कोलगोट पर सीबीआई
की स्टेटस रिपोर्ट में सरकार के दखल को लेकर सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी के बाद
भी सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा को लगता है अक्ल नहीं आई..! कोर्ट की फटकार के
बाद भी सीबीआई डायरेक्टर कहते सुनाई दिए कि सीबीआई स्वायत नहीं है और सरकार का ही
हिस्सा है। सिन्हा साहब ये भी कहते हैं कि उन्होंने रिपोर्ट “माननीय कानून
मंत्री अश्विनि कुमार” को दिखाई थी। वैसे सिन्हा साहब ने क्या गलत कहा..?
ये तो पूरा
हिंदुस्तान जानता है कि सीबीआई स्वायत नहीं है और कैसे-कैसे कार्य करती है...कोलगेट
पर सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई के हलफनामे से ये जाहिर भी हो गया लेकिन जिस अंदाज
में सीबीआई निदेशक ने सुप्रीम कोर्ट की फटकार के तुरंत बाद सीबीआई पर अपना ज्ञान
बघारा उसके बाद सीबीआई निदेशक पद पर रंजीत सिन्हा की नियुक्ति और सीबीआई और सरकार
के बीच का खेल भी सार्वजनिक हो गया कि किस तरह सरकार के इशारे पर सीबीआई काम करती
है और रंजीत सिन्हा टाईप सीबीआई निदेशक कोई भी रिपोर्ट तैयार करने के बाद उसे
संबंधित मंत्रालय के मंत्रियों और अधिकारियों से चैक कराते हैं ताकि गलती से भी
कहीं सरकार में शामिल किसी व्यक्ति पर आंच न आने पाए..!
ये तो थी रंजीत
सिन्हा की बात...चलिए सीबीआई के बहाने यूपीए सरकार की भी बात कर लेते हैं..! सरकार के मुखिया से
लेकर सरकार में शामिल लोग सीबीआई में सरकार के दखल को लेकर उठने वाले सवालों पर
मीडिया में खूब हो हल्ला मचाते हैं और सीबीआई के काम काम में सरकार के दखल से साफ
इंकार करते नजर आते हैं लेकिन कोलगेट मामले में सीबीआई की स्टेटस रिपोर्ट पर सरकार
के दखल के खुलासे के बाद अब इन नेताओं को मानो सांप सूंघ गया है।
बेशर्मी की हद
देखिए ये सब होने के बाद भी प्रधानमंत्री को तो छोड़िए...कानून मंत्री अश्विनि
कुमार साहब इस्तीफा देने को तैयार नहीं है...और तो और सरकार के मुखिया यानि कि
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी अश्विनि कुमार का जमकर बचाव करते दिखाई दे रहे हैं।
भई बचाव करें भी क्यों न...? कानून मंत्री अश्विनि कुमार ने बिना ऊपरी आदेश के तो सीबीआई की स्टेटस
रिपोर्ट में मनमाफिक बदलाव करवाए नहीं होंगे...जाहिर है ऊपर से नीचे तक सब फिक्स
था ऐसे में सिर्फ कानून मंत्री भला क्यों इस्तीफा दें..?
सीबीआई पर मुलायम
और माया क्या गलत कहते हैं..? कि सीबीआई के नाम पर केन्द्र सरकार उनको डराती है..! विडंबना देखिए इसके
बाद भी दोनों सरकार को समर्थन देना जारी रखते हैं...खैर माया और मुलायम का भी इसमें
क्या दोष..? ये तो उनके कर्मों
का फल है...जिसे सीबीआई के सहारे समर्थन के नाम पर केन्द्र सरकार खा रही है..!
डीएमके ने समर्थन
वापस लिया तो समाचार चैनलों की ब्रेकिंग और अगले दिन के अखबारों की सुर्खियां तो
याद ही होंगी आपको..! सरकार का सीबीआई पर दखल न होने का दावा यहां भी एक बार फिर से उस वक्त
हवा हो गया जब सरकार ने सीबीआई को छापेमारी रोकने का आदेश दिया और सीबीआई ने उसका पूरा
पालन भी किया..!
बहरहाल कोलगेट पर
सीबीआई की स्टेटस रिपोर्ट में सरकार के दखल के मसले पर सुप्रीम कोर्ट की फटकार के
बाद भी सीबीआई निदेशक तो नहीं सुधरे लेकिन देखना दिलचस्प होगा कि क्या सरकार
सुधरेगी..? मुझे तो वहीं लगता...आपको
क्या लगता है..?
deepaktiwari555@gmail.com
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