सपना तो राहुल गांधी
को 2014 में प्रधानमंत्री बनाने का था लेकिन सोनिया गांधी को क्या पता था कि
लोकसभा में नेता विपक्ष के पद के लिए भी लोकसभा अध्यक्ष का मुंह ताकना पड़ेगा। 2014
के आम चुनाव में कांग्रेस के खाते में सिर्फ 44 सीटें ही आईं, जो कि लोकसभा में
सदस्यों की कुल संख्या का 10 प्रतिशत यानि की 55 सीटें भी नहीं है।, जो कि नेता
विपक्ष की कुर्सी के लिए जरूरी हैं। कांग्रेस को डर है कि सरकार के ईशारे पर लोकसभा
स्पीकर नेता विपक्ष का पद शायद ही कांग्रेस को दे, ऐसे में अब कांग्रेस लोकसभा
अध्यक्ष को चिट्ठी लिखने का मन बना रही है। कांग्रेसी नेता तमाम तरह की दुहाई देकर
भले ही नेता विपक्ष का पद हासिल करने के जतन कर रहे हैं लेकिन भाजपा इस मुद्दे पर
कांग्रेस की खिल्ली उड़ाने का कोई मौका नहीं छोड़ रही है। लोकसभा स्पीकर सुमित्रा
महाजन इस पर क्या फैसला लेती हैं, ये जल्द ही सामने आ जाएगा लेकिन नेता विपक्ष के
पद को लेकर बेचैन कांग्रेस का ये तर्क कि 1977 के कानून में ये स्पष्ट है कि सत्तारूढ़
दल के बाद सबसे बड़े दल को नेता प्रतिपक्ष का पद दिया जाना चाहिए क्योंकि कई संवैधानिक पदों की नियुक्ति के लिए नेता विपक्ष की जरूरत होती है, इसलिए गले नहीं
उतरता क्योंकि कांग्रेस शासन में वर्ष 1980 से लेकर 1989 तक लोकसभा में नेता
विपक्ष कोई नहीं था। हालांकि कांग्रेस दावा कर रही है कि उस समय किसी भी दल ने इस
पद के लिए दावा नहीं किया था।
अब सवाल ये भी उठता
है कि क्या भाजपा भी कांग्रेस की उस राह पर चलेगी, जिस राह पर कांग्रेस 1980 में
चली थी या फिर एक स्वच्छ लोकतांत्रिक परिपाटी कायम करते हुए कांग्रेस को सबसे बड़े
दल होने के नाते उसे नेता विपक्ष का पद दे देती है। बहरहाल भाजपा की मंशा और नीयत
इसके पीछे जो भी हो लेकिन कांग्रेस को नेता विपक्ष का पद न मिलने पर देश की सबसे
बड़ी राजनीततिक पार्टी की स्थिति को आसानी से समझा जा सकता है। कांग्रेस के पास
राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा होने के बाद भी उसकी स्थिति लोकसभा में एक क्षेत्रीय
पार्टी की तरह ही हो जाएगी और नेता विपक्ष का पद न मिलना कांग्रेस कार्यकर्ताओं के
मनोबल पर भी असर डालेगा। ऐसे में कांग्रेस हर हाल में नेता प्रतिपक्ष का पद हासिल
करना चाहती है और इसके लिए कांग्रेस ने पूरी ताकत भी झोंक दी है। बहरहाल गेंद
लोकसभा अध्यक्ष के पाले में हैं और उनका कहना है कि किसी ऩे भी उनसे नेता विपक्ष
पद के लिए मांग ही नहीं की है। देखना रोचक होगा कि क्या कांग्रेस को लोकसभा में
नेता प्रतिपक्ष का पद मिलेगा या फिर भविष्य में 16वीं लोकसभा एक ऐसी लोकसभा के रूप
में जानी जाएगी जिसमें नेता विपक्ष ही नहीं रहा।
deepaktiwari555@gmail.com
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