कर्नाटक में
भ्रष्टाचार के कुहासे में कहीं गुम हो गई भाजपा की साख को खोजते खोजते मोदी ने कर्नाटक
को पार तो कर लिया लेकिन कर्नाटक के आगे की राह मोदी के लिए और भी कांटों भरी थी
क्योंकि कर्नाटक के बाद मोदी की गाड़ी आंध्र प्रदेश में जो प्रवेश कर रही है। आंध्र
प्रदेश, जहां की 42 लोकसभा सीटों में से 33 पर कांग्रेस का कब्जा है, वहां पर हाल
ही में जेल से छूटे वाईएसआर कांग्रेस के जगनमोहन रेड्डी को साथ लेकर अपनी नैया पार
लगाने की कोशिश में लगी भाजपा को पार लगाने में भी मोदी को पसीने छूट रहे हैं। मोदी
रन में आंध्र प्रदेश को डिजाईन भी कुछ इस तरह किया गया है कि मोदी आसानी से आंध्र
का किला फतह न कर पाएं लेकिन यहां मोदी समर्थकों को निराश होने की बिल्कुल भी जरुरत
नहीं है, क्योंकि यहां तो रीटेक के कई मौके हैं और एक बार गिर पड़े तो फिर से उसी
रास्ते पर चल पड़ो, यहां कौन रोकने वाला है। हां इतना जरूर है कि इस बार यहां पर
तेलंगाना का मसला भी नए गुल खिलाने की ओर संकेत दे रहा है। अब ये क्या रंग लाएगा
ये तो वक्त ही बताएगा फिलहाल तो रीटेक के साथ गिरते पड़ते मोदी ने आंध्र को भी पार
कर ही लिया है।
आंध्र के बाद मोदी
रन ने बिहार में एंट्री मारी है, वही बिहार जिसकी 40 लोकसभा सीटों में से 20 पर
जदयू का कब्जा है तो 12 सीटें भाजपा के भी पास हैं और कांग्रेस सिर्फ 2 पर ही
सिमटी हुई है। वही बिहार जो केन्द्र की राजनीति की दशा और दिशा तय करता है। वही
बिहार जहां भाजपा के मुताबिक उसे राजनीति में बेवफाई मिली है, वही बिहार जिसके मुख्यमंत्री
को मोदी फूटी आंख नहीं सुहाते, वही बिहार जहां मोदी का स्वागत धमाकों के साथ होता
है, वही बिहार जिसके मुखिया मोदी की बातों को झूठा साबित करने में कोई कसर नहीं
छोड़ते। जाहिर है ऐसे में बिहार को पार पाना आसान तो बिल्कुल नहीं है और बिहार के
मामले पर तो पूरे देश की निगाहें भी टिकी हैं कि आखिर जनता अपनी अदालत में किसे
बेवफाई की सजा देगी मोदी की भाजपा को या फिर नीतिश की जदयू को।
मोदी रन में तो मोदी
को बिहार में बहुत ज्यादा दिक्कत पेश आती नहीं दिखाई दी और एक – आद रीटेक के बाद
मोदी बिहार को पार कर यूपी को रवाना हो गए, वही यूपी जिसे फतह करने की तैयारी मोदी
ने सौंपी है, अपने हनुमान यानि कि अमित शाह को। जाहिर है 80 लोकसभा सीटों वाला
उत्तर प्रदेश हमेशा से सबसे अहम केन्द्र रहा है और हमेशा रहेगा। लेकिन क्या इतना
आसान होगा मोदी के लिए अपने हनुमान के बूते यूपी को पार पाना, उस यूपी को जहां कि
राजनीति धर्म और जातिवाद के मकड़जाल में उलझी हुई है। जो कभी समाजवादी पार्टी की
साईकिल में सवार होने से गुरेज नहीं करती तो बसपा के हाथी की सवारी से भी उसे
परहेज नहीं है। खास बात तो ये है कि कांग्रेस का हाथ भी इन्हें अपना सा लगने लगता
है, तो कमल खिलाने में भी यहां के लोग नहीं हिचकिचाते। 2009 में सपा की 23, कांग्रेस
की 21, बसपा की 20 और भाजपा की 10 सीटें भी तो कुछ इसी ओर ईशारा कर रही हैं। लेकिन
इस बार तस्वीर कुछ बदली बदली सी है। ऐसे में कौन यूपी के दम पर केन्द्रीय सत्ता
में अपना दबदबा बनाएगा ये तो वक्त ही तय करेगा। मोदी भी जब यूपी में पहुंचे तो
मानो उनकी राह में कांटों की फसल लहलहा रही थी लेकिन मोदी ने कई रीटेक के बाद ही
सही यूपी को आखिर पार कर ही लिया। जारी है...
मोदी रन का सफर अभी
बाकी है, तमिलनाडु, असम, मध्य प्रदेश, पंजाब, वेस्ट बंगाल, हरियाणा, ओडिशा जैसे
तमाम राज्य से मोदी रन को तो अभी गुजरना है...मिलते हैं बहुत जल्द मोदी रन कि
आखिरी किश्त के साथ।
deepaktiwari555@gmail.com
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