विदेशी भाषा के आगे अपना सम्मान खोती हिंदी के लिए
हिंदी ब्लॉगिंग उसे उसका खोया मान दिलाने में निश्चित तौर पर सार्थक हो सकती है
बशर्ते तेजी से लोकप्रिय हो रही हिंदी ब्लॉगिंग के साथ ही हिंदी लोगों की पसंदीदा
भाषा भी बने। बीते कुछ समय से ये देखा जा रहा है कि हिंदी ब्लॉगिंग के प्रति लोगों
का आकर्षण बढ़ा है और लोग हिंदी ब्लॉगिंग के माध्यम से खुलकर अपनी बात
शासन-प्रशासन के साथ ही समाज के सामने रख रहे हैं। इसमें वो बातें और आमजन से
जुड़ी वो समस्याएं हैं जो न तो अखबारों की सुर्खियां बन पाती हैं और न ही टीआरपी
के लिए किसी भी हद तक जाने वाले समाचार चैनल इन्हें दिखाने में अपनी रुचि दिखाते
हैं।
बड़ी संख्या में आम लोग समय निकालकर न सिर्फ
ब्लॉगिंग कर रहे हैं बल्कि ये अपनी बात कहने का एक बड़ा ही सशक्त माध्यम बन चुकी
है। ब्लॉगिंग के लिए हिंदी लिखने से परहेज करने वाले शख्स तक न सिर्फ हिंदी
टाईपिंग सीख रहे हैं बल्कि उन्हें ज्यादा से ज्यादा लोगों तक अपनी बात पहुंचाने का
एक सशक्त और आसान माध्यम लगता है।
सोशल नेटवर्किंग साईट्स और ब्लॉग्स में हिंदी में
मेरे द्वारा हिंदी में स्टेटस अपडेट करने और ब्लॉग्स लिखने पर मेरे कई मित्रों ने
मुझ से कई बार ये सवाल पूछा है कि यार तुम हिंदी में कैसे लिखते हो, जरा हमें भी बताओ ताकि हम भी हिंदी
में टाईप कर सकें। इसमें बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है जो अंग्रेजी की बजाए हिंदी
भाषा में अपने मन की बात को बेहतर तरीके से ज्यादा से ज्यादा लोगों को समझा सकते
हैं और चाहते हैं कि वे भी सोशल नेटवर्किंग साईट्स में हिंदी में लिखे और हिंदी में
ब्लॉगिंग शुरु करें।
आज अंग्रेजी भले ही हिंदी से आगे निकल गयी हो लेकिन
इस बात को नहीं नकारा जा सकता कि आज भी हिंदुस्तान में अंग्रेजी बोलने और लिखने
वालों की संख्या हिंदी बोलने और लिखने वालों की अपेक्षा काफी कम है। हां, ये एक कड़वा सच जरुर है कि लोग
अंग्रेजी बोलना और लिखना सीखने के आतुर जरुर दिखाई दे रहे हैं।
हिंदी ब्लॉगिंग एक ऐसा माध्यम बन रहा है, जो लोगों की इस आतुरता को हिंदी
भाषा की तरफ मोड़ सकता है, बस जरुरत है कि लोगों को इसके लिए
प्रोत्साहित किया जाए। अंग्रेजी न बोल पाने या न लिख पाने पर उन्हें उनके साथी
हतोत्साहित न करें बल्कि हिंदी में अपनी बात कहने के लिए प्रोत्साहित करें।
इसका ये मतलब बिल्कुल नहीं कि अंग्रेजी का पूर्णतया
बहिष्कार कर दें और अंग्रेजी के खिलाफ बैनर-पोस्टर लेकर सड़कों पर उतर कर आंदोलन
शुरु कर दें। अंग्रेजी भी सीखें और जहां अंग्रेजी के बिना काम ही नहीं चल सकता
वहां पर अंग्रेजी का इस्तेमाल भी करें लेकिन इसके लिए अपनी मातृभाषा हिंदा का
अपमान न करें वर्ना हमारी मातृभाषा सिर्फ बाजार का एक हिस्सा बनकर रह जाएगी और
1947 से पहले जिस तरह अंग्रेजों ने हम पर शासन किया ठीक उसी तरह अंग्रेजी भी एक दिन
पूर्ण रुप से हिंदी पर अपना आधिपत्य जमा लेगी।
deepaktiwari555@gmail.com
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