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सोमवार, 28 अक्तूबर 2013

धमाके, शिंदे और “रज्जो”


पटना दहल रहा था लेकिन हमारे माननीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे मुंबई में फिल्म रज्जो के म्यूजिक एलबन रीलीज के कार्यक्रम में जाने की तैयारी कर रहे थे। धमाके के घायल अस्पताल में कराह रहे थे लेकिन शिंदे साहब मंच पर फिल्म अभिनेत्री कंगना राणावत के साथ खिलखिला रहा थे। पूरा देश जानना चाहता था कि आखिर क्यों इन धमाकों की कोई भनक तक केन्द्र व राज्य सरकार के साथ ही खुफिया एजेंसियों को नहीं लग पायी लेकिन शिंदे के लिए शायद रज्जो ज्यादा जरूरी थी। कितनी जरूरी इस बात का अंदाजा शिंदे के उस बयान से लगाया जा सकता है जब वे कार्यक्रम के बाद मीडिया के सवालों का जवाब दे रहे थे। (जरूर पढ़ें- क्यों पड़े हो शिंदे के पीछे..?)
बकौल शिंदे समय न होने के बाद भी वे इस कार्यक्रम में पहुंचे थेक्योंकि उनका इस कार्यक्रम में पहुंचने की दिली ख्वाहिश थी। लेकिन घटनास्थल पर जाने का, पटना के अस्पताल में भर्ती घायलों से मिलने का, जांच एजेंसियों के साथ ही पुलिस दोषियों की धरपकड़ के लिए क्या कदम उठा रही है, इसको जानने का शिंदे के पास वक्त नहीं था। गृहमंत्री शिंदे की प्राथमिक्ता में रज्जो के म्यूजिक लॉंचिंग का कार्यक्रम सबसे ऊपर था जबकि धमाकों की पूरी जानकारी लेना शायद उनकी प्राथमिक्ता में नहीं था। शायद इसलिए ही धमाकों के घंटों बाद तक गृहमंत्री साहब के पास धमाकों से संबंधित पुख्ता जानकारी तक नहीं थी।
याद दिलाना चाहूंगा कि ये वही सुशील कुमार शिंदे हैं, जो कोयला घोटाले पर ये कहते हैं कि लोगों की याददाश्त कमजोर होती है और बफोर्स की तरह लोग इसे भी भूल जाएंगे। शायद पटना धमाकों पर भी गृहमंत्री शिंदे कुछ ऐसा ही सोच रहे होंगे इसलिए ही उन्होंने अपनी पटना पहुंचने की बजाए मुंबई वाले कार्यक्रम को ज्यादा तरजीह दी। (पढ़ें - नहीं चाहते दलित गृहमंत्री..!)    
वैसे एक वाजिब वजह और दिखाई देती है देश के गृहमंत्री शिंदे की इस आचरण के पीछे। बात ज्यादा दिन पुरानी नहीं है, जब राहुल गांधी ने एक रैली में कहा था कि खुफिया एजेंसी के एक अधिकारी ने उन्हें बताया कि यूपी के मुजफ्फरनगर में दंगों के बाद से वहां के कुछ मुस्लिम युवकों से पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई संपर्क करने की कोशिश कर रही है। जब देश की खुफिया एजेंसिया गृहमंत्री की बजाए एक सासंद को देश की सुरक्षा से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी दे रही है तो फिर शिंदे क्यों न बेफिक्र होंगे। शायद खुफिया एजेंसियों के लिए गृहमंत्री से ज्यादा कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ज्यादा महत्वपूर्ण होंगे। अब ये क्यों होंगे इसे लिखने की शायद जरुरत नहीं है।

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