पांच राज्यों के
चुनावी समर और 2014 के आम चुनाव से पहले सत्ता के जहर का नशा नेताओं के सिर चढ़कर
बोल रहा है। खास बात ये है कि हर कोई इस जहर को पीने के लिए ललायित दिखाई दे रहा
है। साथ ही किसने कितना जहर पिया..? कौन कितना जहरीला है इसका बखान भी खूब हो रहा है।
बात ज्यादा पुरानी
नहीं है जब राजस्थान की राजधानी जयपुर में कांग्रेस के चिंतन शिविर में राहुल
गांधी ने कांग्रेस में नंबर दो की पोजीशन संभालने से पहले अपने भाषण में कहा था कि
बीती रात उनकी मां सोनिया गांधी ने उन्हें ये बताया कि सत्ता जहर के समान है। राहुल
के इस बयान के बाद हर कोई हैरान था कि अगर वाकई में सत्ता जहर है तो फिर क्यों
राहुल गांधी की मां सोनिया गांधी ने थाल सजाकर प्याले में अपने युवराज राहुल को ये
जहर पीने के लिए दिया..? सवाल ये भी उठने लगे कि क्या ये इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की हत्या की याद
को ताजा कर देश की जनता के नाम एक भावुक अपील थी..? इस पर चर्चाओं का लंबा दौर चला। खैर बात आयी गयी
हो गयी थी लिहाजा लोग इस बात को ये समझकर भूल गए थे कि शायद सत्ता के जहर की मदहोशी
का कुछ अलग ही मजा होता है। लेकिन पांच राज्यों दिल्ली, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़,
राजस्थान और मिजोरम के विधानसभा चुनाव के दौरान सोनिया गांधी ने भाजपा के लोगों को
जहरीला कहकर एक बार फिर से उसी वाक्ये की याद ताजा कर दी। ऐसे में भाजपा के पीएम
इन वेटिंग नरेन्द्र मोदी कहां पीछे रहने वाले थे उन्होंने कांग्रेस पार्टी को ही
ये कहकर सबसे जहरीली पार्टी करार दे दिया कि कांग्रेस सबसे ज्यादा वक्त तक सत्ता
में रही है ऐसे में उससे जहरीली पार्टी कोई और कैसे हो सकती है..?
चुनावों में चर्चा जहर
और जहरीले लोगों की हो रही है, तो ऐसे में जेहन में कई सवाल उठते हैं। मसलन, जहर
तो वही पीना चाहेगा जो खुदकुशी करना चाहता हो लेकिन ये बात भी गौर करने वाली है कि
खुदकुशी कोई अपनी खुशी से तो नहीं करता..! ऐसे में क्यों सोनिया ने अपने बेटे राहुल को सत्ता रूपी
जहर का प्याला दिया..? क्यों राहुल ने खुशी से इस प्याले को स्वीकार किया और क्यों कांग्रेस और भाजपा
दोनों एक दूसरे को जहरीला साबित करने में तुले हुए हैं। मान दोनों रहे हैं कि
सत्ता जहर है और जहर राजनीतिक दलों के साथ ही उनके नेताओं में भी है लेकिन जुबानी
जंग इस बात को साबित करने की हो रही है कि कौन ज्यादा जहरीला है..? भाजपा कांग्रेस को
तो कांग्रेस भाजपा को ज्यादा जहरीला साबित करने पर तुली हुई है।
खास बात तो ये है कि
इस जहर को हर राजनेता पीना चाहता है, लेकिन ये दुनिया जानती है कि उनके लिए ये जहर
न होकर अमृत के समान है क्योंकि एक बार सत्ता मिलने पर ये अपनी कई पीढ़ियों को
तारने का ऐसा इंतजाम कर लेते हैं कि ताकि फिर किसी को कुछ करने की जरूरत ही न
पड़े।
जहर असल में किसी को
पीना पड़ता है, उसका असर किसी को सहना पड़ता है तो वो है देश की जनता, जिसके दम पर
ही ये राजनेता सत्ता हासिल करते हैं। कभी घोटालों और भ्रष्टाचार का जहर तो कभी महंगाई
और सांप्रदायिक दंगों का जहर और ये सब भ्रष्ट मंत्री और नेताओं के मंथन से ही बाहर
निकलता है। नेता को ऐश करते हैं लेकिन ये जहर देश की जनता का जीना मुहाल कर देता
है। उम्मीद करते हैं कि देश की जनता इस बार वोट डालने से पहले सत्ता के लिए ललायित
नेताओं की जहरीली फुंकार से बचने के उपाय पर भी विचार करेगी और ऐसे प्रत्याशियों
को चुनेगी जो सत्ता के लिए नहीं जनता की सेवा के लिए काम करे।
deepaktiwari555@gmail.com
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