2014 में कांग्रेस से अघोषित पीएम
प्रत्याशी राहुल गांधी कहते हैं कि युवा देश की तकदीर बदल सकते हैं। राहुल युवाओं
से आह्वान करते हैं कि वे राजनीति में आएं। राहुल अपनी पार्टी में युवाओं को
प्रतिनिधित्व देने की बातें करते हैं। राहुल कहते हैं कि राजनीति में आना आसान
नहीं है क्योंकि हर कोई उनकी तरह राजनीतिक पृष्ठभूमि से नहीं होता लेकिन राहुल ये
वादा जरुर करते हैं कि वे युवाओं को राजनीति में लाना चाहते हैं और चाहते हैं कि
ज्यादा से ज्यादा युवा संसद और विधानसभा में पहुंचे ताकि देश की बागडोर युवाओं के
हाथों में हों। एनएसयूआई और यूथ कांग्रेस के बहाने वे अपनी इस सोच को परवान चढ़ाने
की पूरी कोशिश भी करते हैं। लेकिन कांग्रेस के युवराज की पार्टी में कुछ ऐसा भी
होता है, जो गले नहीं उतरता।
राजस्थान के चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे
राहुल के दो युवा साथियों को देखकर तो कम से कम ऐसा ही लगता है। दरअसल ये युवा
साथी कुछ जरूरत से ज्यादा ही युवा हैं। 100 से 1 तक अगर उलटी गिनती करें तो इनकी
उम्र करीब 18 वर्ष ही होती है, शायद इन दो केसों में राहुल की गिनती 100 से 1 की
तरफ ही शुरु हुई होगी इसलिए ही ये दोनों राजस्थान के चुनावी मैदान में ताल ठोकते दिखाई
दे रहे हैं। इनमें से एक भंवरी देवी यौन शोषण और हत्या के आरोप में जेल में बंद कांग्रेस
विधायक मलखान सिंह की 82 वर्षीय माता अमरी देवी हैं, जिन्हें लूणी विधानसभा से
टिकट मिला है तो दूसरे हैं, गहलोत सरकार में कृषि मंत्री हरजीराम बुरड़क जिन्हें टिकट मिला है लाडनूं विधानसभा सीट से। खास बात ये है कि उम्र के
मामले में हरजीराम बुरड़क भी अमरी देवी की बराबरी कर रहे हैं और जीवन के 82 वसंत
पूरे कर चुके हैं। बात यहीं खत्म हो जाती तो ठीक था लेकिन दिल्ली में अजय माकन की
प्रेस कांफ्रेंस में दागियों को बचाने वाले अध्यादेश की कॉपी को “नॉनसेंस” कहते हुए सार्वजनिक रूप से फाड़ने वाले
राहुल गांधी की “फटा पोस्टर निकला राहुल” वाली इमेज भी यहां पर उस वक्त धराशायी होती दिखाई दी जब कांग्रेस ने
दागियों के परिजनों को दिल खोलकर टिकट बांटे।
बलात्कार के आरोप में जेल में बंद पूर्व
मंत्री बाबू लाल नागर के भाई हजारी लाल नागर को दद्दू विधानसभा से अपना उम्मीदवार
बनाया तो भंवरी देवी यौन शोषण और हत्या के आरोप में जेल मे बंद महिपाल मदेरणा की
पत्नी लीला मदेरणा को जोधपुर की ओसियां विधानसभा से टिकट थमा दिया। भंवरी देवी
मामले में जेल में बंद कांग्रेस विधायक मलखन सिंह की मां तो लूणी से कांग्रेस की
उम्मीदवार हैं ही। ये छोड़िए दुष्कर्म के आरोपों से घिरे अपने विधायक उदय लाल
आंजना को फिर से निम्बाहेड़ा विधानसभा सीट से टिकट थमा दिया तो एक महिला की मौत के
मामले में मंत्री पद से हाथ धोने वाले रामलाल जाट को भी आसिंद विधानसभा सीट से उम्मीदवार
बनाने में देर नहीं की। ये तो कुछ नाम है, प्रत्याशियों की सूची का पोस्टमार्टम
किया जाए तो ये फेरहिस्त काफी लंबी दिखाई देगी।
इसके पीछे कांग्रेस का तर्क भी निराला है।
कांग्रेस का कहना है कि ये टिकट विश्नोई और जाट समाज के दबाव में जारी किए गए हैं।
अगर कांग्रेस के तर्कों से ही मतलब निकाला जाए तो साफ होता है कि वोटों के लिए न
तो कांग्रेस को न तो 82 वर्षीय उम्मीदवार से परहेज है और न ही दागियों से क्योंकि राजस्थान
में तो विधानसभा चुनाव के लिए जारी टिकटों की सूची में इनकी संख्या ठीक ठाक है।
इस सब के बाद अब राहुल गांधी की युवा और
बेदाग नेताओं को संसद और विधानसभा पहुंचाने की सोच के साथ ही उनकी कथनी और करनी के
फर्क का क्या मतलब निकाला जाए ये तो आप ही बेहतर बता सकते हैं। वैसे कुछ लोग हैं
जो इसके जस्टिफाई भी कर सकते हैं, वो भी पूरे कुतर्कों के साथ, अब उनका नाम क्या
लिखना जानते तो आप हैं ही।
deepaktiwari555@gmail.com
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