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शनिवार, 4 मई 2013

भांजा चला रहा मामा की रेल..!


मामा की रेलगाड़ी पर शाही सवारी कर करोड़ों के वारे न्यारे कर रहे भांजे पर सीबीआई का शिकंजा क्या कसा मामा ने रेलगाड़ी से भांजे का डिब्बा ही गोल कर दिया..! मामा अब कहते फिर रहे हैं कि सरकारी कामकाज में उनके किसी रिश्तेदार का कोई हस्तक्षेप नहीं है और इस घूसकांड की उनका कोई लेना देना नहीं है  लेकिन मामा की ये दलील गले नहीं उतरती कि बिना उनकी जानकारी के उनका भांजा करोड़ों के वारे न्यारे कर रहा है..! भरोसा हो भी तो कैसे..? रेलवे विभाग में किसी छोटे कर्मचारी या अधिकारी से प्रमोशन के बदले रिश्वत लेने की बात होती तो समझ में भी आती  लेकिन रेलवे बोर्ड के मेंबर से मनचाही कुर्सी के बदले दो करोड़ की डील करना और 90 लाख रूपए की पहली किश्त हासिल करना हर किसी के बूते की बात तो है नहीं..!  
जाहिर है इस मलाईदार पोस्ट के लिए रिश्वत देने वाले महेश कुमार भी छोटे खिलाड़ी तो होंगी नहीं कि किसी से भी दो करोड़ की डील कर 90 लाख रुपए की पहली किश्त दे भी दें...! उन्हें सामने वाले की बात और पहुंच के वजन का अंदाजा होगा और सामने से कोई ठोस भरोसा मिला होगा तभी उन्होंने 90 लाख रुपए ढीले किए होंगे...!
हैरानी की बात तो ये है कि रेलवे बोर्ड में मेंबर (इलेक्ट्रिकल) जैसी मलाईदार पोस्ट पाने के लिए रेलमंत्री के भांजे विजय सिंगला ने महेश कुमार से दस करोड़ रुपए की मांग की थी लेकिन मामला दो करोड़ में सैटल हुआ था..!
सोचिए जिस पद के लिए महेश कुमार दो करोड़ रुपए की रिश्वत देने को तैयार हो गए थे आखिर उस कुर्सी पर बैठने के बाद महेश कुमार जैसे अधिकारी देश को कितना लूटते..! जाहिर है महेश कुमार दो करोड़ रुपए रिश्वत देकर अगर वो कुर्सी हासिल करते तो इस कुर्सी के बल वे रिश्वत की रकम के कई गुना के वारे न्यारे भी करते..!
फिलहाल तो महेश कुमार सीबीआई की गिरफ्त में हैं और उनका रेलवे बोर्ड में मेंबर (इलेक्ट्रिकल) बनने के सपने पर सीबीआई ग्रहण लगा चुकी है।
भांजे की गिरफ्तारी के बाद कठघरे में खड़े मामा कुछ भी कहें लेकिन यहां दाल में काला नहीं है बल्कि पूरी दाल ही काली नजर आ रही है और इस काली दाल के लिए भांजे के साथ ही मामा की भूमिका भी बराबर शक के घेरे में है..!
हालांकि मामा ने भरोसा दिलाया है कि इस मामले में सीबीआई निष्पक्ष तरीके से काम करेगी। मामा के इस बयान से तो यही लगता है कि जैसे दूसरे मामलों में सीबीआई निष्पक्ष तरीके से जांच नहीं करती लेकिन इस मामले में करेगी..! दूसरे मामलों की तरह कितनी निष्पक्ष जांच होगी ये बताने की जरूरत नहीं है..! बस सीबीआई निदेशक रंजीतसिन्हा कोलगेट मामले की तरह किसी तरह की रिपोर्ट रेलमंत्री से या पीएमओ के पास चैक कराने न ले जाएं..! (जरूर पढ़ें- क्यों दें कानून मंत्री इस्तीफा..?)
वैसे भी जब पार्टी ने घूसकांड में भांजे की गिरफ्तारी के बाद भी जब मामा का इस्तीफा लेने की बजाए बचाव शुरु कर दिया हो तो फिर क्यों कोई रेलमंत्री की कुर्सी छोड़ेगा..! कुर्सी वो भी केन्द्रीय मंत्री की इतनी आसाने से तो मिलती नहीं...कुर्सी के लिए नेतागण क्या - क्या जतन नहीं करते..?

deepaktiwari555@gmail.com

शुक्रवार, 3 मई 2013

कब तक आंख रोएगी..?


