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शुक्रवार, 23 दिसंबर 2011

लोकपाल से नहीं...खुद से खत्म होगा भ्रष्टाचार


लोकपाल से नहीं...खुद से खत्म होगा भ्रष्टाचार
 

अन्ना कहते हैं कि सशक्त लोकपाल से भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी...भ्रष्टाचारी सलाखों के पीछे होंगे...जबकि संसद में सरकार द्वारा पेश लोकपाल कमजोर है औऱ इसमें भ्रष्टाचारियों के बच निकलने का रास्ता है। सरकार कहती है संसद में पेश लोकपाल को सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद तैयार किया गया है...औऱ ये भ्रष्टाचार पर लगाम कसने में कारगर साबित होगा...वहीं मुख्य विपक्षी दल भाजपा समेत दूसरी पार्टियां अपने – अपने तर्क देकर संसद में पेश लोकपाल का विरोध कर रहे हैं...लेकिन इस बीच जनमानस के मन में क्या चल रहा है...वो क्या चाहता है...इसका इल्म किसी को नहीं है...लोगों के मन में अभी भी इसको लेकर संशय बरकरार है...कुछ लोग सोचते हैं कि सशक्त लोकपाल बन जाने से भ्रष्टाचार एकदम से खत्म हो जाएगा...जबकि कुछ लोग मानते हैं कि सशक्त लोकपाल आने के बाद भी भ्रष्टाचार पर बहुत ज्यादा लगाम नहीं लग पाएगी। कुल मिलाकर देखा जाए तो चाहे अन्ना जैसा चाहते हैं वैसा लोकपाल आए या फिर सरकारी लोकपाल...आमजन को इससे बहुत ज्यादा सरोकार नहीं है...इसमें कोई दो राय नहीं कि लोकपाल के समर्थन में अन्ना कि मुहिम को देशभर में व्यापक जनसमर्थन मिला...लेकिन सवाल ये भी उठता है कि महज़ लोकपाल बिल पास हो जाने भऱ से भ्रष्टाचार हिंदुस्तान से खत्म हो जाएगा...भ्रष्टाचारी सलाखों के पीछे पहुंच जाएंगे...इसका जवाब देना आपके लिए भी हो सकता है थोडा मुश्किल हो...लेकिन अगर मुझसे इसका जवाब पूछा जाए तो मेरा जवाब होगा...नहीं। निश्चित तौर पर हर कोई चाहता है कि भ्रष्टाचार रूपी रावण का दहन हो...औऱ भ्रष्टाचारियों को सजा मिले...हर कोई चाहता है कि सरकारी दफ्तर में बिना रिश्वत दिए उसका काम हो जाए...अपने किसी काम के लिए सरकारी दफ्तर में उसे अपनी चप्पलें न घिसनी पडे...लेकिन यहां पर मुझे ये कहने में बिल्कुल भी हिचक नहीं होगी कि जिस भ्रष्टाचार से वह निजात पाना चाहता है...असल में उसकी सबसे बडी वजह भी तो वही है...क्योंकि जब आप सरकारी दफ्तर में अपने किसी काम के लिए जाते हैं तो आप चाहते हैं कि आपका काम आसानी से हो जाए...जल्दी हो जाए...इसके लिए आपको ज्यादा परेशानी न उठाना पडे...औऱ वह आप ही तो हैं जो इसके लिए सामने बैठे कर्मचारी – अधिकारी से जल्दी काम करवाने के तरीके पूछते हैं और मिठाई के नाम पर लेनदेन की बात करते हैं। जब तक जनमानस खुद नहीं ठान लेगा कि वह अपने काम को पूरी ईमानदारी से करेगा औऱ अपने किसी काम के लिए किसी भी तरह के भ्रष्टाचार का सहारा नहीं लेगा...किसी सरकारी कर्मचारी – अधिकारी को रिश्वत नहीं देगा...तब तक एक प्रतिशत भ्रष्टाचार भी देश से कम नहीं होने वाला...फिर चाहे अन्ना का लोकपाल आए या फिर सरकारी लोकपाल...तस्वीर नहीं बदलने वाली। अरे साहब भ्रष्टाचार के खिलाफ महज शुरूआत तो कीजिए...बदलाव आएगा...किसी लोकपाल का इंतजार मत कीजिए...ये कोई जादू कि छडी नहीं है जो किसी पर चले औऱ वह ईमानदार हो जाए...और वैसे भी जिन लोगों के कंधे पर लोकपाल के माध्यम से भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई का जिम्मा रहेगा वे भी तो इंसान ही है...हो सकता है कहीं उनका ईमान भी डगमगा जाए...जैसा कहते हैं ना – अगर गल ही रूलाती है...तो राहें भी दिखाती है...मनुज गलती का पुतला है...जो अक्सर हो ही जाती है...। अब तक जो गलतियां हुई उन्हें पीछे छोडो...औऱ भ्रष्टाचार औऱ भ्रष्टाचारियों के खिलाफ आवाज बुलंद करो...निश्चित तौर पर तस्वीर बदलेगी...एक कदम तो आगे बढ़ाईये।

