आडवाणी पीएम पद के
उम्मीदवार की रेस में मोदी से न जीत पाए तो क्या..? ग्वालियर में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज
सिंह चौहान की तारीफ, गोवा बैठक से पहले आडवाणी की बीमारी और फिर मोदी की चुनाव
अभियान समिति के चेयरमैन पद पर ताजपोशी के बाद पार्टी के सभी पदों से आडवाणी के इस्तीफे
की चिट्ठी ने इतना काम तो कर ही दिया है कि जिस मोदी के सहारे भाजपा 2014 में
केन्द्र की सत्ता में 10 साल बाद वापसी का ख्वाब देख रही है, वो ख्वाब पूरा होना
अब इतना आसान नहीं रहा जितना कि भाजपा के इस नाटकीय घटनाक्रम से पहले लग रहा था..!
आडवाणी की बीमारी तक
तो भाजपा के लिए सब कुछ इतना नहीं बिगड़ा था लेकिन पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह को
लिखी आडवाणी के इस्तीफे की चिट्ठी ने भाजपा की साख पर ही बट्टा लगा दिया। आडवाणी
ने जिस तरह से चिट्ठी में पार्टी की दिशा दशा को लेकर सवाल उठाए वो हैरान करने
वाला था..! आडवाणी के इन
सवालों ने न सिर्फ भाजपा के विरोधियों को भाजपा पर पूरी तरह से हावी होने का मौका
दिया बल्कि 2014 को लेकर भाजपा की उम्मीदों पर भी कुठाराघात का काम किया..!
मान मनौव्वल के बाद
आडवाणी ने भले ही अपना इस्तीफा वापस ले लिया हो लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी के साथ
मिलकर भाजपा को शिखर में पहुंचाने वाले आडवाणी ने ही भाजपा को एक झटके में धरातल
में लाने में कोई कसर नहीं छोड़ी..!
आडवाणी ने इस्तीफा
तो वापस लिया लेकिन आडवाणी पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह को लिखी चिट्ठी में लिखे
अपने शब्दों रुपी उन बाणों को चाहकर भी वापस नहीं ले सकते जिन बाणों के निशाने पर
उनकी अपनी ही पार्टी है..! और ये बाण 2014 में भाजपा को लहूलुहान भी कर सकते हैं..!
आडवाणी ने ये सब
शायद इसलिए भी किया क्योंकि उनके पास खोने के लिए कुछ नहीं था...इस सब से आडवाणी
जैसे तैसे पीएम पद की उम्मीदवारी पा जाते तो ये आडवाणी का प्लस ही होता लेकिन आडवाणी
की बीमारी और खासकर चिट्ठी से भाजपा और मोदी दोनों कुछ पाने से पहले ही बहुत कुछ
खोने की स्थिति में आ गए हैं..!
deepaktiwari555@gmail.com
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