वो जिंदा था तो हमारी सरकार सोयी हुई थी..! वह बोल सकता था तो उसकी आवाज हमारी सरकार के कानों तक पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देती थी..! एक साजिश के बाद उसकी रूह ने उसके शरीर का साथ छोड़ दिया तो भारत सरकार भी नींद से जाग गई..! अब उसके ठंडे पड़ गए शरीर और शांत पड़े लबों की गूंज भी 7 रेसकोर्स से लेकर 10 जनपथ तक सुनाई दे रही है लेकिन अब क्या हो सकता है..? हो सकता है न...आसुओं पर राजनीतिक रोटियां सेंककर वोटबैंक को बढ़ाने का काम..! जो पूरी तल्लीनता के साथ हो भी रहा है..!
घड़ियाली आंसू बहाए जा रहे हैं तो सरकारी इमदाद के नाम पर आंसुओं को पोंछने का काम किया जा रहा है। लेकिन हर जगह राजनीति चमकाने वाले इन नेताओं को कौन समझाए कि घडियाली आसुंओं और सरकारी इमदाद से ठंडे शरीर में जान वापस नहीं आ जाती..!  एक बहन को उसका भाई वापस नहीं मिल सकता..! एक पत्नी को उसका सुहाग वापस नहीं मिल सकता तो एक बच्चों के सिर पर पिता का साया वापस नहीं आ सकता..!
सरबजीत के जाने के बाद अब पाकिस्तान सरकार से सरबजीत की हत्या की पूरी जांच करने और दोषियों को सजा दिलाने की मांग सरकार कर रही है लेकिन इतना तो समझो भारत के तारणहारों कि अगर पाकिस्तान में मामले की जांच भी होती है तो क्या हो जाएगा..?
क्या ये जांच निष्पक्ष होगी..? क्या जांच के बाद दोषियों को उनके अंजाम तक पहुंचाया जाएगा..? जाहिर है इसकी उम्मीद न के बराबर है।
जब भारत की जांच एजेंसियों पर भारत के लोगों को भरोसा नहीं तो पाकिस्तानी जांच एजेंसियों की निष्पक्षता पर कैसे भारत के लोग भरोसा करेंगे..!
जांच होती भी है तो जो परिणाम आएगा वह सबको मालूम ही है ऐसे में क्यों पाकिस्तान के सामने जांच की मांग को लेकर गिड़गिड़ा रहे हो..!
अक्सर सब कुछ लुट जाने के बाद हरकत में आने वाली भारत सरकार से बस इतनी सी दरख्वास्त है कि हो सके तो इतना जरूर कर देना कि भविष्य में कोई और सरबजीत की मौत न मरने पाए..! जीते जी कोई सरबजीत आवाज दे तो उसकी आवाज सुन लेना और कुछ अनहोनी होने से पहले ही हरकत में आ जाना..! ताकि किसी सुहागिन का सुहाग उजडने से बच जाए और बच्चों के सिर पर पिता का साया बना रहे..!
वर्ना भारत में तो मानो अब इस सबकी आदत सी हो गयी है...जिस पर ये मशहूर शेर एकदम सटीक बैठता है..!

कब तक आंख रोएगी, कहां तक किसी का गम होगा।
मेरे जैसा तो कोई न कोई, यहां रोज कम होगा।।

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गुरुवार, 2 मई 2013

और कितने थप्पड़ खाओगे..?


