योगगुरू बाबा
रामदेव जो उनके लाखों भक्तों के लिए विश्वास का दूसरा नाम है। लेकिन अगर ये
विश्वास टूट जाए तो...हालांकि आंख बंद कर उऩकी बात का समर्थन करने वाले उनके
अनुयायी इस बात को नकार देंगे कि रामदेव उनके साथ कभी विश्वासघात कर सकते
हैं...लेकिन ऐसा हो रहा है। बड़ी से बड़ी बीमारी को योग और आयुर्वेद से ठीक करने
का दावा करने वाले बाबा रामदेव किराने का सामान भी बेचते हैं...बाबा के किराना
सामान पर भी लोग उतना ही भरोसा करते हैं जितना कि उनके योग और आयुर्वेदिक दवाओं
पर। लेकिन खाद्य विभाग के लिए गए रामदेव की फैक्ट्री उत्पादों के सैंपल फेल होने
के बाद बड़ा सवाल ये उठने लगा है कि क्या बाबा रामदेव भी मिलावटखोर और कालाबाजारी
करने वालों की तरह अपने सामान में मिलावट कर रहे थे। बाबा के 6 उत्पादों
सरसों का तेल, शहद, काली मिर्च, जैम, बेसन और नमक के खाद्य विभाग की टीम ने सैंपल
लिए थे...लेकिन ये सैंपल मानक पर खरे नहीं उतरे। इसके साथ ही एक और खुलासा हुआ है
कि बाबा रामदेव के कई उत्पाद ऐसे हैं...जिन्हें बाबा की फैक्ट्री नहीं बनाती
थी...यानि वे कहीं और बनते थे औप रामदेव अपना ब्रांड नेम लगाकर उनको बेचते थे। खाद्य
विभाग को बाबा के उत्पादों पर जो आपत्ति है उसके अनुसार...जिस सरसों के तेल को
पतंजलि फूड पार्क का लेबल लगाकर बेचा जा रहा है वह आर एंड जे ऑयल एंड फेट प्राइवेट
लिमिटेड झोटवाड़ा जयपुर राजस्थान ने तैयार किया है और इसके ऊपर आरोग्य शब्द लिखा
है जो गैरकानूनी है। वहीं काली मिर्च के पैकेट पर भी आरोग्य लिखा गया है साथ ही
पैकेट पर न्यूट्रीशनल वैल्यू की जानकारी भी नहीं है। इसी तरह जिस नमक को पतंजलि
कंपनी के नाम से बेचा जा रहा है, वो कच्छ गुजरात स्थित अंकुर कंपनी का उत्पाद है।
बाबा का शुद्ध शहद लीची से निर्मित है और इसमें सिर्फ 5 प्रतिशत ही शहद है। अनानास
जैम के पैकेट पर शुद्ध शब्द का इस्तेमाल किया गया है जबकि इसमें फ्लेवर का प्रोयोग
किया गया है। वहीं आरोग्य बेसन पैकेट पर आरोग्य लिखा है लेकिन शुद्ध शाकाहारी का
लेबल नहीं है। जबकि बाबा अपने योग शिविरों में भक्तों और अनुयायियों से रामदेव यही
कहते फिरते थे कि उनके उत्पादों गुणवत्ता सर्वोत्तम है और सारे उत्पाद उनकी
फैक्ट्री में ही बनते हैं। इसका मतलब क्या बाबा अपने भक्तों से अनुयायियों से झूठ
बोल रहे थे...उनके साथ विश्वासघात कर रहे थे। हालांकि अभी भी बाबा इस सब को
केन्द्र सरकार की साजिश बताते हुए खुद को पाक साफ साबित करने की कोशिश कर रहे
हैं...लेकिन क्या वाकई में ये साजिश है या फिर बाबा के लाभ योग का एक हथकंडा ये तो
वक्त ही बताएगा...लेकिन बाबा रामदेव के लिए ये अच्छी बात है कि जिस माहौल में, जिन
परिस्थितियों में ये सब कुछ सामने आया है...ऐसे में उनके भक्त और अनुयायी ऐसी किसी
बातों पर विश्वास नहीं करेंगे...क्योंकि उनको भी शायद यही महसूस होगा कि सरकार के
खिलाफ हल्ला बोलने के बाद ही बदले की भावना से सरकार बाबा रामदेव को बदनाम करने की
साजिश रच रही है। खैर देर सबेर तो सच सामने आ ही जाएगा...लेकिन अगर वाकई में ऐसा
है तो बावा पर सवाल उठने लाजिमी है...क्योंकि बाबा एक तरफ स्वदेशी का नारा देते
हैं मिलावटखोरों, कालाबाजारी करने वालों के साथ ही भ्रष्टाचारियों के खिलाफ जहर
उगलते हैं...दूसरी तरफ उनके उत्पादों के नमूनों का मानक पर खरा न उतरना बाबा पर
आंख बंद कर भरोसा करने वालों के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं है। वैसे बाबा की
संपत्ति को लेकर भी सवाल उठते रहे हैं...ऐसे में अगर मिलावटखोरी की ये बात साबित
हो जाती है तो फिर से उनकी संपत्ति को लेकर भी सवाल उठने लगेंगे कि क्या बाबा ने
ये संपत्ति भी इसी तरह घालमेल कर अर्जित की है। वैसे जितने कम समय में रामदेव ने
अपने साम्राज्य को स्थापित किया है...वो तो कम से कम इसी ओर ईशारा करता है। 1995
में दिव्य योग ट्रस्ट की स्थापना कर सिर्फ योग सिखाना शुरू करना...उसके बाद 2006
में पतंजलि योगपीठ की स्थापना के साथ आयुर्वेदिक दवाएं बनाना औऱ बेचना शुरू करने
का साथ ही आयुर्वेद पर रिसर्च और योग की ट्रेनिंग देना और फिर एफएमसीजी के क्षेत्र
में कदम रखना...और इस दौरान करीब 1100 करोड़ की संपत्ति अर्जित कर लेना...ये आसान
काम तो नहीं है। बहरहाल रामदेव कितने सही हैं और कितने गलत ये तो वक्त ही
बताएगा...लेकिन फिलहाल तो रामदेव एक और मुश्किल में घिर ही गए हैं...अब ये उनके
पीछे पड़ी सरकार का रचा मायाजाल है या फिर रामदेव का मकड़जाल ये तो वक्त ही बताएगा।
deepaktiwari555@gmail.com
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