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रविवार, 23 नवंबर 2014

सही कहा, लोग जल रहे हैं !

आपके पूज्य समाजवादी पिताजी मुलायम सिंह के शाही जन्मदिन का जश्न देखकर लोग जल रहे हैं, सही पहचाना आपने अखिलेश जी ! सही पहचाना, लोग जल रहे हैं ! यूपी में जिन गरीबों के पास दो वक्त की रोटी के लिए पैसे नहीं है, वे अगर 70 फिट लंबा केक कटते देखेंगे तो जलेंगे ही न ! जिस साईकिल पर सवार करके यूपी की जनता ने आपको सत्ता तक पहंचाया, उस जनता के पास साईकिल भी नहीं है, और नेताजी 70 लाख की बग्घी में रामपुर में सवारी कर रहे हैं तो लोग जलेंगे ही न !
आपने गलत तो कुछ नहीं कहा, लेकिन आपका भाव शायद अलग था। भाव ये कि आपके विरोधी जल रहे हैं, लेकिन असल में जल विरोधी नहीं रह हैं ! जल रही है तो यूपी की गरीब जनता, जिनको समाजवादी सरकार से बड़ी उम्मीदें थी ! लेकिन जब उम्मीदों के दिए अहंकार की आंधी में बुझ जाते हैं, तो कुछ तो जलेगा ही ! खुद को समाजवादी कहलाने वाले लोग ही जब समजवाद की खाई को पाटने की बजाए और चौड़ी करने में तुल जाएं तो क्या कर सकते हैं ! लेकिन आपको शायद इससे कोई फर्क नहीं पड़ता!
जन्मदिन मनाना कोई गलत नहीं ! सादगी से जन्मदिन मना लेते और इस शाही इंतजाम में खर्च अनुमानित करोड़ों रूपए को गरीब जनता की मुश्किलें दूर करने में खर्च कर लेते तो शायद जन्मदिन पर जनता का असली आशीर्वाद आपको मिलता  ! लेकिन आपको शायद इस बात का एहसास हो चुका है कि अब आपके दिन ऐशो आराम वाले दिन भी जल्द ही लदने वाले हैं, ऐसे में आप जनता की परवाह क्यों करने लगे भला !
जनता ने आपको सत्ता दी इस भरोसे के साथ कि आप उनकी चिंता करेंगे, उनकी बुरे दिनों को अच्छे दिनों में बदलने की तरफ कदम बढ़ाएंगे, उनकी समस्याओं के समाधान की तरफ कदम बढ़ा कर कम से कम उन्हें मूलभूत सुविधाएं तो मुहैया कराएंगे ! लेकिन अफसोस ये होता नहीं दिख रहा है !
जन्मदिन के आयोजन की ये फुर्ती अगर सरकारी योजनाओं को जल्द से जल्द पूरा करने में दिखाई गई होती तो शायद यूपी की तस्वीर कुछ और होती ! इस बात को तो आप नकार भी नहीं सकते, खुद नेताजी ये कह चुके हैं कि काम की रफ्तार बहुत सुस्त है, मतलब साफ है सरकार की सुस्ती कम होने का नाम नहीं ले रही ! बहरहाल उम्मीद पर दुनिया कायम है, और उम्मीद करते हैं, कि शायद अब आपकी नींद खुलेगी और जनता की उम्मीदें पूरी होंगी !


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