उल्टा चोर कोतवाल को डांटे...ये कहावत तो सुनी ही होगी आपने। भारतीय सीमा में घुसपैठ के बाद अपने तंबू गाढ़ के बैठे चीन पर ये कहावत खूब चरितार्थ हो रही है। नभाटा में छपी ख़बर के मुताबिक भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ के बाद अब चीन उल्टा भारत को धमकी भी दे रहा है कि लद्दाक में घुसपैठ के मसले पर अगर भारत ने चीन को उकसया तो चीन इसे बर्दाश्त नहीं करेगा। (पढ़ें ख़बर - भारत ने उकसाया तो बर्दाश्त नहीं करेंगेः चीन)।
गांधी जी के तीन बंदरों का असर किसी पर हो या न हो लेकिन मनमोहन सरकार गांधी जी के तीनों बंदरों के प्रभाव में खूब दिखाई दे रही है..! मनमोहन सरकार को न तो चीनी सैनिकों की घुसपैठ दिखाई दे रही है...न ही घुसपैठ के बाद देशवासियों के आक्रोश के स्वर सुनाई दे रहे हैं और तो और सरकार घुसपैठ पर चीनी धमकी के बाद भी कुछ बोलने को तैयार नहीं है..! हालांकि कुछ न बोलने वाली खूबी तो सरकार के मुखिया मनमोहन सिंह में कूट कूट कर भरी हुई है..! (जरूर पढ़ें- वर्ना बदल जाएगा भारत का नक्शा..!)
चीन चोरी करने के बाद सीना जोरी कर रहा है और हमारे माननीय विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद चीन जाने की तैयारी कर रहे हैं। चीनी की सीना जोरी के बाद भी हमारी सरकार को पूरा भरोसा है कि चीन उनकी विनती को सुनेगा और तुरंत अपने सैनिकों को वापस बुला लेगा..!  (जरूर पढ़ें- सिर्फ 40 चीनी सैनिक ही तो हैं..!)
गांधी जी की ही एक और बात का असर हमारी सरकार में शामिल लोगों में साफ दिखाई दे रहा है। गांधी जी कहते थे कि कोई तुम्हारे एक गाल पर थप्पड़ मारे तो अपना दूसरा गाल उसके आगे कर दो। भारत सरकार भी गांधी जी के इसी सिद्धांत पर चल रही है। चीन ने पहले घुसपैठ की तो भारत सरकार ने चुप्पी साधकर चीन का हौसला बढ़ाने का काम किया..! अब चीन को गांधी जी के सिद्धांत से क्या लेना..? उसने घुसपैठ के बाद अब दादागिरी दिखाते हुए भारत को धमकाना शुरु कर दिया है कि अगर भारत ने उकसाया तो चीन इसे बर्दाश्त नहीं करेगा..!
ऐसा नहीं है कि भारत की एक गाल पर थप्पड़ खाने के बाद दूसरा गाल आगे करने की नीति सिर्फ चीन के मामले में ही है..! अपने दूसरे पड़ोसी पाकिस्तान के मामले में तो भारत और भी दो कदम आगे है..! पाकिस्तान बरसों से भारत के गाल पर थप्पड़ जड़ता आ रहा है और भारत हर बार पाकिस्तान के सामने अपना दूसरा गाल आगे कर देता है..! पाकिस्तान तो भारत की इस आदत को जानता है इसलिए इसका पूरा फायदा भी उठाता है..! एक बार दूध का जला भी छाछ फूंक-फूंक कर पीता है लेकिन भारत सरकार को तो लगता है जैसे इस सब की आदत सी हो गयी है..! (जरूर पढ़ें- ये हंसी ठहाके में न बदल जाए..!)
अब भी वक्त है मनमोहन सिंह जी संभल जाओ...कब तक एक गाल पर थप्पड़ खाकर दूसरा गाल आगे करते रहोगे..! अब वक्त बदल गया है..अब एक गाल पर थप्पड़ खाने के पर दूसरा गाल आगे करने का वक्त नहीं बल्कि सामने वाले को जोरदार तमाचा जड़ने का वक्त है ताकि भारत को लेकर सामने वाले खासकर चीन और पाकिस्तान की गलतफहमी भी दूर हो और कोई तीसरा भारत की ओर सिर उठा कर देखने की जुर्रत न करे..!

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और कितने सरबजीत..?


आखिरकार सरबजीत की सांसें थम गयीं और सरबजीत के परिवार के वाघा बार्डर पार करने के साथ ही सरबजीत ने भी अपने शरीर को त्याग कर पाक सरहद को लांघ ही लिया। पाकिस्तान में सरबजीत की मौत के साथ ही खत्म हो गया पाकिस्तान सरकार से सरबजीत की रिहाई का वो किस्सा...जो अक्सर भारत और पाकिस्तान सरकार की बातचीत का अहम हिस्सा हुआ करता था। पाकिस्तान के लिए न सही लेकिन कम से कम भारत के लिए तो सरबजीत की रिहाई अहम मुद्दा थी ही..! ये बात अलग है कि इस सच को भारत सरकार में शामिल लोगों से बेहतर कौन जानता होगा कि उन्होंने ईमानदारी से सरबजीत की रिहाई के लिए कितने प्रयास किए..?

