हमारे देश के अब तक
के प्रधानमंत्रियों में “मौनी बाबा” नाम का पेटेंट तो
मनमोहन सिंह के पास ही था लेकिन कुछ मामलों में अब मनमोहन सिंह के पेटेंट पर खतरा
मंडराने लगा है। इस अनचाहे पेटेंट से तो मनमोहन सिंह क्या कोई भी बचना चाहेगा, ऐसे
में इस पेटेंट को चुनौती मिलती देख खुश तो मनमोहन सिंह भी बहुत होंगे। आखिर कोई तो
मिला जो इस मामले में उनकी बराबरी पर खड़ा दिखाई देने लगा है।
बात मनमोहन सिंह के
बाद देश की पीएम कि कुर्सी पर विराजमान नरेन्द्र दामोदर दास मोदी की हो रही है। एक
साल में मोदी सरकार ने जनता से किए कितने वादे पूरे किए ये तो बाद की बात है। सवाल
अब कुछ मामलों में मोदी की रहस्यमयी चुप्पी पर उठने लगे हैं। ऐसे नहीं है कि दहाड़
मारने वाले नरेन्द्र मोदी अब मनमोहन सिंह हो गए हैं। लेकिन जब सवाल उनके मंत्रिमंडल
सहयोगी, पार्टी के विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री या पार्टी नेताओं पर उठते हैं
तो उन पर पीएम मोदी की चुप्पी खलती है।
बात ललित मोदी से
रिश्तों को लेकर घिरी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की हो, फर्जी डिग्री विवाद में
घिरी मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी की हो, ललित मोदी से ही रिश्तों को
लेकर सुर्खियों में आई राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे हो या फिर खूनी
घोटाले के नाम से विख्यात हो चुके व्यापंम घोटाले में घिरे मध्य प्रदेश के
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और कथित चावल घोटाले में सवालों में आए छत्तीसगढ़
के मुख्यमंत्री रमन सिंह की हों। पीएम मोदी इन मामलो में मौन ही रहे।
इन मामलों में मोदी
की “मौनी” इमेज सोचने पर
मजबूर करते हैं कि आखिर क्यों विपक्ष पर निशाना साधने का कोई मौका नहीं छोड़ने
वाले मोदी, जनता से “मन की बात” करने वाले पीएम मोदी
इन पर क्यों “मौन” हो जाते हैं।
ऐसा नहीं है कि पीएम
बनने के बाद मोदी ने चुप्पी साध ली है। पीएम मोदी खूब दहाड़ रहे हैं, देश से लेकर विदेश
में उनकी गूंज सुनाई दे रही है। लेकिन अहम ओहदे पर बैठी सुषमा, स्मृति, वसुंधरा,
शिवराज और रमन सिंह के मामलों में पीएम चुप्पी साधे हुए हैं।
पीएम मोदी को हो
सकता है अपने सहयोगियों पर जरूरत से ज्यादा भरोसा हो, विपक्ष के आरोप राजनीति से
प्रेरित लगते हों, लेकिन सवाल यही कि फिर वे इन पर खामोश क्यों हैं ? प्रधानमंत्री होने
के नाते इन सब पर उनकी सोच सार्वजनिक होना तो बनता ही है।
इन मुद्दों पर मोदी
क्यों खामोश हैं, ये तो वे ही बेहतर जानते होंगे लेकिन मोदी की ये खामोशी अब चुभने
लगी है, कुछ मामलों में मोदी को मनमोहन सिंह बनाने में लगी है।
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