किस्मत हो तो अपराधी...नहीं
नहीं, फिल्म अभिनेता संजय दत्त जैसी। पहले तो एक गंभीर अपराध करने के बाद सजा होने
पर लोगों का...नहीं नहीं, बड़े बड़े लोगों का दिल खोलकर समर्थन मिल जाता है और सजा
माफ कराने कम कराने को लेकर मुहिम छिड़ जाती है। फिर जब जेल हो भी जाती है तो खुद
की नासाज तबियत के नाम पर बड़ी ही आसानी से पेरोल मिल जाती है। मानो संजय दत्त जेल
में किसी अपराध की सजा काटने नहीं बल्कि किसी फिल्म की शूटिंग के लिए पहुंचे हों।
14 दिन की छुट्टियां पूरी हो जाती हैं तो फिर बड़ी आसानी से एक ही आग्रह पर इस
छुट्टी को 14 और दिन के लिए बढ़ा दिया जाता है।
हॉलिडे पैकेज समाप्त
होने के बाद सजा पूरी करने के लिए संजय दत्त फिर से जेल पहुंच जाते हैं लेकिन
अचानक से बकौल संजय दत्त उनके साथ ही उनकी पत्नी मान्यता और बेटी की तबियत बिगड़
जाती है और संजय दत्त फिर से जेल प्रशासन से एक महीने के हॉलिडे पैकेज की मांग
करते हैं। जेल अधीक्षक महोदय भी दिल खोलकर इसे स्वीकार कर लेते हैं और डिवीजलन
कमिश्नर से संजय दत्त को 30 दिन का हॉलिडे पैकेज मंजूर करने की सिफारिश कर देते
हैं। नतीजा वही होता है, जो संजय दत्त जैसे बड़े बड़े लोगों की अर्जियों के साथ
होता है। प्रशासन को संजय दत्त की छुट्टियों के पीछे की दलील इतनी दमदार लगती है
और उनका दिल इतना पसीज जाता है कि वे इसे झट से स्वीकार कर लेते हैं। (जरूर पढ़ें-
काश मैं भी संजय दत्त होता..!)
फर्ज कीजिए कि अगर
एक आम कैदी अगर किसी भी वजह से पैरोल के लिए आवेदन करता है तो उसकी अर्जी का क्या
हश्र होता होगा..? आम कैदी को अपनी सजा
के दौरान शायद ही कभी इतनी आसानी से पेरोल मिलती हो, चाहे उस कैदी के लिए पेरोल
कितनी ही जरूरी क्यों न हो..? चाहे उसके मां या पिता का निधन की क्यों न हो गया हो लेकिन पेरोल की अर्जी
मंजूर होने की बजाए कूड़ेदान की शोभा बढ़ा रही होती है लेकिन कैदी को पेरोल नहीं
मिलती है..! पेरोल तो बड़ी बात
हो गयी, आम कैदी के परिजनों को कैदी से मिलने की अऩुमति ही बड़ी मशक्कत के बाद मिल
पाती है, पेरोल मिलना तो बहुत दूर की बात है।
बड़ा आदमी होने के
वाकई कई फायदे हैं। अपराध करो तो भी कोई अपराधी मानने को तैयार नहीं होता। अदालत
सजा सुना भी देती है तो बड़े बड़े लोग उसके पक्ष में खड़े होकर सजा माफ करने की
अपील शुरू कर देते हैं। बड़ा आदमी होने से आपके लिए कानून के मायने बदल जाते हैं
और कई बार आप कानून से ऊपर हो जाते हैं। संजय दत्त भी तो बड़ा आदमी होने की,
अभिनेता होने की, सेलिब्रेटी होनी की ही खा रहे हैं। आर्मस एक्ट के तहत दोषी ठहराए
जाने के बाद भी कभी अपनी बीमारी के नाम पर तो कभी अपनी पत्नी और बेटी की बीमारी के
नाम पर पेरोल का नहीं नहीं हॉलिडे पैकेज का जमकर लुत्फ उठा रहे हैं। वैसे उनकी
पत्नी कितनी बीमार है इसकी कुछ तस्वीरें एक वेबसाईट के माध्यम से सामने आई हैं
जिसमें उनकी पत्नी मान्यता शायद किसी पार्टी में अपनी बीमारी को ठीक कराने के लिए
ही पहुंची थी।
संजय दत्त बड़े आदमी
हैं, सेलिब्रेटी हैं तो सोच रहा हूं क्यों न मैं भी संजय दत्त की सजा माफ करने की
अपील कर दूं ताकि बार बार संजय दत्त पेरोल के लिए अपील कर कष्ट न उठाना पड़े और
बार बार उनकी पेरोल मंजूर होने पर दूसरे कैदी ये सोच कर परेशान न हों कि काश में
भी संजय दत्त होता, तो मेरे लिए भी सारे नियम कायदे शिथिल पड़ जाते और मैं भी अपने
बीमार मां – बाप की सेवा और अपने पत्नी और बच्चों से मिलने के लिए जेल से कुछ
दिनों के लिए बाहर निकल पाता।
deepaktiwari555@gmail.com
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें