राजनीति जो न कराए
वो कम है, आपदा की मार झेल रहे उत्तराखंड में राजनीति का असल खेल देखने को मिल रहा
है। बहुगुणा के राज्य के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने के बाद से ही सिडकुल भूमि
घोटाला हो या बहुगुणा सरकार के दूसरे फैसले, भाजपा ने बहुगुणा सरकार को विफल बताते
हुए एक नहीं कई बार बहुगुणा के इस्तीफे की मांग को लेकर खूब आवाज बुलंद की लेकिन राज्य
गठन के बाद से उत्तराखंड अब जब सबसे भीषण त्रासदी से जूझ रहा है तो राज्य की मुख्य
विपक्षी पार्टी भाजपा को अब बहुगुणा से न तो कोई नाराजगी है और न ही कोई गिले
शिकवा..!
आपदा प्रबंधन में
विफल रहने पर देशभर में भले ही विजय बहुगुणा की खूब आलोचना हो रही हो लेकिन आपदा
के तुरंत बाद बहुगुणा के इस्तीफे की मांग करने वाले भाजपा नेताओं के सुर भी अब
बदले बदले नजर आने लगे हैं..! भाजपा नेता सरकारी तंत्र पर तो राहत कार्यों में ढ़िलाई बरतने का आरोप लगा रहे
हैं लेकिन व्यक्तिगत रुप से मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा की आलोचना या उनके इस्तीफे
की मांग पर भाजपा नेताओं ने रहस्यमयी चुप्पी साध ली है..!
चौंकिए मत, ऐसा नहीं
है कि मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने अचानक से कोई बहुत अच्छा काम किया है या फिर ये
बहुगुणा का विपक्ष मैनेजमेंट है, बल्कि ये दरअसल भारतीय जनता पार्टी की वो चुनावी रणनीति है जिसके बल पर भाजपा
दिल्ली, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान राज्यों में प्रस्तावित विधानसभा
चुनाव में कांग्रेस को उत्तराखंड आपदा के बहाने भी पटखनी देने की तैयारी कर रही
है..!
16-17 जून को आपदा
ने भले ही उत्तराखंड में कहर बरपाया था लेकिन इसकी मार ने पूरे देश को अपने आगोश
में लिया था। वैसे तो देशभर के हर राज्य के लोग आपदा के वक्त उत्तराखंड में मौजूद
थे लेकिन दिल्ली, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के लोगों की तादाद इनमें कुछ
ज्यादा ही थी और बड़ी संख्या में इन राज्यों के लोग त्रासदी का दंश झेल रहे हैं,
ऐसे में अब जब ये राज्य चुनाव की देहरी पर खड़े हैं तो भाजपा उत्तराखंड की
कांग्रेस सरकार की नाकामी के मुद्दे को इन चुनावों में भी भुनाने की तैयारी में
है..!
आपदा के तुरंत बाद
बहुगुणा के इस्तीफे की मांग करने वाली भाजपा ने एकाएक अपने सुर इसलिए बदल लिए
क्योंकि भाजपा चाहती है कि इन राज्यों में चुनाव तक कम से कम बहुगुणा उत्तराखंड के
मुख्यमंत्री बने रहें ताकि इस बात को भुनाया जा सके कि कांग्रेस आलाकमान ने आपदा
प्रबंधन में पूरी तरह विफल रहने के बाद भी बहुगुणा को कुर्सी से नहीं हटाया..!
भाजपा के विश्वसनीय
सूत्रों की मानें तो अगर भाजपा बहुगुणा के इस्तीफे की मांग पर अड़ी रहती और
कांग्रेस आलाकमान बहुगुणा से कुर्सी छीन लेता तो कांग्रेस के प्रति लोगों का
गुस्सा कुछ कम हो जाता और शायद आगामी दिल्ली, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़
के विधानसभा चुनाव में भाजपा इस मुद्दे को उतने प्रभावी ढंग से नहीं भुना पाती
जितना की बहुगुणा के कुर्सी पर रहते हुए भुना सकती है..!
दरअसल भाजपा का गेम
प्लान है कि इन राज्यों के चुनाव से ऐन पहले वे बहुगुणा के खिलाफ आक्रमक रुख
अपनाकर इन चुनावों में इसका भी फायदा उठाना चाहती है और इसलिए ही भाजपा को फूटी
आंख न सुहाने वाले बहुगुणा अब उत्तराखंड भाजपा नेताओं के निशाने पर नहीं है..!
सही मायने में शायद
यही राजनीति है, जहां अपने फायदे के लिए नेता किसी भी हद तक जाने को तैयार रहते
हैं, उन्हें इस बात से कोई मतलब नहीं कि जनता किस हाल में है..! उत्तराखंड में भीषण
त्रासदी के बाद अपने सियासी फायदे के लिए राजनीतिक दल जो कुछ कर रहे हैं, उससे तो कम से कम
यही जाहिर होता है..!
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