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रविवार, 26 अक्तूबर 2014

लहर, असर और दिल्ली का डर !

आम चुनाव के मुकाबले कम ही सही, लेकिन मोदी लहर का असर महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों पर भी दिखाई तो दिया लेकिन इसके बाद भी झारखंड और जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव के साथ दिल्ली में विधानसभा चुनाव का ऐलान न होना हैरान जरूर करता है।
सवाल कई हैं, लेकिन जवाब शायद भाजपा के पास नहीं है। या कहें, कि जवाब तो है, लेकिन उसे कहने का साहस भाजपा नेताओं के पास नहीं है। दिल्ली में विधानसभा चुनाव कराने की बजाए खाली पड़ी तीन सीटों पर उपचुनाव कराने का ऐलान करना सवालों की फेरहिस्त को और लंबी कर देता है।
आम चुनाव के बाद 10 राज्यों की 33 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे भाजपा के पक्ष में नहीं आए तो मोदी लहर के हवा होने की हवा चलने लगी थी। लेकिन महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा की धमाकेदार जीत ने दीवाली पर भाजपा की खुशी को दोगुना कर दिया। साथ ही मोदी लहर के हवा होने की बातें करने वाले विरोधियों पर निशाना साधने का मौका भी भाजपा नेताओं को मिल गया। लेकिन इसके बाद भी दिल्ली में चुनाव का ऐलान न होना साफ करता है कि दिल्ली को लेकर भाजपा के मन में डर अभी भी कायम है। भाजपा को शायद डर है कि दिल्ली की सत्ता हासिल करने की राह में आम आदमी पार्टी उसके लिए रोड़ा बन सकती है। शायद इसलिए ही दिल्ली में विधानसभा चुनाव कराने की बजाए खाली पड़ी 3 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव कराना भाजपा को ज्यादा बेहतर विकल्प लगा !
उपचुनाव के नतीजे दिल्ली की जनता के मिजाज़ को भी बता देंगे। किस्मत से मिजाज़ भाजपा के पक्ष में रहा तो कुछ दिनों में या महीनों में दिल्ली में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया जाएगा और नतीजे मनमाफिक न आए तो फिर दिल्ली में राष्ट्रपति शासन तो लगा ही हुआ है। जैसे चल रहा है, चलने दिया जाए ! कम से कम दिल्ली की हार के कलंक से तो कुछ दिनों या महीनों तक बचा ही जा सकता है। इस दौरान जोड़ – तोड़ कर सरकार बनाने का वक्त तो रहेगा ही ! पता नहीं, लेकिन झारखंड और जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव के ऐलान के साथ दिल्ली में विधानसभा चुनाव की बजाए तीन सीटों पर उपचुनाव के ऐलान के बाद से ही मन में कुछ ऐसे ही सवाल उठ रहे हैं।
बहरहाल आम चुनाव के बाद महाराष्ट्र और हरियाणा तो भाजपा ने फतह कर लिया है, लेकिन झारखंड और जम्मू – कश्मीर विधानसभा चुनाव के साथ ही दिल्ली की तीन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव भी भाजपा के लिए किसी बड़ी अग्निपरीक्षा से कम नहीं होगा। फैसला जनता को ही करना है, ऐसे में देखना रोचक होगा कि इन चुनाव में लहर कितना असर दिखाती है।


deepaktiwari555@gmail.com

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