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मंगलवार, 23 अक्तूबर 2012

शर्म करो महाराज !


सतपाल महाराज...इस नाम से तो वाकिफ ही होंगे आप...पेशे से राजनीतिज्ञ हैं...लेकिन टीवी पर अक्सर आपको लोगों को ज्ञान बांटते दिखाई दे जाएंगे। उत्तराखंड की पौड़ी संसदीय सीट से सांसद महाराज अपने संसदीय क्षेत्र के विकास की बजाए लोगों के मन के विकास को ज्यादा तरजीह देते हैं। इनके संसदीय क्षेत्र में आप इनको खोजेंगे तो शायद ये आपको न मिलें...लेकिन टीवी पर धार्मिक चैनलों में आप इनके प्रवचन जरुर सुन सकते हैं। टीवी पर इनके प्रवचन सुनने का मौका मिले तो जरुर सुनिएगा...क्योंकि टीवी पर लोगों को सादगी भरा जीवन जीने का उपदेश देने वाले महाराज की जिस हकीकत से मैं आपको रुबरु कराने जा रहा हैं...उसके बाद शायद आपको मेरी बातों पर विश्वास न हो कि सादा जीवन जीने की बात करने वाले महाराज खुद के जीवन में कितना इसे उतारते हैं। दरअसल 23 अक्टूबर 2012 को महाराज के बेटे श्रद्धेय का विवाह था...विवाह समारोह हरिद्वार में रखा गया था...हम भी महाराज और उनके बेटे को सुखी वैवैहिक जीवन की शुभकामनाएं देते हैं...लेकिन इस शादी में महाराज ने जो किया उसने माहाराज की कथनी और करनी का फर्क साफ जाहिर कर दिया। सादगी पसंद महाराज ने अपने बेटे की शादी को शाही बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अनुमान के मुताबिक सादगी पसंद महाराज ने अपने बेटे की शादी में करीब 100 करोड़ रूपए पानी की तरह बहा दिए। शादी में सिर्फ बिजली पर ही एक करोड़ रूपए खर्च कर दिए...यही नहीं हरिद्वार प्रशासन ने भी महाराज के दरबार में खूब शीश नवाया और जी जान से नियमों को ताक पर रखकर हरिद्वार की जनता के कष्टों की परवाह न करते हुए सारी सुविधाएं मुहैया कराई। हरिद्वार प्रशासन ऐसा करता भी क्यों न सतपाल महाराज की धर्मपत्नी अमृता रावत उत्तराखंड की कैबिनेट मंत्री जो ठहरी। जनता को बिजली मिले या न मिले लेकिन शादी में बिजली की कोई कमी नहीं छोड़ी गई। इसी तरह सजावट, खाने और अन्य चीजों पर भी महाराज ने करोड़ों रूपए पानी की तरह बहा दिए। शाही शादी में शामिल होने के लिए हरिद्वार में देश के तमाम वीआईपी से लेकर राजनेता पहुंचें थे...और हर कोई सादगी पसंद महाराज के शाही तामझाम का लुत्फ उठाने में मशगूल था। सतपाल महाराज ने मेहमानों के लिए अस्थाई टॉयलेट का निर्माण करवाया था...और आपको जानकर हैरानी होगी की गंगा के नाम पर नाम कमाने वाले...गंगा की स्वच्छता की बड़ी बड़ी बातें करने वाले सतपाल महाराज के बेटे की शादी में पंडाल के आसपास बने अस्थाई टॉयलेट का सारा मल मूत्र सीधे गंगा में विसर्जित कर दिया गया। सतपाल महाराज के बेटे की शादी ऐसे वक्त में हुई जब उनके संसदीय क्षेत्र के कई इलाके दैविय आपदा से जूझ रहे हैं...आपदा से जहां कई लोगों को मौत हो चुकी है...वहीं लोगों को घर बार सब आपदा की भेंट चढ़ गया। एक तरफ लोग जहां उनके संसदीय क्षेत्र में दाने दाने को मोहताज थे...वहीं हरिद्वार में जनता के जनप्रतिनिधि अपने बेटे की शाही शादी में करोड़ों रूपए लुटाने में मशगूल थे। अब आप अंदाजा लगा सकते हैं कि सांसद और धर्मगुरु सतपाल महाराज के व्यक्तित्व और कथनी – करनी में कितना फर्क है। सतपाल महाराज की सादगी को पोल ये कोई पहली बार नहीं खुली थी...इससे पहले भी अपने जन्मदिन पर सतपाल महाराज ने हरिद्वार में ऐसा ही तामझाम किया था। बड़ा सवाल ये है कि जब एक राजनेता शादी जैसे समारोह में करोड़ों रूपए लुटाता है उस वक्त हमारे देश की तमाम एजेंसियां कहां छिपी बैठी रहती हैं। आयकर विभाग से लेकर दूसरे तमाम विभागों को ये तामझाम क्या दिखाई नहीं देता...या फिर इसलिए नहीं दिखाई दिया कि राज्य और केन्द्र दोनों जगह कांग्रेस की सरकार है...और सतपाल महाराज भी कांग्रेस से ही ताल्लुक रखते हैं। दिल्ली में बाबा रामदेव या अन्ना हजारे भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन करते हैं तो ये एजेंसियां इनसे आंदोलन में हुए खर्चे का हिसाब किताब मांगने पहुंच जाती हैं...लेकिन सतपाल महाराज जैसे नेता जब शादी में करोड़ों लुटाते हैं तो सब जाने कहां चले जाती हैं। हैरत की बात तो ये भी है कि इस सब के बाद भी सतपाल महाराज जैसे नेता इस सब को गलत नहीं बताते...उन्हें शर्म नहीं आती कि उनके क्षेत्र की जनता दाने दाने को मोहताज हैं...और वो करोड़ों सिर्फ शान ओ शौकत की खातिर लुटा रहे हैं...महाराज को शर्म भले ही न आती हो...लेकिन हमें शर्म जरूर आती है कि ये हमारे जनप्रतिनिधि हैं जो देश की सर्वोच्च संस्था संसद में देश की जनता के कल्याण के लिए फैसले लेते हैं...अब ऐसे नेता जनता का कितना कल्याण सोचते होंगे...ये बताने की जरूरत तो कम से कम अब नहीं बची।
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