एक स्कूल में छह साल
की बच्ची से रेप हो जाता है, लेकिन कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया विधानसभा
में इस घटना पर बहस के दौरान खर्राटे भरते हैं, हद तो तब हो जाती है, जब रेप के
घटना पर मुख्यमंत्री से सवाल पूछने पर सीएम साहब जवाब देते हैं कि क्या आपके पास
कोई और ख़बर नहीं है..? दरअसल सीएम साहब नहीं चाहते कि 6 साल की मासूम के साथ हुई इस घिनौनी वारदात
पर कोई उनसे सवाल करे। हालांकि सिद्धरमैया बाद में दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई
की बात भी करते हैं, लेकिन इस सवाल पर
सिद्धरमैया का रिएक्शन बताने के लिए काफी है कि सीएम साहब के लिए स्कूल में मासूम
के साथ रेप की घटना एक मामूली सी वारदात है। इस लिए ही सीएम साहब के
लिए ये वारदात ख़बर बनने लायक तक नहीं है, इस लायक भी नहीं कि कोई पत्रकार उनसे इस
घटना पर सवाल तक करे।
वैसे इसका अंदाजा तो
उस दिन ही लग गया था, जब सीएम सिद्धरमैया रेप की इस घटना पर चर्चा के दौरान
विधानसभा में खर्राटे भर रहे थे। मुख्यमंत्री सिद्धरमैया को मतलब नहीं था कि एक
मासूम के साथ क्या बीती है, उसके साथ स्कूल में क्या दरिंदगी हुई है, उन्हें फर्क
नहीं पड़ता, शायद उनसे उनका कोई रिश्ता नहीं था। होता तो शायद इस घिनौनी वारदात पर
सिद्धरमैया का ये रवैया नहीं होता।
यूपी से लेकर
कर्नाटक तक बच्चियों और महिलाओं के साथ दरिंदगी हो रही है, लेकिन अपराध और
अपराधियों पर लगाम कसने की जिम्मेदारी संभालने वालों के लिए रेप की वारदातें सिर्फ
एक मामूली अपराध भर है। वे रेप की घटना पर ऐसे रिएक्ट करते हैं, जैसे कुछ हुआ ही
नहीं, यूपी के नेताजी इसे आबादी के तराजू में तौल कर इससे पल्ला झाड़ने की कोशिश
करते हैं तो एक राज्यपाल महोदय के अनुसार रेप को रोकना भगवान के बूते की भी बात
नहीं है। कर्नाटक के सीएम के लिए भी ये एक मामूली सी वारदात ही तो है, जिसका जिक्र
भी करना उनका पारा चढ़ा देता है।
जनता ने चुना तो
इन्हें इस भरोसे था कि ये एक भयमुक्त समाज के निर्माण में सहायक बनेंगे, लेकिन जब
कानून बनाने वाले ही अपने बेतुके और संवेदनहीन बोलों से अपराधियों का हौसला बढ़ाएंगे तो
फिर इनसे और क्या उम्मीद की जा सकती है।
deepaktiwari555@gmail.com
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