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बुधवार, 14 मार्च 2012

कुर्सी बडी चीज है


कुर्सी बडी चीज है

बहुगुणा को मुख्यमंत्री की कुर्सी क्या मिली मानो प्रदेश कांग्रेस में भूचाल आ गया...राजनीती में कुर्सी बडी चीज है...ऐसे में कुर्सी की आस लगाए बैठे कांग्रेसियों से मानो उनका सब कुछ छीन लिया गया हो। कुर्सी के सबसे प्रबल दावेदार केन्द्रीय मंत्री हरीश रावत औऱ उनके समर्थको विधायकों ने कुर्सी हाथ से निकलती देख बगावत कर दी। नतीजन देहरादून में शपथ ग्रहण समारोह में सिर्फ गिनती के ही विधायक पहुंचे...तो सरकार के भविष्य पर भी सवाल उठने लगे...हरीश रावत औऱ उनके समर्थकों के बगावती तेवरों को देख लगने लगा था कि कुर्सी की लडाई कांग्रेस को ले डूबेगी...लेकिन दिल्ली में आज के घटनाक्रम के बाद इसमें विराम लगता दिखाई दे रहा है। हरीश रावत आज संसद के बजट सत्र में नहीं पहुंचे...उनके समर्थक सांसद प्रदीप टम्टा भी संसद से नदारद रहे। माना जा रहा था कि हरीश रावत और उनके समर्थक विधायकों के बगावती तेवर औऱ उग्र हो सकते हैं...लेकिन दिल्ली में मौजूद कांग्रेसी सूत्रों की मानें तो हरीश रावत ने आज अपने सरकारी निवास पर समर्थक विधायकों औऱ सांसद प्रदीप टम्टा के साथ चर्चा के बाद नरम रूख अपनाने का फैसला लिया है। सूत्रों की मानें तो हरीश रावत आलाकमान के सामने शक्ति प्रदर्शन करना चाहते थे कि आलाकमान ने उनको कुर्सी ना सौंप गलत फैसला लिया है...औऱ भविष्य़ में उनको नजरअंदाज किया गया तो कम से कम उत्तराखंड में कांग्रेस के लिए भारी मुश्किलें खडी हो सकती हैं। हरीश रावत का ये भी कहना है कि बहुगुणा को सीएम बनाने से पहले आलाकमान ने उनसे कोई चर्चा नहीं की...जब्कि वे 40 सालों से उत्तराखंड की राजनीति में सक्रिय हैं। बहरहाल हरीश रावत पार्टी को अपनी शक्ति दिखाना चाहते थे...जो उन्होंने दिखा भी दिया...ऐसे में हरीश रावत के तेवर नरम पडने के बाद बहुगुणा के लिए ये जरूर राहत भरी खबर है...वहीं आलाकमान हरीश रावत को कैबिनेट मंत्री का ईनाम देती है या फिर हरीश रावत औऱ उनके समर्थकों को बगावत की सजा...ये तो वक्त ही बताएगा...फिलहाल मुख्यमंत्री बहुगुणा जरूर कह रहे होंगे...थैंक्यू हरीश रावत।

दीपक तिवारी

रेल का सपना


रेल का सपना
रेल बजट से उत्तराखंड वासियों को इस बार बडी उम्मीद थी...कि शायद इस बार बजट में रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी पहाड में रेल चढाने के लिए बजट में जरूर इसे शामिल करेगे...लोगों की ये उम्मीद बेवजह भी नहीं थी...इसके पीछे की एक बडी वजह थी...प्रदेश के पांचों सांसद औऱ सभी के सभी कांग्रेसी...और केन्द्र में सरकार भी कांग्रेस की...लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात...रेल मंत्री ने बजट में उत्तराखंड को दरककिनार कर दिया। हालांकि रेल बजट पेश करने से पहले दिनेश त्रिवेदी का कहना था कि बजट से पहले सभी सांसदों औऱ सभी प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों से सलाह मशवरा किया गया है...ताकि हर राज्य के लिए बजट में कुछ ना कुछ हो...लेकिन बजट पेश होने के बाद साफ हो गया कि रेल मंत्री की बातों में कितना दम था। बजट में उत्तराखंड के उपेक्षित रहने के पीछे बडी वजह प्रदेश के पांचों कांग्रेसी सांसद हरीश रावत, प्रदीप टम्टा, के सी सिंह बाबा, सतपाल महाराज और विजय बहुगुणा भी है...जाहिर है ये पांचों सांसद प्रदेश की जनता का आवाज़ को पुरजोर तरीके से रेल मंत्री के सामने नहीं रख पाए...जिस वजह से छुकछुक गाडी में सफर करना पहाड के लोगों के लिए एक सपने की तरह रह गया। खास बात यह है कि आजादी के बाद से भारतीय़ रेल ने लंबी छलांग लगायी...लेकिन उत्तराखंड में आज़ादी के बाद से एक किमी भी नई रेल लाईन नहीं बिछ पायी...इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि उत्तराखंड कितना उपेक्षित रहा है। हालांकि कुछ समय पहले रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी ने गौचर में ऋषिकेश से लेकर कर्णप्रयाग तक की प्रस्तावित रेल लाईन का शिलान्यास किया था...लेकिन ये प्रस्तावित रेल मार्ग जमीन के मसले को लेकर राजनीति की भेंट चढ गया...ऐसा ही कुछ हाल चंपावत – बागेश्वर रेल लाईन का भी हुआ जो सर्वे हो जाने के बाद भी अधर में लटकी हुई है। हालत ये है कि उत्तराखंड में रेल मैदान को छूती हुई ही निकल जाती है...औऱ पहाड के लिए रेल आज भी एक सपना बना हुआ है। जिन मैदानी इलाकों में रेल सेवा है भी वहां के लोग लंबे समय से देश के प्रमुख शहरों के लिए सीधी रेल सेवा की मांग कर रहे हैं...लेकिन उनकी ये आवाज दिल्ली पहुंचने से पहले ही दम तोड देती है। बहरहाल उत्तराखंड में अपनी महत्वकांक्षाओं को पूरा करने को लेकर प्रदेश के सांसद अपनी ही पार्टी के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद करते नहीं थकते...लेकिन प्रदेश के विकास के लिए प्रदेशवासियों के लिए उनके पास समय नहीं है...शायद यही वजह है कि रेल के नक्शे में उत्तराखंड का वजूद ना के बराबर है...औऱ पहाड पर रेल का चलना पहाड के लोगों के लिए किसी सपने से कम नहीं है। उम्मीद करते हैं कि शायद हमारे सांसद दिल्ली में अपनी आवाज प्रदेश की जनता के लिए बुलंद करेंगे ताकि पहाड का विकास हो यहां के लोगों को विकास हो...औऱ अगला रेल बजट उत्तराखंड के लिए खुशियों की सौगात लेकर आये।
दीपक तिवारी