कुल पेज दृश्य

मंगलवार, 16 जुलाई 2013

लो जी, दिग्विजय सिंह बन गए हिंदू !

कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह के ताजा ब्लॉग को लेकर कोई कुछ कहे लेकिन दिग्विजय सिंह के इस ब्लॉग से कम से कम देश की जनता का सामान्य ज्ञान तो बढ़ ही गया कि दिग्विजय सिंह भी वास्तव में हिंदू हैं..! यहां तक तो ठीक था लेकिन ये समझ में नहीं आया कि आखिर दिग्विजय सिंह को ये बताने की जरुरत क्यों पड़ी कि वे हिंदू है..! उन्होंने द्वारका के शंकराचार्य से दीक्षा ली है..!  वे एकादशी का व्रत रखते हैं..! मध्य प्रदेश के राघौगढ़ स्थित उनके घर  में नौ मंदिर हैं और वे रोज आधा घंटा पूजा करते हैं..!
इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि दिग्विजय सिंह अल्पसंख्यकों खासकर मुस्लिमों के सबसे बड़े पैरोकार माने जाते हैं और संघ और भाजपा के बहाने हिंदुओं को गाली बकते नहीं अघाते फिर भी आखिर क्यों उस दिग्विजय सिंह को सामने आकर आज ये कहने की जरुरत पड़ रही है कि वे भी एक हिंदू हैं..?
इसको लेकर अलग-अलग लोगों को अलग-अलग राय हो सकती है लेकिन इसको अगर राजनीतिक चश्मे से देखें तो समझ में आता है कि दिग्विजय सिंह ने ऐसे ही टाईम पास करने के लिए ये ब्लॉग नहीं लिखा बल्कि इसके पीछे भी 22014 के आम चुनाव को ध्यान में रखते हुए एक बड़ी राजनीतिक वजह है। दिग्विजय सिंह वैसे तो कांग्रेस के महासचिव हैं लेकिन इसके बाद भी वे काम कांग्रेस प्रवक्ता का करते हैं और करते कुछ इस तरह से हैं कि उनकी बात कांग्रेस का आधिकारिक बयान भी नहीं बनता और कांग्रेस जो कहना चाहती है वो दिग्विजय के माध्यम से लोगों के बीच पहुंचा देती है। फिर भले ही कांग्रेस के अधिकृत प्रवक्ता दिग्गी के बयान को उनकी निजि राय क्यों न ठहरा दें..?
भाजपा ने अपने वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी को किनारे करके गुजरात के मुख्यमंत्री मोदी को चुनाव अभियान समिति का चेयरमैन बनाकर एक तरह से ये संदेश दे दिया है कि 2014 के चुनाव में मोदी के चेहरे पर ही भाजपा चुनाव लड़ेगी। इससे ये भी साफ होता है कि भाजपा हिंदुत्व के एजेंडे पर ही 2014 में केन्द्र की सत्ता हासिल करने का ख्वाब देख रही है। भाजपा के यूपी प्रभारी अमित शाह का अयोध्या पहुंचकर राम मंदिर निर्माण पर बयान, राजनाथ सिंह का इस बात को दोहराना, मोदी का खुद को राष्ट्रवादी हिंदू बताना ये सब भाजपा के हिंदुत्व के एजेंडे पर आगे बढ़ने की ख़बरों पर मुहर लगाते हैं..!
दिग्विजय सिंह का खुद को हिंदू साबित करने की कोशिश करना क्या दिग्विजय सिंह की इस चिंता को जाहिर नहीं करता कि दिग्विजय सिंह अब खुद की हिंदू विरोधी नेता की छवि से बाहर निकलना चाहते हैं..!
क्या दिग्गी की ये कोशिश इस बात को पुख्ता नहीं करती कि मोदी और राम मंदिर के नाम पर हिंदुत्व के एजेंडे पर जोर शोर से आगे बढ़ रही भाजपा की ओर बड़ी संख्या में हिंदू वोटरों का ध्रुवीकरण हो सकता है और कांग्रेस को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है..!  
शायद इसलिए ही दिग्गी ने हिंदुओं के साथ भावनात्मक रुप से जुड़ने के लिए ये बताने की कोशिश की कि वे खुद एक कर्मकांडी हिंदू हैं और हिंदू विरोधी तो बिल्कुल भी नहीं..! जिस तरह से दिग्विजय सिंह ने संघ और भाजपा पर हिंदुओं को गुमराह करने का आरोप लगाया उससे क्या ये जाहिर नहीं होता कि वे मोदी और राम मंदिर के नाम पर भाजपा की ओर हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण को रोकना चाहते हैं..!
दिग्विजय सिंह कांग्रेस में वो शख्स हैं जो पार्टी की उस बात को, राय को भी बड़ी आसानी से जनता के बीच पहुंचाकर विरोधियों की मुश्किल बढ़ा देते हैं, जिसे जनता के बीच कहने की हिम्मत शायद पार्टी के किसी नेता में नहीं है और पार्टी सार्वजनिक तौर पर आधिकारिक रुप से ऐसा कहना भी नहीं चाहती..! तो फिर क्यों न दिग्विजय का खुद को हिंदू साबित करने की कोशिश करने को यूपीए की हैट्रिक का ख्वाब देख रही कांग्रेस से जोड़कर देखा जाए..? जिसे शायद मन ही मन ये डर सता रहा है कि कहीं हिंदुत्व के झंडे को थामकर भाजपा यूपीए की हैट्रिक के ख्वाब पर ग्रहण न लगा दे..!
ये सियासत हैं, यहां तो नेताओं के हर एक शब्द के पीछे भी एक सियासी चाल छिपी होती है, जो न सिर्फ जनता को खुद से जोड़ने की एक कोशिश होती है बल्कि अपने विरोधियों को चित्त करने का सटीक जरिया भी ऐसे में 2014 के चुनाव के करीब आने के साथ ही चाहे वो मोदी हो या फिर दिग्विजय सिंह या राहुल गांधी हर किसी का एक एक बोल अपने विरोधियों को चित्त करने और जनता के दिल में जगह बनाने वाला ही होगा।
बहरहाल फैसला तो जनता को ही करना है लेकिन इसके लिए आमजन को नेताओं की इस बोली को समझना होगा कि कौन अपनी मीठी बोली से उनको बहका रहा है और कौन वास्तव में उनकी चिंता करने वाला है..? हालांकि इन नेताओं से बहुत ज्यादा उम्मीदें तो नहीं हैं लेकिन फिर भी बेहतर विकल्प को चुनने की जिम्मेदारी को जनता के कंधे पर ही है..!

deepaktiwari555@gmail.com

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें