए आपके वादे, जनता से की गई आपकी बातें खामोश
भी तो नहीं रहने देती !
deepaktiwari555@gmail.com