मामा रेल के सर्वेसर्वा थे तो मामा कैसे
अपने प्यारे भांजे को रेल की चाबी देने से इंकार कर सकते थे..! ऐसे भांजे की काबलियत पर मामा भी कैसे शक कर सकते थे जिसने कुछ ही सालों
में करोड़ों का साम्राज्य खड़ा कर खुद को साबित भी किया था..! सब कुछ ठीक ठाक चल भी रहा था लेकिन भ्रष्टाचार की रेल चला रहे ड्राईवर
भांजे की रफ्तार कुछ ज्यादा ही तेज थी लिहाजा भ्रष्टाचार की रेल हो गयी डी रेल और भांजे
के साथ ही रेल चलाने का ग्रीन सिग्नल देने वाले मामा की मुश्किलें भी बढ़ गयीं। (जरूर पढ़ें- भांजा चला रहा मामा की रेल..!)
भांजे के साथ खुद को सीबीआई के लपेटे में
आने से बचाने के लिए मामा ने रेल डीरेल होने की जिम्मेदारी से ये कहते हुए पल्ला
झाड़ लिया कि उन्होंने किसी को भ्रष्टाचार की रेल चलाने का ग्रीन सिग्नल कभी नहीं
दिया..! लेकिन रेलमंत्री बंसल मामा की बात पर कौन
यकीन करता लिहाजा विपक्ष ने कुर्सी छोड़ने की मांग को लेकर घेराबंदी शुरु कर दी।
घूसकांड में मामा पर इस्तीफे का दवाब था ऐसे में इस्तीफे की आफत के बीच मामा के लिए
राहत भरी खबर ये आयी कि उनकी पार्टी खुलकर उनके बचाव में आ गयी।
मामला संगीन था और भांजे को सीबीआई ने
रंगे हाथों पकड़ा था ऐसे में नैतिक रुप से मामा का इस्तीफा तो बनता था लेकिन पार्टी
के पीछे खड़े होने से मामा की कुर्सी बच गयी..!
अब सवाल ये खड़ा होता है कि संगीन आरोपों
के बाद भी कांग्रेस रेलमंत्री के पक्ष में क्यों खड़ी हो गयी..? जाहिर है अगर रेलमंत्री से इस्तीफा लिया जाता तो ये सरकार की ही हार
होती और विपक्ष इसको खूब जोर शोर से भुनाता..! अब कांग्रेस क्यों चाहेगी कि उनका एक
मंत्री शहीद भी हो और विपक्ष को इसका फायदा मिले...ऐसे में पहले से ही भ्रष्टाचार
की कश्ती पर सवार कांग्रेस ने एक और मंत्री को कश्ती से धकेलने की बजाए साथ में बैठाना
बेहतर समझा..!
मनमोहन सरकार इससे पहले भी भ्रष्टाचार में
डूबे अपने मंत्रियों का पूरा साथ देते आयी है..! सलमान खुर्शीद पर
लगे आरोप तो आपको याद ही होंगे लेकिन खुर्शीद साहब का इस्तीफा तो दूर उन्हें
प्रमोट कर विदेश मंत्री बना दिया गया..! कानून मंत्री अश्विनी कुमार के मामले में
भी मनमोहन सरकार अश्विनी कुमार के साथ खड़ी है और अब ऐसा ही कुछ बंसल के मामले में भी हो रहा है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस्तीफे की मांग को तो कांग्रेस पहले ही
नकार चुकी है..! (जरूर पढ़ें- क्यों दें
कानून मंत्री इस्तीफा..?)
ये छोड़िए भ्रष्टाचार के आरोप पर विपक्ष
की घेराबंदी कांग्रेस को इतनी परेशान करने लगी है कि कुछ न सूझने पर अब कांग्रेस कह
रही है कि भाजपा यूपीए सरकार पर ऊंगली उठाने से पहले एनडीए सरकार में हुए घोटालों
को याद करें..! कांग्रेस की इस कथनी का तो ये मतलब
निकलता है कि एनडीए सरकार के कार्यकाल में हुए घोटाले यूपीए सरकार के लिए भ्रष्टाचार
और घोटाले करने का लाइसेंस है..!
ये तो वही बात हुई कि जब आपने भ्रष्टाचार
और घोटालों की गंगा बहाई है तो हम उसमें डुबकी लगा रहे हैं तो क्या गलत है..? वाह..! क्या तरीका है कांग्रेस का यूपीए सरकार के
भ्रष्टाचार और घोटालों को जस्टिफई करने का..?
भ्रष्टाचार तो भ्रष्टाचार है चाहे वह किसी
भी सरकार के कार्यकाल में किसी ने भी क्यों न किया हो..? दूसरे के गुनाहों की दुहाई देकर खुद को सही साबित करना कहां तक सही है..? भ्रष्टाचारी किसी भी सरकार में शामिल रहा हो या किसी भी दल से हो उसे
बख्शा तो नहीं जा सकता न..! एनडीए ने जनता को छला तो जनता ने उसे सबक
सिखाया और अब यूपीए सरकार में शामिल लोग जनता की गाढ़ी कमाई से अपनी जेबें भर रहे
हैं तो जनता क्या उन्हें छोड़ेगी..? ये हमेशा याद रखिए कि आप कुछ दिनों तक तो
जनता को बेवकूफ बना सकते हैं लेकिन लंबे वक्त तक नहीं..! फिर चाहे वो एनडीए हो या फिर यूपीए हो या फिर कोई और..!
deepaktiwari555@gmail.com
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