सरबजीत पाकिस्तान जेल में बंद सिर्फ एक भारतीय कैदी ही नही था बल्कि वो एक उदाहरण है कि उसके जैसे जाने कितने सरबजीत पाकिस्तानी जेलों में सालों से सड़ रहे हैं जिसका पता न तो उनके परिजनों को है और न ही हमारी सरकार को..! 1971 की जंग में शामिल कई भारतीय सैनिकों का कुछ पता नहीं चला...न ही उनका शरीर मिला और न ही उनकी कोई ख़बर..? कहा तो ये भी जाता है कि 1971 जंग के ऐसे कई सैनिक पाक जेलों में बंद हैं..!
पाकिस्तान में सरबजीत की मौत सिर्फ पाक जेल में बंद एक भारतीय कैदी की मौत नहीं है बल्कि ये बिना किसी अपराध के पाक जेलों में बंद भारतीय कैदियों की रिहाई की उम्मीद पर भी एक बड़ा कुठाराघात है..! पाक की कोट लखपत जेल में सरबजीत पर हुए हमले के बाद वहां की जेलों में बंद दूसरे भारतीय कैदियों के साथ ही उनके परिजनों के बेचैनी बढ़ना लाजिमी हैं..!
कोट लखपत जेल में सरबजीत पर हुआ हमला एक सामान्य घटना तो नहीं है...जान का खतरा होने की ख़बर होने के बाद भी पाक सरकार और जेल प्रशासन की लापरवाही क्या दर्शाती है..? जाहिर है ये पाकिस्तानी कैदियों का आवेश में किया गया हमला नहीं था बल्कि एक सोची समझी साजिश थी..!
हमले के बाद अस्पताल ले जाने में की गयी देरी और ईलाज में लापरवाही क्या दर्शाती है..? जाहिर है ये सब भी साजिश का ही एक हिस्सा था..!
सवाल सिर्फ पाकिस्तान पर ही नहीं उठते बल्कि भारत सरकार पर भी उठते हैं..! भारत सरकार चाहे वो किसी भी दल की रही हो। सरकार में शामिल लोगों ने शुरु से ही पाक कि नापाक हरकतों पर खामोशी की चादर ओढ़कर अपनी एक कमजोरी छवि पेश की है..!
सीमा पर आए दिन होने वाली पाकिस्तानी घुसपैठ हो या फिर भारत में हुए बम धमाके...पाकिस्तानी आतंकियों का हाथ होने की पूरी जानकारी और सबूत होने के बाद भी भारत ने कभी पाकिस्तान पर बड़ा दबाव बनाने या फिर पाकिस्तान के खिलाफ आक्रमक रुख नहीं अपनाया..! पाकिस्तान भारत के मोस्ट वांटेड आतंकियों को पनाह देता रहा और भारत पाकिस्तान के साथ कभी क्रिकेट खेलते रहा तो कभी आपसी संबंधों को बेहतर बनाने की कोशिश करता रहा..!
इस सब से भारत को मिला क्या..? पाक का चरित्र तो नहीं बदला लेकिन भारत में कभी धमाकों में निर्दोष लोगों की मौत की ख़बरें आती रहीं तो कभी सीमा पर घुसपैठ और हमारे जवानों के शहीद होने की दुखद ख़बर..!
सरबजीत तो नहीं रहा लेकिन एक बार फिर से सरबजीत के बहाने पाक के दोहरे रवैये पर भारत के हमेशा नरम रहे रुख पर सवाल उठने लगे हैं..? भारत सरकार ने अब भी पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रुख नहीं अपनाया तो भारत में बम धमाके होते रहेंगे...सीमा पर घुसपैठ होती रहेगी और ऐसे ही जाने कितने सरबजीत गुमनानी के अंधेरे में पाकिस्तान की जेलों में में दम तोड़ते रहेंगे..! उम्मीद है कि अब भारत सरकार गहरी नींद से जागेगी और पाक की पीठ में छुरा घोंपने वाली आदत को समझते हुए पाक को हर मोर्चे पर करारा जवाब देगी..! ।।जय हिन्द।।

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बुधवार, 1 मई 2013

क्यों दें कानून मंत्री इस्तीफा..?


