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शनिवार, 5 जून 2010

बड़ा सवाल....जिम्मेदार कौन

           

.....बात निकली है तो फिर दूर तलक जाएगी...जी हाँ ग्वालियर के ऐतिहासिक विक्टोरिया मार्केट में लगी भिसन आग कि लपते शांत होने के बाद भी व्यापारियो के साथ ही ग्वालियर वासियों के दिल में धधक रही हैं. एक पल में ही एक ऐतिहासिक विरासत धूल  में मिल गयी...और धूल में मिल गए करीब उन १५० से ज्यादा व्यापारियो के सपने और भविष्य कि उम्मीदें. ना सिर्फ १५० से ज्यादा दुकाने जल कर ख़ाक हो गई बल्कि इस अग्निकांड में २५ से ३० करोड़ का नुक्सान हुआ सो अलग. ०५ जून १० सुबह ०२ बजे ग्वालियर में हुए इस अग्निकांड ने एक बार फिर से सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर ऐसी विनाशक घटनाओं के लिए कौन जिम्मेदार है. विक्टोरिया मार्केट में व्यापर करने वाले व्यापारी या फिर हादसे के बाद जागने वाला हमारा प्रशासन. दो टूक कहूँ तो इसकी जिम्मेदारी न ही अकेली प्रशासन कि है और ना ही व्यापारियों कि...इसके लिया दोनों बराबर के जिम्मेदार हैं.....व्यापारियो ने जहाँ मुनाफे और धंधे को बढ़ने के चक्कर में नियमो कि अनदेखी कर विक्टोरिया मार्केट को एक सब्जी बाजार में तब्दील कर दिया था....एक दूसरे से आगे निकलने कि होड़ में दुकान अन्दर कम  बहार ज्यादा नजर आती थी .....व्यापारियो ने अपने फायदे के तो सारे इन्तेजाम किये थे विक्टोरिया मार्केट में...लेकिन सुरक्षा को लेकर अनदेखी ही उन्हें आखिरकार भारी  पड़ गयी. वहीँ प्रशासन ने भी इस ओर कोई धयान नहीं दिया जिसका नतीजा आज कि घटना से लगाया जा सकता है....अभी भी समय है आगे ऐसी घटनाएं रोकने के लिए इस घटना से सबक लेना जरुरी है...ताकि भविष्य में इनकी पुनरावृति रोकी जा सके.....वरना फिर ऐसी घटनायो कि पुनरावृति होती रहेगी. 

रविवार, 30 मई 2010

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नक्सलवाद...आतंकवाद से बड़ा खतरा।



आज हम पडोसी देश में पनप रहे आतंकवाद से निपटने की बात करते हैं। देश के सुरक्षा खर्च पर करोडो रूपये खर्च कर रहे हैं। लेकिन आज आतंकवाद से बड़ा खतरा हमारे देश में पनप रहा है, और वह खतरा है नक्सलवाद, जो समय -समय पर कभी निर्दोष लोगो की जान लेकर तो कभी हमारे वीर जवानों का खून बहाकर सरकार को अपनी ताकत का एहसास करता रहता है...और हाल में छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल में हुई नाक्साली वारदातों ने पर मुहर भी लगा दी है। बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, झारखण्ड और छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों में नक्सलवाद आज एक नासूर की तरह फ़ैल चूका है...लेकिन नक्सलवाद को ख़त्म करने की बजाये हमारी सरकार उन्हें बात करने का न्योता दे रही हैं। नक्सली लगातार निर्दोष लोगो की हत्या कर रहे हैं, और हम उन्हें बातचीत की लिए आमंत्रित कर रहे हैं। आखिर क्यों नक्सलियों के खिलाफ बड़ी कारवाही नहीं की जा रही...इसका जवाब शायद हमारी सरकार के पास नहीं है। क्योंकि कमबख्त राजनीती बड़ी खराब भी चीज है...हर जगह आड़े आ जाती है...आखिर यही तो मौका है राजनैतिक दलों को अपनी राजनीती चमकाने का...बेगुनाह लोग मरते रहे, वीर जवान शहीद होते रहें...उन्हें क्या फर्क पड़ता है...उनमे कोई उनका अपना तो नहीं है ना....शायद होता तो उन्हें भी किसी अपने के खोने का एहसास होता...उन्हें तो बस ख़बरों में रहना आता है। अब वक़्त आ गया है की राज्य सरकारें और केंद्र सरकार जागे, इस संवेदनशील मुद्दे पर राजनीति करने की बजाये...एक दूसरे पर दोष मढ़ने की बजाये एकजुट होकर नासूर की तरह भारत में फ़ैल रहे नक्सलवाद को जड़ से समाप्त करने के लिए कारगर कदम उठाये....क्योंकि सरकारें अभी भी नहीं जागी तो आने वाले कल की तस्वीर और भी भयावह होगी। नक्सलियों के खिलाफ सख्त कदम उठा कर जंगलो में में घुसकर उनको खत्म करना होगा क्योंकि जब तक हम अपने देश के अन्दर बैठे दुशमन (नक्सलवाद) को खत्म नहीं करेंगे...पडोसी देशों में पनप रहे आतंकवाद के खतरे से हम नहीं लड़ पाएंगे।
deepaktiwari555@gmail.com