स्वच्छता किसे नहीं
पसंद, कौन गंदगी के ढ़ेर में रहना चाहेगा..? कुछ लोगों को सफाई के लिए कहने की जरूरत नहीं होती
और वे साफ-सफाई का पूरा
ख्याल रखते हैं, लेकिन ऐसे लोगों की संख्या भी कम नहीं हैं, जो गंदगी में ही रहना
पसंद करते हैं और कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो अपने घर को तो साफ रखना पसंद करते
हैं, लेकिन घर के बाहर सड़क पर चलते हुए और दूसरे सार्वजनिक स्थानों पर कचरा
फैलाने से बाज नहीं आते। ऐसे लोग के प्रकार भी अलग अलग होते हैं, जिनकी व्याख्या
में एक पूरी किताब लिखी जा सकती है।
महात्मा गांधी जी के
स्वच्छ भारत के सपने को साकार करने के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने
स्वच्छता अभियान की शुरुआत खुद हाथ में झाड़ू लेकर की तो ,ये एक सुखद अनुभूति थी। लगने लगा था कि शायद
देशवासी भी इससे प्रेरणा लेंगे और हाथ में झाड़ू लेकर सड़क पर भले ही न निकलें
लेकिन कम से कम सार्वजनिक स्थानों पर कचरा नहीं करेंगे और स्वच्छ भारत भियान का
हिस्सा बनेंगे, लेकिन अफसोस बड़ी संख्या उन लोगों की है, जिनके लिए स्वच्छता का
कोई मतलब नहीं है, शायद आपने भी ऐसे लोगों को अपने आस पास जरूर देखा होगा। हालांकि
एक सुखद एहसास ये भी है कि, बड़ी संख्या उन लोगों की भी है, जिनका मानस बदला है,
और वे लोग अब हाथ में झाड़ू लेकर भले ही न निकले हों, लेकिन वे सार्वजनिक स्थानों
पर कूड़ा फेंकने की बजाए अब कूड़ेदान का इस्तेमाल करने लगे हैं। मैंने अपने घर से
लेकर दफ्तर तक इसकी एक झलक देखी है, इसको महसूस किया है। शायद आप में से बहुत से
लोगों ने भी इस परिवर्तन को महसूस किया होगा।
बात स्वच्छता अभियान
की है तो इसका एक और पहलू है, जो दर्शाता है कि स्वच्छता को लेकर एक जमात का क्या रवैया
है..? ये जमात है, हमारे
देश के नेताओं की, जिनकी कथनी और करनी का फर्क जग जाहिर है। दरअसल बात दिल्ली के इस्लामिक
कल्चरल सेंटर के बाहर की है, तारीख 5 नवंबर 2014 की है, जब दिल्ली भाजपा के प्रदेश
अध्यक्ष और कभी आम आदमी पार्टी की नेता रहीं शाजिया इल्मी स्वच्छता अभियान में
हिस्सा लेने यहां पर पहुंची। दोनों ही नेताओं ने हाथ में झाड़ू लेकर सफाई की तो
देखने में बड़ा अच्छा लगा, सफाई करते हुए इनकी तस्वीरें तो और भी सुंदर थी। लेकिन एक तस्वीर ने इस सफाई पर कचरा फेर दिया !
पीएम मोदी के हाथ
में झाड़ू उठाने के बाद स्वच्छता अभियान के बहाने हाथ में झाड़ू लेकर सफाई करने की
हमारे नेताओं में भी होड़ सी लग गयी। रोज अखबार और टीवी में कोई न कोई नेता या
अफसर हाथ में झाड़ू लेकर दिखाई देने लगा। तस्वीरें सतीश उपाध्याय और शाजिया इल्मी
की भी छपी और दिखाई दी, लेकिन इन तस्वीरों के साथ कुछ और तस्वीरें भी थी, जो काफी
कुछ बोल रही थी। ये तस्वीरें बताने के लिए काफी थी कि किस तरह अख़बार और टीवी में कचरा
साफ करने के बहाने अपना चेहरा चमकाने के लिए ये ढ़ोंग रचा गया। हालांकि पोल खुलने
के बाद सफाई सतीश उपाध्याय और शाजिया इल्मी दोनों की आई की उन्हें तो अभियान में
हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया गया था, लेकिन इस पर यकीन होता नहीं !
तस्वीरें पोल खोल
रही थी कि किस तरह पहले से साफ जगह पर कचरा फैलाया गया। उसके बाद ये लोग हाथ में
झाड़ू लेकर और चेहरे पर मुस्कराहट के साथ पहुंच गए तस्वीर खिंचाने, माफ कीजिए सफाई
करने ! ये वही सतीश
उपाध्याय हैं, जो दिल्ली का मुख्यमंत्री बनने का सपना भी देख रहे हैं, अब चुनाव तक
किसी न किसी बहाने अखबार और टीवी की सुर्खियां भी तो बने रहना है, फिर कचरा फैलाकर
उसे साफ ही करने का ढ़ोंग क्यों न रचा जाए ! लगे रहो नेता जी, लगे रहो, आपमें मुख्यमंत्री बनने के
पूरे गुण हैं !
deepaktiwari555@gmail.com
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