कोलगोट पर सीबीआई की स्टेटस रिपोर्ट में सरकार के दखल को लेकर सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी के बाद भी सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा को लगता है अक्ल नहीं आई..! कोर्ट की फटकार के बाद भी सीबीआई डायरेक्टर कहते सुनाई दिए कि सीबीआई स्वायत नहीं है और सरकार का ही हिस्सा है। सिन्हा साहब ये भी कहते हैं कि उन्होंने रिपोर्ट माननीय कानून मंत्री अश्विनि कुमार को दिखाई थी। वैसे सिन्हा साहब ने क्या गलत कहा..?
ये तो पूरा हिंदुस्तान जानता है कि सीबीआई स्वायत नहीं है और कैसे-कैसे कार्य करती है...कोलगेट पर सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई के हलफनामे से ये जाहिर भी हो गया लेकिन जिस अंदाज में सीबीआई निदेशक ने सुप्रीम कोर्ट की फटकार के तुरंत बाद सीबीआई पर अपना ज्ञान बघारा उसके बाद सीबीआई निदेशक पद पर रंजीत सिन्हा की नियुक्ति और सीबीआई और सरकार के बीच का खेल भी सार्वजनिक हो गया कि किस तरह सरकार के इशारे पर सीबीआई काम करती है और रंजीत सिन्हा टाईप सीबीआई निदेशक कोई भी रिपोर्ट तैयार करने के बाद उसे संबंधित मंत्रालय के मंत्रियों और अधिकारियों से चैक कराते हैं ताकि गलती से भी कहीं सरकार में शामिल किसी व्यक्ति पर आंच न आने पाए..!
ये तो थी रंजीत सिन्हा की बात...चलिए सीबीआई के बहाने यूपीए सरकार की भी बात कर लेते हैं..! सरकार के मुखिया से लेकर सरकार में शामिल लोग सीबीआई में सरकार के दखल को लेकर उठने वाले सवालों पर मीडिया में खूब हो हल्ला मचाते हैं और सीबीआई के काम काम में सरकार के दखल से साफ इंकार करते नजर आते हैं लेकिन कोलगेट मामले में सीबीआई की स्टेटस रिपोर्ट पर सरकार के दखल के खुलासे के बाद अब इन नेताओं को मानो सांप सूंघ गया है।
बेशर्मी की हद देखिए ये सब होने के बाद भी प्रधानमंत्री को तो छोड़िए...कानून मंत्री अश्विनि कुमार साहब इस्तीफा देने को तैयार नहीं है...और तो और सरकार के मुखिया यानि कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी अश्विनि कुमार का जमकर बचाव करते दिखाई दे रहे हैं। भई बचाव करें भी क्यों न...? कानून मंत्री अश्विनि कुमार ने बिना ऊपरी आदेश के तो सीबीआई की स्टेटस रिपोर्ट में मनमाफिक बदलाव करवाए नहीं होंगे...जाहिर है ऊपर से नीचे तक सब फिक्स था ऐसे में सिर्फ कानून मंत्री भला क्यों इस्तीफा दें..?
सीबीआई पर मुलायम और माया क्या गलत कहते हैं..? कि सीबीआई के नाम पर केन्द्र सरकार उनको डराती है..! विडंबना देखिए इसके बाद भी दोनों सरकार को समर्थन देना जारी रखते हैं...खैर माया और मुलायम का भी इसमें क्या दोष..? ये तो उनके कर्मों का फल है...जिसे सीबीआई के सहारे समर्थन के नाम पर केन्द्र सरकार खा रही है..!
डीएमके ने समर्थन वापस लिया तो समाचार चैनलों की ब्रेकिंग और अगले दिन के अखबारों की सुर्खियां तो याद ही होंगी आपको..! सरकार का सीबीआई पर दखल न होने का दावा यहां भी एक बार फिर से उस वक्त हवा हो गया जब सरकार ने सीबीआई को छापेमारी रोकने का आदेश दिया और सीबीआई ने उसका पूरा पालन भी किया..!
बहरहाल कोलगेट पर सीबीआई की स्टेटस रिपोर्ट में सरकार के दखल के मसले पर सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद भी सीबीआई निदेशक तो नहीं सुधरे लेकिन देखना दिलचस्प होगा कि क्या सरकार सुधरेगी..? मुझे तो वहीं लगता...आपको क्या लगता है..?

