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रविवार, 23 दिसंबर 2012

दिल्ली गैंगरेप- जय हो मौनी बाबा की...


दिल्ली गैंगरेप पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के देश के नाम संबोधन की खबर आई तो लगा कि अपने पेटेंट दो दिन 15 अगस्त और 26 जनवरी को बोलने वाले मनमोहन सिंह गैंगरेप के विरोध में गुस्से में उबल रहे देश के सामने कोई ऐसी बात करेंगे जिससे शायद लोगो को गुस्सा कम हो...लेकिन अफसोस ऐसा नहीं हुआ। जैसी की उम्मीद थी मनमोहन सिंह हिंदी की बजाए अंग्रेजी में ही बोले- मनमोहन सिंह की अंग्रेजी इंडिया गेट पर प्रदर्शन करने वाले और महानगरों में रहने वाले तो शायद समझ गए होंगे...लेकिन मनमोहन सिंह उन करोड़ो लोगों तक अपनी बात नहीं पहुंचा पाए जिनके लिए अंग्रेजी बोलने वाले आज भी किसी अंग्रेज से कम नहीं है और कौतहुल का विषय बने रहते हैं। जाहिर है ऐसे लोगों का तादाद लाखों में हैं जो देश में हर रोज बलात्कार के शिकार तो होते हैं लेकिन जब वे अपनी शिकायत लेकर पुलिस थाने में जाते हैं तो उन्हें दुत्कार दिया जाता है। वैसे अच्छा हुआ मनमोहन सिंह देश की भाषा हिंदी की बजाए अंग्रेजी में ही बोले क्योंकि जो कुछ भी मनमोहन सिंह बोले उससे ज्यादा कि उनसे उम्मीद भी नहीं की जा सकती। मनमोहन सिंह को शायद इस घटना के बाद से देश में आया गुस्से का उबाल नहीं दिखाई दिया वर्ना मनमोहन सिंह अपने संबोधन में जिस इंसाफ की मांग देश कर रहा है उस इंसाफ की ओर कुछ कदम बढ़ाते जरूर दिखाते लेकिन अफसोस ऐसा नहीं हुआ और मनमोहन सिंह गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे की तरह खुद भी बेटियों का बाप होने का हवाला देते हुए घटना पर सिर्फ दुख ही जताते दिखे। इसमें मनमोहन सिंह साहब का भी दोष नहीं है क्योंकि उनके बारे में कहा जाता है कि वे उतना ही बोलते हैं जितना बोलने का उन्हें कहा जाता है...आप सोच रहे होंगे कि आखिर देश के प्रधानमंत्री भी क्या किसी के कहने पर ही बोलते या चुप रहते हैं ! लेकिन चौंकिए मत यहां ऐसा भी होता है...सोचिए अगर ऐसा नहीं होता तो क्या मनमोहन सिंह अपने पेटेंट दो दिनों 15 अगस्त औऱ 26 जनवरी के अलावा किसी और मौके पर आपको बोलते हुए नहीं दिखाई देते। प्रधानमंत्री जी आपको नहीं बोलना है मत बोलिए...लेकिन बिना बोले ही कुछ ऐसा कर जाईये...एक ऐसी नजीर पेश कर दीजिए पीएम साहब कि दिल्ली में क्या देश में दिल्ली जैसी घटना की पुनरावृत्ति फिर न हो...हाथ जोड़कर निवेदन है आपसे।

deepaktiwari555@gmail.com

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