दीदी के राज में उनके
लोग दादागिरी करें तो हैरानी नहीं होनी चाहिए, पश्चिम बंगाल के टीएमसी सांसद तापस
पाल की बदजुबानी तो दीदीराज की असली कहानी बयां कर रही है। क्या कहा- अगर टीएमसी
के कार्यकर्ताओं को छुआ भी तो मैं अपने लड़के भेजकर सीपीएम की महिला कार्यकर्ताओं
को बलात्कार करवा दूंगा। ये शब्द हैं एक जनप्रतिनिधि के, जिसे जनता ने इसलिए चुना
है कि वो उनके हक की आवाज संसद में उठाए और उनकी परेशानियों को दूर करने के लिए
प्रयत्न करे लेकिन सांसद साहब तो किसी और ही काम में मशगूल हैं, उनके लिए अपने
विरोधी पार्टी की महिलाओं के लिए कोई ईज्जत नहीं है, और तो और वे उनकी इज्जत को
सरेआम तार-तार करने की धमकी देते नजर आते हैं।
तापस पाल दीदीराज में
महिलाओं की इज्जत सरे बाजार तार तार करने की धमकी देते हैं लेकिन पार्टी सुप्रीमो
और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी चुप हैं। पार्टी के नेता कहते हैं कि
दीदी आहत हैं, लेकिन तापस पाल पर कोई फैसला लेने के लिए वे 48 घंटों का वक्त
मांगते हैं। महिला मुख्यमंत्री के राज में महिलाओं की इज्जत से खेलने की बात सरेआम
की जाती है, महिलाओं को धमकी दी जाती है लेकिन मुख्यमंत्री खामोश हैं। महिला चाहे
वह विरोधी पार्टी की ही क्यों न हो, क्या सत्ताधारी दल के नेताओं को उनके खिलाफ
कुछ भी बोलने का, कुछ भी करने का अधिकार मिल जाता है..? जाहिर है ये अधिकार
किसी को नहीं है, ऐसे में महिला मुख्यमंत्री के होते हुए ये सब उनकी ही पार्टी के
एक जनप्रतिनिधि द्वारा कहना अपने आप में कई सवाल खड़े करता है।
हैरानी तो तब होती
है जब टीएमसी के वरिष्ठ नेता और टीएमसी सरकार में शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी कहते
हैं कि यह देखना चाहिए की सांसद तापस पाल ने किन परिस्थितियों में ऐसी बात कही
होगी, विपक्ष ने जरूर ही ऐसी स्थिति पैदा की होगी कि तापस पाल ने ऐसी प्रतिक्रिया
दी। गजब करते हो चटर्जी साहब, इसके लिए भी आप विपक्ष को ही जिम्मेदार ठहराने से
बाज नहीं आ रहे हैं। ठीक है विपक्ष की कोई बात माना तापस पाल को चुभ गई होगी,
लेकिन इससे तापस पाल को जो कि एक सांसद हैं, उन्हें महिलाओं के खिलाफ कुछ भी बोलने
की आजादी मिल गई। बंगाल में टीएमसी और सीपीएम के बीच टकराव किसी से छिपा नहीं है,
आए दिन खूनी झड़प होने की ख़बरें भी सामान्य सी बात है लेकिन एक जनता के चुने हुए
जनप्रतिनिधि से ये उम्मीद तो नहीं की जा सकती कि वो महिलाओं की सुरक्षा की बात
करने की बजाए सरेआम ये धमकी दे कि वो अपने लड़कों से महिलाओं का रेप करवा देगा। शर्म
करो तापस पाल, शर्म करो सांसद का बचाव करने वाले शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी और
शर्म करो पश्चिम बंगाल की महिला मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जो अब तक तापस पाल के
मुद्दे पर खामोश बैठी हुई है। महिलाओं के अपमान को महिला मुख्यमंत्री ही बर्दाश्त
कर रही हो तो फिर और किसी से क्या उम्मीद की जा सकती है। उम्मीद करते हैं सांसद तापस
पाल के बयान का संज्ञान लेते हुए लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन पाल के खिलाफ
कार्रवाई करेंगी और ऐसे सांसद को संसद की सदस्यता से अयोग्य ठहराएंगी क्योंकि ऐसे
जनप्रतिनिधि को देश की संसद में कदम रखने का कोई अधिकार नहीं होना चाहिए जो सरेआम
महिलाओं की आबरू को तार तार करने की बात करता हो।
deepaktiwari555@gmail.com
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