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शनिवार, 15 नवंबर 2014

छत्तीसगढ़िया, सबसे बढ़िया !



छत्तीसगढ़िया, सबसे बढ़िया, छत्तीसगढ़ की रमन सरकार का कुछ ऐसा ही विज्ञापन टीवी पर खूब दिखाई दे रहा है। बताया जा रहा है कि छत्तीसगढ़िया सबसे बढ़िया क्यों हैं? रमन सिंह सरकार के विकास कार्यों की झलक के जरिए छत्तीसगढ़ के लोगों की खुशहाली की तस्वीरों को खूब दिखाया जा रहा है। छत्तीसगढ़ वाले किस हाल में हैं, इसे उनसे बेहतर और कौन समझ सकता है? लेकिन छत्तीसगढ़िया असल में कितने बढ़िया है, छत्तीसगढ़ की रमन सरकार कितना बढ़िया काम कर रही है, इसका ताजा उदाहरण है, बिलासपुर का नसबंदी कांड, जिसने 15 महिलाओं की जान ले ली!
वाकई में रमन सिंह जी छत्तीसगढ़ बहुत बढ़िया है, इतना बढ़िया कि यहां सरकारी दवाओं से मरीजों को जिंदगी नहीं सीधे मौत मिलती है। बिना किसी तकलीफ के सीधे मोक्ष प्राप्त होता है! अब इतनी अच्छी और कारगार दवाएं तो सबसे बढ़िया छत्तीसगढ़िया में ही मिल सकती हैं न! इतना बढ़िया कि मां के दुनिया से विदा हो जाने के बाद उसके दुधमुंहे बच्चे को कोई देखने वाला नहीं है! उसके पास भूख से बिलखने के आलावा कोई चारा नहीं है! उसके पास मां का आंचल नहीं है!
क्या हाल हो रहा होगा उन दुधमुंहे बच्चों का या जो बच्चे अभी अपनी मां की ऊंगली पकडकर बमुश्किल चलना ही सीख पाए थे। सोच कर ही रूह कांप उठती है! लेकिन आपके लिए तो छत्तीसगढ़िया सबसे बढ़िया है!
आप इसका बखान करने से भी नहीं चूक रहे हैं, लाखों रूपया इस पर आपने जरूर फूंक ही दिया होगा! इसका आधी रकम भी राज्य के किसी पिछले गांव में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने में खर्च करते, जानलेवा दवाओं की जगह जिंदगी देने वाली दवाओं को खरीदने में खर्च करते तो शायद आज ये दिन नहीं देखना पड़ता!
दुधमुंहे बच्चों के सिर से उनकी मां का आंचल नहीं छिनता! लेकिन आपकी सरकार को तो इसकी शायद आदत सी हो गई है। पहले आंखों की रोशनी लौटाने के नाम आपके होनहार चिकित्सकों ने लोगों की जिंदगी में अंधेरे भर दिया!
याद तो होगा ही शायद आपको, शायद न भी हो, क्योंकि रोशनी आपके किसी अपने की आंखों की नहीं गई थी! गई होती तो शायद एक बार फिर से ऐसी ही लापरवाही का नमूना देखने को नहीं मिलता !
अब इसकी परतें उधड़ रही हैं, तो ऐसी ऐसी सच्चाई सामने आ रही कि पैरों तले जमीन ही खिसक जाए!
शुरआती जांच में दवाओं में चूहा मारने वाले कैमिकल का पाया जाना! दो साल पहले ब्लैकलिस्ट कर दी गई दवा बनाने वाले कंपनी से अब भी दवाएं खरीदना! टारगेट पूरा करने के लिए निर्दोष लोगों की जान से खिलवाड़ करना! और न जाने क्या क्या? अभी तो इस पूरी घटना का पोस्टमार्टम होना बाकी है! और न जाने क्या क्या काला सच सामने आने की पूरी उम्मीद है!
सीएम साहब कार्रवाई करने की बात कर रहे हैं! लेकिन रमन सिंह साहब को कौन समझाए कि कार्रवाई करने से, एक दो डॉक्टरों को सस्पेंड करने से, उनके खिलाफ एफआईआर करने से अपनी मां तो खो चुके बच्चों को उनकी मां वापस नहीं मिल जाएगी! जब आप ही के राज्य में बालौद में लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी, उस वक्त भी आप जाग जाते और ऐसे कैंपों को टारगेट पूरा करने का जरिया न बनने देते और ये कैंप बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं से लैस होते तो शायद कोई बच्चा अपनी मां के इंतजार में सारी रात रो रोकर काटने को मजबूर न होता!
क्या ऐसे ही होता है छत्तीसगढ़िया सबसे बढ़िया रमन सिंह जी ? क्या ऐसे ही होता है?
  
deepaktiwari555@gmail.com

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