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मंगलवार, 18 जून 2013

उत्तराखंड के वो दिल्ली वाले मुख्यमंत्री..!

सुना है...उत्तराखंड के दिल्ली वाले मुख्यमंत्री आजकल भारी टेंशन में हैं..! विजय बहुगुणा को जैसे तैसे मुख्यमंत्री की कुर्सी तो मिल गयी लेकिन करना क्या है..? ये कौन बताए..? ऐसे में देहरादून में हैलीपेड पर सीएम साहब का सरकारी चौपर फर्राटे भरने के लिए हरदम तैयार रहता है। क्या पता..? कब क्या पूछने दिल्ली जाना पड़ जाए..? अब हर फैसले खुद से तो ले नहीं सकते न..! साहब को दस जनपथ में ताल भी तो ठोंकनी होती है ताकि 10 जनपथ के चक्कर लगा लगाकर बड़ी मुश्किल से हाथ आई कुर्सी कहीं सरक न जाए..!
दरअसल ख़बर है कि लंबे चौड़े कद वाले सीएम साहब को छोटे प्रदेश की बड़ी कुर्सी संभालने में पसीने छूट रहे हैं..! जब कुर्सी मिली थी तो अपनी ही पार्टी के नेताओं ने विरोध में मोर्चा खोल दिया था...जैसे तैसे मामला ठंडा पड़ा तो बीते साल आपदा ने उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों का नक्शा ही बदल कर रख दिया..!
सरकार पर सवाल उठने लगे तो नए नवेले मुख्यमंत्री बने बहुगुणा ने आपदा प्रबंधन के पर्याप्त इंतजामात न होने पर इसका ठीकरा सूबे की पिछली भाजपा सरकार पर फोड़ दिया। यहां तक तो ठीक था लेकिन इसके बाद आपदा प्रभावितों के राहत और पुनर्वास पर जोर देने की बजाए सीएम साहब ने प्रभावितों को भजन कीर्तन करने की तक सलाह दे डाली थी..!  
एक बार फिर से उत्तराखंड आपदा की चपेट में हैं...बीते साल भाजपा सरकार पर आपदा प्रबंधन की तैयारी न होने का ठीकरा फोड़ने वाले सीएम साहब पशोपेश में हैं कि करें तो क्या..?
अपनी ही पार्टी के नेताओं और विधायकों की आपदा से पहले ही घिरे बहुगुणा के लिए दैवीय आपदा दोहरी मुसीबत लेकर आयी है..! अब तो बीते साल वाला बहाना भी नहीं चलेगा वरना ठीकरा पिछली भाजपा सरकार पर फोड़कर अपना पल्ला झाड़ लेते..!
भारी टेंशन में घिरे सीएम साहब की मुश्किल अब कैसे आसान हों..? एक सुपुत्र से बड़ी उम्मीद थी लेकिन उसने भी टिहरी उपचुनाव में कहीं का नहीं छोड़ा..! लेकिन सुना है कई विधाओं में माहिर सुपुत्र खूब खेल कर रहे हैं..! सुना तो यहां तक है कि साहब ने तो प्रदेश में कई जगह जमीन पर रहते हुए ही करोड़ों का खेल कर दिया..! राजनीति चले न चले जीवन की गाड़ी पूरे ठाठ से बिना रुके चले इसका पूरा इंतजाम तो कर ही लिया है..!  
दिल्ली की दौड़ लगाने को हरदम तैयार बैठे रहने वाले बहुगुणा अब दिल्ली जाने में भी घबरा रहे हैं..! दरअसल हरियाणा के हथिनी कुंड बैराज से पानी यमुना के रास्ते दिल्ली पहुंच गया है। यमुना खतरे के निशान से ऊपर बह रही है ऐसे में बाढ़ के मुहाने में बैठी दिल्ली में कोई क्यों आना चाहेगा भला..? हिमाचल प्रदेश में मंडी उपचुनाव के लिए प्रचार करने किन्नौर पहुंचे मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ये गलती कर ही चुके हैं और सांगला घाटी में फंसे हुए हैं..!
सुना है बहुगुणा बड़े चतुर हैं..! वे वीरभद्र सिंह जैसी गलती नहीं करेंगे..! सीएम हाउस में बैठकर दिल्ली आने जाने में हुई डेढ़ साल की थकान उतारेंगे और फिर जब इंद्र देव की कृपा कम होगी और गंगा- यमुना शांत हो जाएंगी तो फिर से दिल्ली चले जाएंगे..! लेकिन सीएम साहब दिल्ली यूं ही नहीं जाएंगे बकायदा उत्तराखंड के आपदा प्रभावितों के राहत और पुनर्वास के नाम पर करोड़ों का पैकेज मागेंगे और फिर मीडिया में बघारेंगे कि उन्हें आपदा प्रभावितों की बड़ी फिक्र है...इसके लिए पांच साल में पांच हजार बार भी दिल्ली के चक्कर लगाना पड़े तो खुशी से लगाउंगा..! जय उत्तराखंड।।



deepaktiwari555@gmail.com

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