गृहमंत्री आतंकवाद को जाति और धर्म से जोड़ते हैं तो विपक्ष बवाल मचाता
है...विपक्ष के हंगामा पर सरकार भी बैकफुट पर आ जाती है और जो गृहमंत्री एक दिन पहले
तक तथ्यों के आधार पर हिंदू आतंकवाद की बात करते हैं वे अपना बयान वापस ले लेते हैं(गृहमंत्री
रहने लायक नहीं शिंदे !)। सरकार और विपक्ष आपस में ही उलझते रही लेकिन आतंकवादी न तो डरे और न
ही उन्होंने अपने मंसूबे बदले और पूरी रणनीति के साथ एक के बाद एक दो धमाके कर हैदराबाद
ही नहीं पूरे देश को दहला दिया।
12 लोग मारे जाते
हैं 80 से ज्यादा लोग घायल हो जाते हैं...कितनों के अरमान धमाकों की गूंज में डूब
जाते हैं तो कितने जीवनभर के लिए अपाहिज हो जाते हैं लेकिन धमाके नहीं रुकते हैं..! मुआवजे के मरहम से
कभी न भरने वाले जख्मों को भरने का काम किया जाता है लेकिन धमाके नहीं रूकते हैं..!
धमाकों के बाद अक्सर
खामोश रहने वाले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की चुप्पी टूटती है और एक पहले से तैयार
स्क्रिप्ट को मनमोहन सिंह पढ़ देते हैं। प्रधानमंत्री हमेशा की तरह कहते हैं कि
दोषी बख्शे नहीं जाएंगे...देश की आवाम शांति बनाए रखे लेकिन धमाके नहीं रूकते हैं..!
गृहमंत्री सुशील
कुमार शिंदे को इंटेलिजेंस और अपने तथ्यों पर पूरा भरोसा है...वे कहते हैं कि दो
दिन पहले सरकार को आशंका थी कि धमाके हो सकते हैं और इसकी जानकारी सभी राज्यों को
दे भी दी गई थी लेकिन इसके बाद भी धमाके क्यों हुए इसका जवाब शिंदे के पास नहीं है..?
केन्द्र सरकार के
साथ ही राज्य सरकार और पुलिस अलर्ट होती तो क्या ये धमाके रोके नहीं जा सकते थे..? क्या बेमौत मारे गए निर्दोष लोगों की जान बचाई
नहीं जा सकती थी..? लेकिन अफसोस सारी
मुस्तैदी हर बार धमाके हो जाने के बाद...निर्दोष लोगों के मारे जाने के बाद ही नजर
आती है..!
एनबीटी के मुताबिक(IM की करतूत? काफी पहले से थी ब्लास्ट की तैयारी) 26 अक्तूबर 2012 को दिल्ली पुलिस ने
एक प्रेस रिलीज जारी की थी जिसमें बताया गया है कि पुणे ब्लास्ट की साजिश में
शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किए गए मकबूल और इमरान ने पुलिस को बताया था कि
उन्होंने बाइक से दिलसुख नगर और दो अन्य इलाकों की रेकी की थी। आतंकवादियों को
हिम्मत देखिए इसके बाद भी आतंकवादी बम प्लांट करने के लिए दिलसुखनगर को ही चुनते
हैं और अपने नापाक मंसूबों में कामयाब भी होते हैं..!
आतंकियों को बिल्कुल
भी डर नहीं है कि वे पकड़े जाएंगे..! आतंकी भी शायद अब ये समझ चुके हैं कि
गरजने वाले बादल बरसते नहीं..! हर धमाके के बाद सरकार में शामिल जिम्मेदार लोग रटी रटाई स्क्रिप्ट
पढ़ते हुए दोषियों को न बख्शने की बात दोहराती है लेकिन धमाके नहीं रूकते..!
धमाकों के बाद जांच
शुरु होती है..!
धरपकड़ शुरु होती है.. ! अगर दोषी पकड़ लिए जाते हैं तो निर्दोष लोगों की हत्या के सारे सबूत होने
के बाद भी उन पर मुकदमा चलता है..! आतंकियों को बकायदा वकील मुहैया कराया
जाता है..! सालों तक उसकी
सुरक्षा पर लाखों रूपए खर्च किया जाता है..! अदालत फांसी की सजा सुनाती है तो दया
याचिका दाखिल करने का अवसर दिया जाता है..! सालों तक अर्जी राष्ट्रपति भवन से गृह
मंत्रालय के बीच घूमती रहती है..! लेकिन फांसी नहीं होती..! जैसे तैसे गुपचुप फांसी दे दी जाती है तो उस
पर भी हल्ला मचाने वालों के कमी नहीं है...! कहीं दूर से अंजाम भुगतने की धमकी आती है
और फिर अचानक देश के किसी कोने से धमाके की ख़बर आती है...फिर से निर्दोष लोग मारे
जाते हैं और सरकार कहती है कि धमाके होने की आशंका दो दिन पहले मिल गई थी लेकिन
धमाकों को रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए इसका जवाब किसी के पास नहीं होता..!
ये सिलसिला सालों
से चला आ रहा है अब तक हजारों निर्दोष इसकी भेंट चढ़ चुके हैं लेकिन सरकार हार बार
यही कहती है कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। प्रधानमंत्री जी, गृहमंत्री जी आप धमाके
के बाद दोषियों को न बख्शने की बात करते हो और आतंकवादी करके दिखा देते हैं। कब तक
गरजने वाले बादल बने रहोगे...अब बरसने का वक्त है वरना आप गरजते ही रहोगे और
आतंकवादी बरसते रहेंगे और निर्दोष भारतवासी मौत के आगोश में समाते रहेंगे।
deepaktiwari555@gmail.com
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