टीवी चैनल बदलते
बदलते इंडिया टीवी में जैसे तैसे उत्तराखंड
के मुख्यमंत्री बने विजय बहुगुणा पर नजर पड़ी तो देखा कि बहुगुणा साहब रजत
शर्मा के साथ आप की अदालत कार्यक्रम में उत्तराखंड में आई भीषण त्रासदी पर रजत शर्मा
के सवालों का जवाब दे रहे थे। हर एक सवाल पर बहुगुणा असहज दिखाई दे रहे थे लेकिन
इसके बाद भी बहुगुणा साहब ने आपदा प्रबंधन के साथ ही राहत एवं बचाव कार्य में देरी
को लेकर सरकार की नाकामी को स्वीकार नहीं किया..! (पढ़ें - उत्तराखंड के वो दिल्ली वाले मुख्यमंत्री..!)
हैरत तो तब हुई जब
बहुगुणा साहब किसी तरह की खामी को स्वीकारने की बजाए राहत एंव बचाव कार्य को दुनिया का सबसे
बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन बताकर वाहवाही लूटने का प्रयास करने लगे..! विजय बहुगुणा साहब
शायद ये भूल गए कि दिस रेस्क्यू ऑपरेशन पर वो आज इतरा रहे हैं, वो भारतीय सेना के
जांबाज सिपाहियों की बदौलत ही संभव हो पाया है वर्ना उनकी सरकार तो त्रासदी के
करीब डेढ़ माह बाद भी प्रभावितों को ठीक तरह से मदद तक नहीं पहुंचा पाई है..!
मीडिया मैनेजमेंट
में करोड़ों रुपए खर्च कर अपनी व सरकार की छवि को सुधारने की कोशिश में जुटे विजय
बहुगुणा भले ही अख़बारों और टीवी में विज्ञापन के जरिए अपनी पीठ थपथपा रहे हैं
लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि उत्तराखंड के आपदा प्रभावित जिलों उत्तरकाशी,
रुद्रप्रयाग, चमोली और पिथौरागढ़ के सुदूर इलाकों में आपदा प्रभावित आज भी दाने
दाने के लिए मोहताज हैं..! मीडिया वहां तक पहुंच गया, स्वंय सेवी संगठन के लोग वहां तक पहुंच गए लेकिन
सरकार का कोई प्रतिनिधि आज तक वहां तक क्यों नहीं पहुंच पाया इसका जवाब उत्तराखंड सरकार
के किसी नुमाइंदे के पास नहीं है..?
बहुगुणा को छोड़िए
उनके मंत्रिमंडलीय सहयोगी भी आपदा प्रभावित इलाकों का दौरा करने के नाम पर खूब
हवाई सैर का लुत्फ उठा रहे हैं, लेकिन दुर्गम पहाड़ी इलाकों में प्रसाव पीड़ा से
कराह रही गर्भवती महिलाओं को सुपक्षित प्रसव के लिए अस्पताल पहुंचाने के लिए
बहुगुणा सरकार के पास कोई साधन नहीं है..!
सरकार की नाकामी के
हर सवाल पर बहुगुणा साहब त्रासदी को कुदरत का कहर बताते हुए सरकार की लाचार तस्वीर
पेश कर रहे थे लेकिन आपदा प्रबंधन पूरी तरह फेल क्यों हो गया इसका जवाब विजय
बहुगुणा नहीं दे सके..? वे तो इसके लिए भी कुदरत को ही दोषी ठहराने लगे और दलील देने लगे कि ऐसी
त्रासदी से निपटना हिंदुस्तान क्या दुनिया की किसी सरकार के बस में नहीं है..! पूरी तरह नाकाम रहने
के बाद भी विजय बहुगुणा उत्तराखंड त्रासदी में एक प्रतिशत भी सरकारी नाकामी को स्वीकार
करने के लिए तैयार नहीं हैं..! ऐसा नहीं है उत्तराखंड सरकार ने कुछ काम नहीं किया लेकिन ऐसी भीषण त्रासदी के
वक्त जो संवेदनहीनता और तत्परता दिखाई देनी चाहिए थी वो कहीं भी नहीं दिखाई दी..!
त्रासदी के करीब
डेढ़ माह बाद भी केदारनाथ मंदिर में पूजा की सरकार को फिक्र है लेकिन त्रासदी में
आपना सब कुछ गंवा बैठी अपनी प्रजा की चिंता सरकार के राजा को नहीं है..!
टीवी कार्यक्रम में
ही सही अदालत के कठघरे में त्रासदी के सवालों का जवाब देते पूर्व जज रहे
मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा हर सवाल पर असहज होते हुए भी बड़ी ही चालाकी से खुद का व
सरकार का बचाव करने में सफल भले ही रहे लेकिन बहुगुणा साहब ये भूल रहे हैं कि अपनी
नाकामियों को वह ज्यादा दिनों तक नहीं छिपा सकते और देर सबेर उन्हें जनता को जवाब
देना ही होगा..!
deepaktiwari555@gmail.com
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