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सोमवार, 29 अप्रैल 2013

वर्ना बदल जाएगा भारत का नक्शा..!


लो जी उखाड़ लो हमारा जो उखाड़ना है...हम तो लद्दाक क्या पूरे भारत पर कब्जा करके मानेंगे..! चीन के इरादे देखकर तो ऐसा ही कुछ लग रहा है..! लद्दाक के दौलत बेग ओल्दी इलाके में चीनी सेना ने एक और तंबू गाढ़कर भारत सरकार के मुंह पर करारा तमाचा जड़ा है..! चीन की हिम्मत देखिए चीन ने बकायदा बोर्ड लगाकर उसे अपना क्षेत्र तक घोषित कर दिया है लेकिन भारत सरकार कह रही है की हम बातचीत से मसला सुलझा लेंगे।
चीन उल्टा उस इलाके से भारत को अपने बंकर और तंबूओं को हटाने को कह रहा है और खुद एक के बाद एक तंबू लगाकर उस इलाके में कब्जा करने की पूरी तैयारी करके बैठा है..! लेकिन देश का दुर्भाग्य देखिए भारत सरकार को इससे कोई लेना – देना नहीं है। सरकार बातचीत से मसले का हल निकालने का बात कर रही है लेकिन तीन – तीन फ्लैग मीटिंग बेनतीजा रहने के बाद भी सरकार की उम्मीद आपसी बातचीत पर टिकी है।
चीन ने पीछे हटने की बजाए एक और तंबू तानकर अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं लेकिन भारत सरकार तो जैसे आंखों पर पट्टी बांधे बैठी है। (जरूर पढ़ें- ये हंसी ठहाके में न बदल जाए..!)
भारत सरकार उम्मीद कर रही है कि चीन के प्रधानमंत्री ली केकियांग का माफी भरा बयान आएगा कि उनकी सेना ने गलती से भारतीय सीमा में प्रवेश कर लिया और चीनी सैनिक वापस लौट जाएंगे लेकिन भारत सरकार ये भूल रही है कि चीन के प्रधानमंत्री ली केकियांग हैं न कि कोई मनमोहन सिंह टाईप..!
चीन ने अपनी सीमाओं के भीतर सड़क से लेकर संचार व्यस्थाओं को पूरी तरह चाक चौबंद किया है और उसके बाद अब धीरे धीरे भारतीय क्षेत्र मे घुसपैठ शुरु कर दी है लेकिन इसके उल्ट भारत के सीमावर्ती इलाकों में सड़क और संचार सेवाएं तो दूर की बात है सीमा तक जवानों का पहुंचना तक मुश्किल है। (जरूर पढ़ें- सिर्फ 40 चीनी सैनिक ही तो हैं..!)
देश की सुरक्षा खतरे में है लेकिन भारत सरकार के लिए ये लोकल मसला है। अब सरकार में शामिल लोगों को कौन समझाए कि ये देश के किसी शहर में सरकारी जमीन पर झुग्गी झोपड़ी टाईप अतिक्रमण नहीं है कि 20 साल बाद याद आयी तो चल दिए बुलडोजर ले कर उसे ढ़हाने..! सरकारी जमीन पर झुग्गी झोपड़ी टाईप अतिक्रमण ढ़हाने में भी तो आपके पसीने छूट जाते हैं और लौटना पड़ता है उल्टे पांव वापस..! फिर ये तो चीन है चीन..!
अरे जनाब से देश की सुरक्षा का मामला है...आज चीन की इस हरकत को नजरअंदाज करके आप उसे कंधे पर बैठा रहे हो...कल वो सिर पर बैठ जाएगा वैसे भी चीन इसमें खूब माहिर भी है..! अभी भी वक्त है चेत जाओ और खदेड़ो चीनी सैनिकों को अपनी सीमा से बाहर वर्ना कहीं ऐसा न हो कि कुछ दिनों बाद भारत का नक्शा ही बदल जाए..!

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सिर्फ 40 चीनी सैनिक ही तो हैं..!


