हमारे देश में
चुनाव कोई भी हो हमारे नेतागण चुनाव जीतने के लिए किसी भी हथकंडे को अपनाने से
नहीं चूकते और इसके लिए लाखों रूपए पानी की तरह बहाने में भी ये लोग गुरेज नहीं
करते...ये अलग बात है कि चुनाव में पैसा खर्च करने की एक सीमा है लेकिन नेताओं को
इससे फर्क नहीं पड़ता। चुनाव में हुए खर्च का ब्यौरा भी प्रत्याशियों को चुनाव
आयोग को देना होता है लेकिन इसके बाद भी ये लोग मतदाताओं को लुभाने के लिए जमकर
पैसा उड़ाते हैं क्योंकि इनका एक ही मकसद होता है किसी भी तरह चुनाव जीतना और
चुनाव जीतने के बाद पैसा कमाना..!
ऐसा नहीं है तो
क्यों चुनाव में पैसा पानी की तरह बहाया जाता है जाहिर है नेतागण यही सोचकर पैसा
खर्च करते हैं ताकि अगर चुनाव जीत गए तो फिर तो वारे – न्यारे हैं और खर्च रकम को
पलभर में ही वसूल कर ही लेंगे साथ ही अपनी तिजोरियां भी भर लेंगे..! ऐसे कई उदाहरण समय
समय पर हमारे सामने आते रहे हैं..!
ऐसे ही नेताओं से
संबंधित एक ख़बर पढ़ी तो दिल को सुकून मिला। खबर ये है कि चुनाव आयोग ने तय समय सीमा
में चुनाव खर्च का ब्यौरा फाइल न करने वाले 2 हजार 171 प्रत्याशियों को चुनाव लड़ने
के अयोग्य ठहरा दिया है। ये लोग अगले तीन साल तक किसी भी तरह का चुनाव नहीं लड़
सकेंगे। इस सूची में सबसे ज्यादा 260 प्रत्याशी महाराष्ट्र के हैं तो दूसरे नंबर
पर 259 प्रत्याशियों के साथ छत्तीसगढ़ का
नंबर है। इसी तरह 187 प्रत्याशी हरियाणा के हैं तो ओडिशा के 188 उम्मीदवार हैं
जबकि मध्य प्रदेश के 179, उत्तर प्रदेश के 159, झारखंड के 118 और तमिलनाडु के 97
प्रत्याशी हैं। चुनाव आयोग ने ऐसा ही कदम सितंबर 2009 में भी उठाया था जब 3 हजार
275 प्रत्याशियों को अयोग्य घोषित कर दिया था।
चुनाव आयोग का ये
कदम स्वागत योग्य है लेकिन चुनाव आयोग से एक और गुजारिश ये थी कि कुछ ऐसी भी व्यवस्था
बनाई जाए...ऐसे नियम बनाने की ओर कदम बढ़ाए जाएं कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोग
चुनाव न लड़ पाएं क्योंकि हमारे देश में दुर्भाग्य से कहें कि जेल में बंद आपराधी
भी चुनाव लड़ने के लिए आजाद है और मजे की बात तो ये है कि कई बार ऐसे अपराधी किस्म
के लोग जेल में रहते हुए भी चुनाव आसानी से जीत जाते हैं। जाहिर है ऐसे लोग धनबल
और बाहुबल के आधार पर ही चुनाव जीतते हैं लेकिन ऐसा व्यवस्था हो जाए कि ये चुनाव लड़
ही न सकें तो कम से कम आपराधिक पृष्ठभूमि के लोग विधानसभा या संसद तक पहुंचने का
रास्ता तो बंद हो जाएगा..!
हालांकि ये बात
कहने और पढ़ने में जितनी
अच्छी और आसान लग रही है वास्तव में इसका संभव होना इतना ही मुश्किल है क्योंकि
हमारी सरकारें ऐसा कभी नहीं चाहेंगी क्योंकि दुर्भाग्य से सरकार में भी खुद ऐसे
लोग भी तो शामिल हैं जिन पर आपराधिक मामले दर्ज हैं..! और ऐसा करने की ओर
कदम बढ़ाकर वे खुद अपने पैर में कुल्हाड़ी क्यों मारेंगे भला..?
फिर भी उम्मीद तो
की ही जा सकती है क्योंकि उम्मीद पर ही तो दुनिया कायम है इसी उम्मीद में कि एक
दिन ऐसा भी आएगा कि ऐसी व्यवस्था होगी कि आपराधिक पृष्ठभूमि के लोग चुनाव लड़ने के
लिए अयोग्य ठहरा दिए जाएं...चुनाव आयोग को 2 हजार 171 प्रत्याशियों को चुनाव लड़ने
से अयोग्य ठहराने के फैसले के लिए बधाई।
deepaktiwari555@gmail.com
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