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सोमवार, 3 नवंबर 2014

शरीफ पर विश्वास, मोदी पर अविश्वास…बधाई हो बुखारी साहब !

सैयद अहमद बुखारी, जामा मस्जिद के शाही इमाम, ऐसा लगने लगा है कि बुखारी साहब भारत के मुसलमानों के सबसे बड़े प्रतिनिधि है। दरअसल मेरा ये सामान्य ज्ञान बढ़ाया है, खुद बुखारी साहब ने। दरअसल बुखारी साहब ने 19 साल के अपने छोटे बेटे शाबान बुखारी को अपना वारिस घोषित किया है। 22 नवंबर को दस्तारबंदी की रस्म के साथ उन्हें नायाब इमाम घोषित किया जाएगा। दिल्ली में होने वाले इस समारोह में देश-विदेश से हजारों धार्मिक गुरू भी शिरकत करने वाले हैं।
इस समारोह के लिए इमाम साहब ने पाकिस्तान के वजीरे आज़म नवाज़ शरीफ को भी न्योता भेजा है, लेकिन बुखारी साहब ने अपने देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को न्योता नहीं दिया है।
ये बात हैरान तो करती है, कि देश की राजधानी दिल्ली में होने वाले इस समारोह में पड़ोसी देश पाकिस्तान के वजीरे आज़म को तो बुलावा भेजा गया है, जिस देश की नापाक हरकतों के चलते दोनों देशों के दोस्ताना रिश्तों में पैदा हुई दरार खाई के रूप में तब्दील होती जा रही है। लेकिन इमाम साहब ने अपने देश के प्रधानमंत्री को बुलाना जरूरी नहीं समझा।
इससे भी ज्यादा हैरान करता है, बुखारी साहब का इसके पीछे दिया जा रहा तर्क, जो कम से कम मेरे गले तो नहीं उतरता और शायद करोड़ों देशवासियों के गले भी नहीं उतर रहा होगा, हां, हो सकता है कि इमाम साहब की बात से इत्तेफाक रखने वाले भी लोग जरूर होंगे।
दरअसल इमाम साहब का कहना है कि देश का मुसलमान अभी भी नरेन्द्र मोदी से नहीं जुड़ पाए हैं, मुसलमानों मे मोदी के प्रति अब तक विश्वास नहीं जग पाया है। बुखारी ये भी कहते हैं कि  मुसलमानों में विश्वास जगाने के लिए मोदी को आगे आना चाहिए।
बुखारी की इस बात से एक और चीज झलकती है, कि बुखारी ही इस देश के मुसलमानों के सच्चे हितैषी हैं, और बुखारी ही भारत के मुसलमानों के एकमात्र प्रतिनिधि हैं, जिन्होंने मोदी को न बुलाने का फैसला भी मुसलमानों की तरफ से अकेले ही कर लिया ! बुखारी को भारत के कितने मुसलमान अपना सच्चा प्रतिनिधि मानते हैं, ये तो इस देश के मुसलमान ही बता सकते हैं, लेकिन बुखारी के दावे से तो ऐसा प्रतीत होता है कि वे ही भारत के मुसलमानों के सर्वमान्य प्रतिनिधि हैं और मुसलमानों ने अपने हक के सभी फैसले लेने का अधिकार भी इमाम साहब को सौंप रखा है ! पता नहीं, लेकिन बुखारी साहब को सुनकर तो कुछ ऐसा ही आभास होता है !
बड़ी अजीब बात है, बकौल बुखारी साहब, पीएम मोदी इस देश के मुसलमानों से नहीं जुड़ पाए हैं, तो उन्हें नहीं न्योता भेजा, लेकिन बुखारी साहब जरा ये बताने का कष्ट करेंगे कि क्या पाक प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ से भारत का मुसलमान दिल से जुड़ा हुआ है ..?
क्या नवाज़ शरीफ के प्रति भारत के मुसलमानों के मन में विश्वास जगा हुआ है कि शरीफ उनके सच्चे हितैषी है..?
क्या पाक के वजीरे आज़म नवाज़ शरीफ की नापाक हरकतों भारत के मुसलमानों के हक में हैं..?
अपने बेटे की दस्तारबंदी की रस्म में मोदी को न बुलाने के पीछे के बुखारी के तर्कों को सुनकर तो कम से कम ऐसा ही लगता है !
सवालों की फेरहिस्त तो काफी लंबी है, जिसका सटीक जवाब शायद ही बुखारी साहब दे पाएं, लेकिन दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में चुने हुए प्रधानमंत्री पर बुखारी साहब का अविश्वास समझ से परे है। अविश्वास सिर्फ बुखारी साहब का व्यक्तिगत होता तो समझ में आता, लेकिन बुखारी साहब ने तो भारत के सभी मुसलमानों का स्वयंभू प्रतिनिधि बनकर इसका ऐलान कर दिया ! खैर बुखारी साहब इसमें खुश हैं, तो अच्छा है, लेकिन बुखारी साहब आप इस बात को नहीं नकार सकते कि नरेन्द्र मोदी इस देश के प्रधानमंत्री हैं, भविष्य का तो पता नहीं लेकिन जनादेश के रूप में जनता का विश्वास जीतकर ही वे यहां तक पहुंचे हैं, अब इस जनादेश में भी आपको हिंदु – मुसलमान का फर्क दिखाई दे रहा है, तो इसमें कोई क्या कर सकता है ! फिलहाल तो अपने छोटे बेटे शाबान बुखारी की दस्तारबंदी के लिए आपको अग्रिम शुभकामनाएं !


deepaktiwari555@gmail.com

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