गंगा
कब बनेगी लंदन की टेम्स !
टेम्स नदी को लंदन
की गंगा भी कहा जाता है। करीब 80 लाख की आबादी वाला लंदन शहर टेम्स के किनारे बसा
है। टेम्स नदी चैल्थनम में सेवेन स्प्रिंग्स से निकलती है और ऑक्सफार्ड, रैडिंग,
मेडनहैड, विंड्सर, ईटन और लंदन जैसे शहरों से होती हुई 346 किलोमीटर की यात्रा
पूरी कर इंग्लिश चैनल में जाकर गिरती है। टेम्स कभी दुनिया का सबसे व्यस्त जलमार्ग
हुआ करता था। लंदन की आबादी बढ़ने के साथ ही टेम्स नदी में भी प्रदूषण बढ़ता गया। टेम्स
नदी की सफाई के लिए हालांकि समय समय पर लंदन में कई अभियान शुरू किए गए...लेकिन
2000 में शुरू हुई टेम्स रिवर क्लीन अप अभियान टेम्स के लिए वरदान साबित हुआ। इस
अभियान के तहत साल में तय एक दिन चैल्थनम, ऑक्सफार्ड, रैडिंग, मेडनहैड, विंड्सर,
ईटन और लंदन जहां जहां से टेम्स नदी गुजरती है...हर जगह लोग एकत्र होकर नदी की
सफाई करते हैं। पिछले 13 सालों से टेम्स रिवर क्लीन अप अभियान निरंतर जारी है...2012
में इस अभियान के तहत 21 अप्रेल को टेम्स नदी की सफाई की थी। इस अभियान की खास बात
ये है कि सफाई के लिए टेम्स के तट पर पहुंचने वाले सभी लोग सफाई का सारा सामान
अपने साथ लेकर आते हैं...और साल में तय उस दिन पूरी 346 किलोमीटर लंबी टेम्स नदी
की सफाई की जाती है...ताकि किसी भी एक हिस्से में गंदगी रहने पर पूरी नदी फिर से
प्रदूषित न हो जाए। ये वहां के लोगों के जज्बे और इच्छाशक्ति का ही नतीजा है कि बहुत
कम समय में ही अपने बल पर वहां के लोगों ने टेम्स को वापस उसके पुराने स्वरूप में
लौटा दिया। लंदन पर्यावरण विभाग के अधिकारियों ने भी टेम्स को उतना ही स्वच्छ
बताया है...जितनी स्वच्छ टेम्स आज से डेढ़ सौ साल पहले थी। ये तो बात थी ब्रिटेन
की गंगा की…एक गंगा हिंदुस्तान में भी है...जो यहां
बसने वाले लोगों के लिए सिर्फ नदी नहीं बल्कि आस्था का वो सैलाब है जिसमें डुबकी
लगाकर हर कोई अपने आप को पापों से मुक्त समझता है। गोमुख से गंगासागर तक पच्चीस सौ
पच्चीस किलोमीटर की लंबी यात्रा में गंगा इसके किनारे बसने वाले करीब 40 करोड़
लोगों को तारते हुए चलती है...लेकिन इस गंगा का जल अब गंदा जल हो गया है...ये हम
नहीं कह रहे समय समय पर आ रही रिपोर्ट ने इसे साबित कर दिया है। ऐसे में सवाल ये
उठता है कि जब लंदन में करीब एक करोड लोग 346 किलोमीटर लंबी टेम्स को साल में एक
दिन साफ कर सकते हैं तो क्या हम पच्चीस सौ पच्चीस किलोमीटर लंबी गंगा को एक दिन में...चलिए
माना एक दिन में मुश्किल है...एक महीना में...एक महीने भी अगर ज्यादा लगता है...तो
क्या एक साल में तो साफ कर सकते हैं...पूरी तरह साफ नहीं कर सकते तो इसकी शुरूआत
तो कर सकते हैं...इसमें गंदगी को जाने से तो रोक सकते हैं। ऐसा नहीं है कि हमारे
यहां गंगा की सफाई के लिए अभियान न छेड़े गए हों...सरकार ने कुछ न किया हो...ये सब
हुआ...इसके लिए अब तक करोड़ों रूपए खर्च भी किए जा चुके हैं...लेकिन ये पैसा कहां
खर्च हुआ...गंगा कितनी साफ हुई ये किसी से छुपा नहीं है। स्वच्छ गंगा के लिए एसी
कमरों में बड़ी बड़ी बहस तो होती हैं...धरने प्रदर्शन भी होते हैं...लेकिन गंगा की
सफाई के लिए हाथ नहीं उठते...जो करेगी सरकार करेगी...ये जिम्मेदारी सरकार की है...गंगा
जिसे हम मां कहते हैं उसकी सफाई के लिए...उसे स्वच्छ रखने के लिए हमारी कोई
जिम्मेदारी नहीं है...एक बार सोचिएगा जरूर...जवाब आपके पास ही है...बस जरूरत है उस
पर अमल करने की...और यकीन मानिए जिस दिन इस पर अमल हो जाएगा...गंगा को अपने पुराने
स्वरूप में आने में देर नहीं लगेगी।
दीपक तिवारी
deepaktiwari555@gmail.com