दीपक तिवारी
8800994612

बुधवार, 21 दिसंबर 2011

लोकपाल का डर

लोकपाल का डर



लोकपाल को लेकर हो हल्ला मचा है...सडक से लेकर संसद तक एक ही चर्चा है...अखबार से लेकर टीवी तक एक ही खबर छायी हुई है...लोकपाल...अन्ना कहते हैं कि सशक्त लोकपाल आए...प्रधानमंत्री औऱ सीबीआई इसके दायरे में रहें...आम आदमी का सबसे ज्यादा पाला पडने वाले ग्रुप सी औऱ डी के कर्मचारी इसके दायरे में रहें...अन्ना का इसके पीछे तर्क है कि यह सब लोकपाल में होगा तो भ्रष्टाचार औऱ भ्रष्टाचारियों पर काफी हद तक लगाम लग सकेगी...अब लोकपाल बिल पास होने के बाद इसका कितना असर होगा ये तो समय ही बताएगा...लेकिन लोकपाल के जिन्न ने देश की राजनीति में भूचाल जरूर ला दिया है...एक अनजाना सा खौफ हमारे देश के राजनेताओँ पर छाया हुआ है...देश की राजनीति में खासा दखल रखने वाले दो बडे राज्य यूपी औऱ बिहार के कद्दावर नेता मुलायम सिंह औऱ लालू प्रसाद यादव ने तो इसके खिलाफ संसद में ही आवाज बुलंद कर दी है...मुलायम सिंह कहते हैं कि लोकपाल बिल पास हो गया तो एक मामूली सा दारोगा भी उन्हें जेल भेज देगा...कलेक्टर औऱ एसपी उनकी इज्जत नहीं करेंगे...यहां लालू भी मुलायम सिंह का समर्थन करते दिखे...हम कहते हैं...अरे साहब ऐसा काम ही क्यों करते हो कि कोई दारोगा आपको जेल भेजे...कलेक्टर और एसपी आपकी इज्जत न करें...कहीं न कहीं आपके मन में चोर है इसलिए शायद आप लोकपाल के खिलाफ आवाज़ बुलंद कर रहे हैं...इतने ही ईमानदार आप होते तो एक सशक्त लोकपाल का समर्थन नहीं करते...।
ये तो रही बात यूपी औऱ बिहार के दो महानुभावों कि...बात अगर करें हमारे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी की...क्या वाकई में हमारे देश के प्रधानमंत्री ईमानदार हैं...किसी भी तरह के भ्रष्टाचार में लिप्त नहीं हैं...अरे साहब हम तो कहते हैं कि अगर वाकई में ईमानदार हो...ईमानदारी से देश सेवा कर रहे हो तो फिर डर काहे का...ले आओ न सशक्त लोकपाल...खैर कसूर आपका भी नहीं है...आपकी भी मजबूरी है...आपका तो खुद बुरा हाल है...कहते हैं ना...मुझे दुनिया वालो शराबी न समझो...मैं पीता नहीं हूं पिलायी गयी है...आपको पिलाने वाला तो कोई औऱ ही है...।
केन्द्रीय कैबिनेट की मंजूरी के बाद सरकार लोकपाल बिल को संसद में पेश करने जा रही है...इसके लिए संसद का सत्र भी 29 दिसंबर तक बढाया गया है...सरकार के लोकपाल को लेकर जहां टीम अन्ना ने आंखे तरेर रखी हैं...वहीं मुख्य विपक्षी दल भाजपा समेत अन्य पार्टियों ने भी इसको लेकर कमर कस ली है...औऱ संसद में इस पर जमकर तकरार होने के आसार हैं...।
अब लोकपाल की इस लडाई में जीत किसकी होती है ये तो समय ही बताएगा...लेकिन निश्चित तौर पर लोकपाल का भय़ बिल के पास होने से पहले ही भ्रष्टाचारियों पर दिखाई देने लगा है...उम्मीद करते हैं कि एक सशक्त लोकपाल आए औऱ भ्रष्टाचार में नित नये रिकार्ड बनाते हिंदुस्तान की तस्वीर बदले।


दीपक तिवारी
08800994612
deepaktiwari555@gmail.com