किसी भी देश के लिए उसकी सुरक्षा से बड़ा मुद्दा और क्या हो सकता है..? लेकिन भारत सरकार के लिए ये एक मामूली मसला है..! चीन 19 किलोमीटर तक हमारे क्षेत्र में घुसपैठ कर शान से बैठा है और हमारे विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद चीन यात्रा की तैयारी कर रहे हैं..! सरकार कहती है कि बातचीत से मसला सुलझा लिया जाएगा। इसका जवाब सरकार के पास नहीं है कि दो बार फ्लैग मीटिंग में जब बात नहीं बनी तो आगे कैसे बात बनेगी..! चीन तो उल्टा भारत को आंखे दिखाकर उसे अपना ही क्षेत्र बता रहा है..!
चीनी हेलिकॉप्टर हमारी वायुसीमा में आकर फर्राटे से उड़ान भर रहे हैं लेकिन हमारे प्रधानमंत्री कहते हैं कि ये स्थानीय मसला है और वे इसे तूल नहीं देना चाहते।  (जरूर पढ़ें- ये हंसी ठहाके में न बदल जाए..!)
कभी पाक तो कभी चीन हमारी सीमा में घुसपैठ कर हमें ही आंखे दिखा रहा है लेकिन विपक्ष प्रधानमंत्री के इस्तीफे पर ससंद ठप कर रहा है तो सरकार सदन में गिनती पूरी कैसे रहे इस जुगत में व्यस्त है..?
देश सुरक्षा के मुद्दे पर सरकार तो सो ही रही है लेकिन विपक्षी नेताओं के लिए भी चीनी घुसपैठ से बड़ा मुद्दा जेपीसी रिपोर्ट और कोलगेट के मसले पर सीबीआई की स्टेटस रिपोर्ट पर सरकार का दखल है..! चीन के मुद्दे पर प्रमुख विपक्षी पार्टी के नेता सदन के बाहर तो खूब बोल रहे हैं लेकिन सदन में इस मुद्दे को जैसे वे भूल जाते हैं..! सत्ता में आने को बेचैन दिखाई दे रही मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा के नेता शायद ये सोच रहे होंगे कि चीन के मसले पर एकजुटता दिखाई तो सरकार को टूजी पर जेपीसी रिपोर्ट और कोलेगेट के मसले पर बचने का मौका मिल जाएगा और वे इसे कैश नहीं करा पाएंगे..!
संसद में सत्ता पक्ष और विपक्ष को मिलकर चीनी घुसपैठ पर कड़े कदम उठाने पर चर्चा करनी चाहिए और इसे अमल में लाने के लिए एकजुटता दिखानी चाहिए लेकिन विपक्ष प्रधानमंत्री का इस्तीफा मांगने पर अड़ा है तो सत्तापक्ष प्रधानमंत्री की कुर्सी बचाने में..! गृह राज्यमंत्री आरपीएन सिंह साहब तो ये तक कहते सुनाई देते हैं कि 40 चीनी सैनिकों का भारत की सीमा में घुसना कोई बड़ी घुसपैठ नहीं है यानि कि आरपीएन सिंह साहब के लिए ये बड़ी बात तब होगी जब चीनी सेना पूरे लद्दाक पर कब्जा कर लेगी..!
सरकार की एक सहयोगी समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो मुलायम सिंह इस मुद्दे पर गुर्राते हुए सरकार को कायर कहते हुए गरियाते जरुर हैं लेकिन मुलायम की इस गुर्राहट में कितना दम है ये हम पहले भी कई बार देख चुके हैं..!
अच्छा होता कि चीनी घुसपैठ पर चीन को सारे दल मिलकर ऐसी गुर्राहट दिखाते और चीनी सैनिकों को खदेड़ने को लेकिर साझा फैसला लेते लेकिन यहां तो हर कोई अपने हित साधने में लगा है। कोई दूसरे से कुर्सी छीनने पर अमादा है तो कोई अपनी कुर्सी बचाने में..! सत्ता सुख के चक्कर में हमारे देश के राजनीतिक दलों की आपसी लड़ाई के दुनिया मजे भी ले रही है और पाकिस्तान और चीन जैसे धूर्त पड़ोसी इसका फायदा उठाने से भी नहीं चूक रहे हैं..!
चीन की इस घुसपैठ पर भारत को अपना लचर रवैया छोड़कर आक्रमक रुख अपनाना चाहिए ताकि न सिर्फ चीन को भारतीय क्षेत्र छोड़कर वापस लौटने पर मजबूर होना पड़े बल्कि वह भविष्य में ऐसी हरकत करने से बाज आए..!

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