जिस महंगाई का जाप
कर यूपीए सरकार को पानी पी पी कर कोसने वाली भाजपा ने जनता का विश्वास इस विश्वास
के साथ हासिल किया कि सत्ता में आने पर वे महंगाई को पलक झपकते ही छूमंतर कर
देंगे, वही महंगाई अब मोदी सरकार के गले की फांस बन गई है। पेट्रोल, डीजल, गैस और
आलू – प्याज के साथ खाद्य सामग्री के एक के बाद एक दाम आसमान पर चढ़ने से मोदी
सरकार से जनता का विश्वास डगमगाने सा लगा है। सरकार भले ही इसके पीछे अलग अलग कारण
गिनाते हुए पिछली यूपीए सरकार को कोसते हुए देश की जनता को अभी भी अच्छे दिन आने
का भरोसा दिला रही हो लेकिन बढ़ती महंगाई से पार पाना फिलहाल तो सरकार के बूते की
बात नहीं दिखाई दे रही है।
पेट्रोल और डीजल पर
इराक संकट का हवाला देकर सरकार भले ही बचने का रास्ता खोज रही हो लेकिन आलू और
प्याज जैसी अहम चीजों की देश में पर्याप्त उपलब्धता होने के बाद भी इनके दाम तेजी
से चढ़ना न सिर्फ हैरान करता है बल्कि सरकार पर भी कई सवाल खड़े करता है। इससे भी
ज्यादा हैरानी तब होती है जब सरकार जमाखोरों के खिलाफ कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं
कर पा रही है। कई राज्यों में जमाखोरों के खिलाफ ताबड़तोड़ छापामार कार्रवाई के
बाद भी खासकर प्याज की कीमतें जमीन पर नहीं आ पा रही हैं। राज्य सरकारें असल
जमाखोरों तक या तो पहुंच नहीं पा रही है या फिर पहुंचना नहीं चाहती। जाहिर है इस
खेल में जनाखोर ही सिर्फ अकेले खिलाड़ी नहीं है बल्कि राजनेताओं के साथ ही अफसर भी
इसमें किसी न किसी रूप में भागीदार हैं...! वरना ऐसे कैसे संभव है कि सरकार के पास हर जिले-
तहसील में पूरा प्रशासनिक तंत्र होने के बाद भी जमाखरों मौज काट रहे हैं और गरीब
जनता आलू-प्याज को तरस रही है। जाहिर है कहीं तो गड़बड़ है..!
हालांकि महंगाई पर चिंतित
केन्द्र सरकार ने कैबिनेट की बैठक में अहम फैसला लेते हुए आलू और प्याज को एक साल
के लिए एपीएमसी एक्ट से बाहर रखने का ऐलान किया है। जिसके बाद किसान मंडी से बंधा
नहीं रहेगा और किसा आलू और प्याज को कहीं भी बेच सकेंगे। लेकिन सवाल वही कायम है
कि क्या इससे आलू और प्याज के बढ़ते दामों पर लगाम कसेगी और आम जनता को राहत
मिलेगी।
उम्मीद तो यही है,
महंगाई डायन जनता का पीछा छोड़ेगी, लेकिन ये उम्मीद इतनी बार टूट चुकी है कि अब इस
उम्मीद से भी कोई उम्मीद करना बेमानी लगता है। लेकिन आम जनता कर भी क्या सकती है, सिवाए अच्छे दिनों
का इंतजार करने के, जो फिलहाल तो आते हुए नहीं दिखाई दे रहे हैं !
deepaktiwari555@gmail.com
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