कुल पेज दृश्य

शुक्रवार, 25 अक्तूबर 2013

पीएम बनने लायक सोच तो लाईए राहुल जी

कांग्रेस युवराज राहुल गांधी मनमोहन सरकार के फैसलों पर सवाल उठाते हुए प्रधानमंत्री की समझ और अस्तित्व पर ही प्रश्नचिन्ह लगा देते हैं, लेकिन हमारे दिलेर प्रधानमंत्री इसके बाद भी कहते हैं कि वे राहुल को प्रधानमंत्री बनना देखना चाहते हैं और राहुल के लिए किसी भी वक्त पीएम की कुर्सी खाली करने को तैयार हैं। केन्द्रीय मंत्रियों से लेकर कांग्रेस शासित सभी राज्यों के मुख्यमंत्री और कांग्रेस का हर छोटा बड़े नेता चाटुकारिता की हदें पार करते हुए राहुल के गुणगान करते नहीं आघाते। हर कांग्रेसी को राहुल गांधी देश के पीएम की कुर्सी के लिए सबसे योग्य नेता नजर आते हैं। सोनिया गांधी को भी शायद ये लगने लगा, जिसके बाद सोनिया ने जनवरी 2013 में जयपुर में कांग्रेस के चिंतन शिविर में राहुल को कांग्रेस उपाध्यक्ष के रूप में पार्टी में नंबर दो की कुर्सी सौंप दी गई। लेकिन राहुल बाबा को देखकर ये लगता नहीं कि राहुल गांधी को ये बात समझ में आ रही है। पांच राज्यों के चुनाव प्रचार मे निकले राहुल गांधी बांहे चढ़ाकर लोगों से जिस तरह बात कर रहे हैं, जिस तरह की बातें कर रहे हैं, उससे तो कम से कम यही जाहिर होता है।
राहुल कहते हैं कि कांग्रेस सभी लोगों को साथ लेकर चलती है लेकिन राहुल की चुनावी जनसभाओं को देखकर तो ऐसा नहीं लगता। राहुल कहते हैं कांग्रेस धर्म की राजनीति नहीं करती, लोगों को आपस में बांटने का काम नहीं करती लेकिन राहुल बोल क्या रहे हैं इसका अंदाजा शायद उन्हें भी नहीं है या फिर ये खास वर्ग को लुभाने के लिए कांग्रेस की चुनाव से पहले एक सियासी चाल है..!
राहुल बार बार अपनी दादी इंदिरा गांधी औऱ पिता राजीव गांधी की हत्या का जिक्र कर क्या जताना चाह रहे हैं..? क्या ये वोट के लिए सिर्फ एक भावुक अपील है या फिर से गढ़े मुर्दों को उखाड़ने की एक कवायद जो लोगों के बीच नफरत की आग को और ज्यादा भड़काएगी और एक खास वर्ग को कांग्रेस की तरफ मोड़ेगी..!
मुजफ्फरनगर दंगा पीड़ित दंगे की कड़वी यादों को अपने दिल से निकाल फेंकना चाहते हैं लेकिन राहुल अपनी हर जनसभा में मुजफ्परनगर दंगों को जिक्र कर लोगों के जख्मों को हरा कर रहे हैं..!
जिस राहुल गांधी को देश की सबसे बड़ा राजनीतिक दल का हर एक कार्यकर्ता भावी प्रधानमंत्री के तौर पर देखना चाहती है, उस राहुल गांधी के पास क्या जनता के सामने बोलने के लिए कुछ नहीं है। क्यों राहुल गांधी भविष्य की बजाए उस भूतकाल की बात कर रहे हैं जो लोगों को को सिर्फ दुख ही देगा..?
क्यों वे भविष्य की, विकास की, खुशहाली की बात नहीं कर रहे..? क्या राहुल गांधी की सोच को लकवा मार गया है..?
क्यों वो बार बार अपने परिवार की हत्याओं का जिक्र पर वोट के लिए एक भावुक अपील कर रहे हैं और समुदाय विशेष के वोटों के लिए बड़ी मुश्किल से शांत हुई दंगों की आग को भड़काने की कोशिश कर रहे हैं..?
राहुल को क्यों बार बार जनता को ये याद दिलाने की जरुरत पड़ रही है कि उसने एक गांव में जाकर पानी पिया तो उसका पेट खराब हो गया, गांव में एक रात गुजारी तो मुझे मच्छरों ने काट लिया। किसने बोला था राहुल जी आपको उन गांवों में जाने के लिए। अगर गए तो और कैमरे के सामने पानी पीना पड़ ही गया था, रात गुजारनी पड़ ही गयी थी तो उसके बाद आपने क्या कर लिया। उस एक गांव की ही कायाकल्प कर देते, वहां लोगों को साफ पीने का पानी मुहैया करा देते, उस गांव को उत्कृष्ट गांव बनाकर दिखा देते तो आपको हक होता कि ये बोलने का कि आपने वहां पर जाकर पानी पिया था और एक रात उस गांव में गुजारी थी लेकिन वहां तो हालात आज भी वैसे ही हैं।
राहुल जी भारत की 121 करोड़ जनता का तो पता नहीं लेकिन आपकी पार्टी के कार्यकर्ता और कांग्रेस के चाटुकार नेताओं की फौज के साथ ही प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तो आपको देश का प्रधानमंत्री बनता देखना चाहते ही हैं, कम से कम उनके सपने को पूरा करने के लिए ही सही प्रधानमंत्री बनने लायक सोच तो लाइए, सोच तो लाईए राहुल जी।


deepaktiwari555@gmail.com

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें