उत्तराखंड की
बहुगुणा सरकार प्रदेश में आपदा प्रबंधन को लेकर कितनी तैयार थी इसकी पोल रुद्रप्रयाग,
चमोली, उत्तरकाशी, और पिथौरागढ़ जिले में तबाही के बाद सबके सामने खुल ही चुकी है।
शुक्र है सेना के जवानों का जिन्होंने अपनी जान की परवाह न करते हुए हजारों लोगों
को मौत के मुंह से निकालकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। कैग की रिपोर्ट पहले ही
आपदा प्रबंधन की जमीनी हकीकत को बेपर्दा कर चुकी है कि किस तरह 2007 में स्टेट
डिजास्टर मैनेजमेंट ऑथोरिटी की आज तक कोई बैठक ही नहीं हुई है। ये छोडिए इस
ऑथोरिटी ने आपदा से निपटने के लिए न कोई नियम कानून बनाए और न ही कोई दिशा निर्देश
जारी किए। ऐसे में अब उत्तराखंड के राज्यपाल अजीज कुरैशी ने भी आपदा प्रबंधन के
मोर्चें पर फेल बताया है। राज्यपाल ने कहा है कि उत्तराखंड की चार धाम यात्रा
अव्यवस्थाओं से भरी पड़ी थी और आपदा आने पर इसके प्रबंधन की सरकार की कोई तैयारी
नहीं थी।
राज्यपाल का चार धाम
यात्रा की तैयारी और आपदा प्रबंधन को लेकर सरकार पर सवाल खड़ा करना अपने आप में
बड़ी बात है। ये सवाल इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाते हैं क्योंकि बीते साल मई माह
में उत्तराखंड का राज्यपाल नियुक्त होने के बाद अजीज कुरैशी ने सड़क मार्ग से
बदरीनाथ धाम की यात्रा की थी। बदरीनाथ की यात्रा से लौटने के बाद राजभवन में
राज्यपाल अजीज कुरैशी के आधे घंटे के साक्षात्कार के दौरान मैंने जब राज्यपाल से
चार धाम यात्रा को लेकर सवाल किए तो राज्यपाल अजीज कुरैशी ने चार धाम यात्रा मार्ग
में अव्यवस्थाओं को लेकर सरकार के खिलाफ खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर की थी। इतना ही
नहीं राज्यपाल ने चारों धामों के लिए डेवलेपमेंट ऑथोरिटी बनाए जाने की भी वकालत की
थी। इसके लिए राज्य सरकार को पत्र लिखकर निर्देशित भी किया था लेकिन बहुगुणा सरकार
के कानों में जूं तक नहीं रेंगी। (जरुर पढ़ें- उत्तराखंड के वो दिल्ली वाले
मुख्यमंत्री..!)
आपदा प्रबंधन के
मोर्चे पर पूरी तरह फेल होने के बाद भी राज्य के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा साहब को
शर्म नहीं है..! बहुगुणा सरकार
अखबारों और समाचार चैनलों में आपदा राहत कार्य के दौरान हजारों लोगों को बचाने का
दावा करने वाले बड़े बड़े विज्ञापनों के जरिए वाहवाही लूटने में लगी है लेकिन सरकार
के किसी नुमाईंदे के पास इस बात का जवाब नहीं है कि आखिर क्यों समय रहते आपदा
प्रबंधन को लेकर सरकार ने कोई कदम क्यों नहीं उठाया..?
अखबारों औऱ टीवी
चैनलों में लाखों रुपए के इन विज्ञापनों के जरिए विजय बहुगुणा के नाम से एक संदेश
जारी किया गया है। संदेश हैं – प्रत्येक जीवन अमूल्य है- उसकी रक्षा करना हमारा
कर्तव्य है- विजय बहुगुणा, मुख्यमंत्री उत्तराखंड।
मुख्यमंत्री साहब से
सवाल करना चाहूंगा कि आपके इस कर्तव्य की याद आपको हजारों लोगों की मौत के बाद ही
क्यों आई..? हर साल उत्तराखंड में हजारों लोग आपदा की भेंट
चढ़ते हैं लेकिन तब सरकार को...आपको अपना कर्तव्य याद क्यों नहीं आता..?
माना आप पिछले साल
ही जैसे तैसे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बने हैं (जरुर पढ़ें- विजय बहुगुणा कैसे बने मुख्यमंत्री ?) लेकिन आपके कुर्सी
संभालने के बाद बीते साल उत्तरकाशी में आपदा ने सैंकड़ों लोगों को लील लिया था
लेकिन तब भी आपको अपने इस कर्तव्य की याद नहीं आयी जिसे आप आज लाखों रुपए खर्च कर
अखबारों और टीवी चैनलों में विज्ञापन के जरिए लोगों को बता रहे हैं कि आपका
कर्तव्य क्या है..?
बीते साल तो आपदा
प्रबंधन का खामियों का ठीकरा आपने पिछली भाजपा सरकार पर फोड़ दिया था लेकिन अब क्यों
आपके पास कोई जवाब नहीं है..? सेना के जवान अपनी जान को जोखिम में डालकर लोगों की जान बचा रहे हैं और आप
अखबारों में टीवी चैनलों को विज्ञापन जारी कर अपना चेहरा चमका रहे हैं। बहुगुणा
साहब अखबारों, समाचार चैनलों में विज्ञापन के बजाए इस पैसे का इस्तेमाल आपदा
प्रभावितों को राहत पहुंचाने में करते तो शायद आपदा पीड़ितों का दर्द कुछ कम होता
लेकिन आपके लिए तो सरकारी पैसे से विज्ञापन जारी कर अपनी फोटो छपवाकर सरकार की छवि
को सुधारने की ज्यादा चिंता है लेकिन ये मत भूलिए बहुगुण साहब की जनता को अब आप
इतनी आसानी से नहीं बरगला सकते।
deepaktiwari555@gmail.com
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