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शनिवार, 19 जनवरी 2013

वाह री कांग्रेस- पार्टी की चिंता...देश की नहीं !


पाकिस्तान हमारी सीमा में दाखिल होकर हमारे सैनिकों के सिल कलम कर देता है लेकिन हमारी सरकार के मुखिया प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह इस पर अपनी प्रतिक्रिया देने में एक सप्ताह का वक्त लगा देते हैं। अब मनमोहन सिंह मामले के ठंडे होने का इंतजार कर रहे थे या फिर उनका खून भी उनकी उम्र के साथ ठंडा पड़ गया है ये तो वे ही बेहतर बता सकते हैं।
हद तो तब हो गयी जब कांग्रेस पार्टी देशहित से जुड़े इस संवेदनशील मुद्दे पर ठोस कार्रवाई करने की बजाए जयपुर में चितंन शिविर में 2014 की चिंता में डूब जाती है। उन्हें देश की सीमा पर तैनात अपने जांबाज सैनिकों की चिंता नहीं है..! उन्हें देश के दुश्मन पाकिस्तान की नापाक इरादों की भनक नहीं है..! उन्हें सीमा पार घुसपैठ की फिराक में घात लगाकर बैठे आतंकियों से देश को बचाने की चिंता नहीं है..!
उन्हें चिंता है तो पार्टी से छिटक रहे उनके पारंपरिक वोट बैंक को बचाने की..! उन्हें चिंता है तो 2014 में तीसरी बार केन्द्र की सत्ता में आने की..! उन्हें चिंता है तो पार्टी के नेताओं में तालमेल की कमी की..! उन्हें चिंता है तो राहुल गांधी को बड़ी जिम्मेदारी देने की..! उन्हें चिंता है तो राहुल गांधी को देश का प्रधानमंत्री बनाने की..!
ये देश की सबसे बड़ी पार्टी है और इस पार्टी का नारा है...कांग्रेस का हाथ आम आदमी के साथ। क्या वाकई में कांग्रेस का हाथ आम आदमी के साथ है तो फिर इस पार्टी के लोग दुश्मन को सबक सिखाने की हिम्मत क्यों नहीं दिखा पाते हैं..! वो भी तब जब हमारे दो सैनिकों का सिर पाकिस्तानी सैनिक सीमा में घुसकर कलम कर देते हैं...और खुलेआम भारत को चुनौती देते हैं।
इस पार्टी की मुखिया सोनिया गांधी के साथ ही प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस के पीएम इन वेटिंग राहुल गांधी के पास नेताओं की बेटे-बेटियों की शाही शादियों में शरीक होने का वक्त है..! इनके पास पचमढ़ी और शिमला जैसे हिल स्टेशनों के साथ ही जयपुर में चल रहे चिंतन शिविर में 2014 में सत्ता हासिल करने के साथ ही राहुल गांधी को प्रधानमंत्री कैसे बनाए इसकी चिंता करने का तो वक्त है लेकिन देश के लिए अपनी जान कुर्बान करने वाले वीर सैनिकों के परिवार मिलने का वक्त नहीं है..!
ये छोड़िए इनके पास देश के दुश्मनों से कैसे निपटा जाए इसकी चिंता करने तक का वक्त नहीं है...शायद इसलिए सोनिया और राहुल गांधी पाकिस्तानी सैनिकों की बर्बर कार्रवाई पर चुप रहते हैं और मनमोहन सिंह अपना मुंह खोलने में एक सप्ताह का वक्त लगा देते हैं। सोनिया जी ये वक्त पार्टी की चिंता करने का नहीं देश की चिंता करने का है। ये वक्त सीमा पर विपरीत परिस्थितियों में विपरीत मौसम में मुस्तैदी से तैनात जाबांज सैनिकों की चिंता करने का है। ये वक्त देश को एक मजबूत और दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देने वाली सरकार होने का भरोसा देश की जनता को देने का है। सोनिया जी...काश आप समझ पाती..!

deepaktiwari555@gmail.com  

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