2014 में ज्यादा
वक्त नहीं है लिहाजा 2014 में केन्द्र की सत्ता तक पहुंचने के रास्ते तैयार किए
जाने लगे हैं तो अपने-अपने विरोधियों को रास्ते में ही धराशायी करने की कोशिशें भी
खूब परवान चढ़ रही हैं। 2014 में केन्द्र की सत्ता के वास्ते राजनेता कुछ भी कर गुजरने को तैयार बैठे
हैं...फिर चाहे इसके लिए किसी पर कीचड़ उछालने की बात हो या फिर खुद को जनता का
सबसे बड़ा हितैषी साबित करने के लिए किसी भी हद तक जाने की बात..!
यूपीए सरकार में
वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने बजट के जरिए महिलाओं, युवाओं और गरीब तबके के सहारे
2014 की सीढ़ी तैयार करने की कोशिश की तो दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय अधिवेशन
में भाजपा से पीएम पद के प्रबल दावेदार गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा
कि भाजपा मिशन के लिए है जबकि कांग्रेस कमीशन के लिए..! मोदी ने यूपीए सरकार
के तमाम घोटालों का जिक्र कर कांग्रेस बदरंग छवि प्रस्तुत करने में कोई कसर नहीं
छोड़ी।
मोदी ने कांग्रेस
को दीमक बताते हुए भाजपा कार्यकर्ताओं से अपने मेहनत के पसीने से कांग्रेस को जड़
से उखाड़ फेंकने का आह्वान किया तो मणिशंकर अय्यर ने मोदी को मुसलमानों की हत्या
करने वाला और सांप –बिच्छू तक की संज्ञा दे डाली..!
मोदी ने सोनिया –
राहुल पर निशाना साधते हुए पर्दे के पीछे से शासन करने का आरोप लगाते हुए मनमोहन
सिंह को प्रधानमंत्री बनाकर चौकीदार नियुक्त करने की बात कही तो राजीव शुक्ला ने
मोदी को राष्ट्रीय नेता के लिए मोदी की क्षमता पर ही सवाल खड़ा कर दिया..!
मोदी ने 2014 में
भाजपा को कांग्रेस के कुशासन का विकल्प बताते हुए कांग्रेस को उखाड़ फेंकने का
आह्वान किया तो राशिद अल्वी ने भाजपा में नेताओं को टोटा बताते हुए कार्यकर्ताओं
में जोश भरने के लिए प्रणव और लाल बहादुर शास्त्री का नाम लेने की बात कही..!
कुल मिलाकर 2014
में केन्द्र की सत्ता की मंजिल तक पहुंचने के लिए देश की दोनों प्रमुख पार्टियां
खूब जोर लगा रही हैं। आपस में जुबानी जंग तेज हो चुकी है और नेताओं में अऩुशासन के
साथ ही उनकी भाषा का संयम भी खोता जा रहा है..!
दरअसल लड़ाई सिर्फ अपने
बल पर जीत हासिल करने तक होती तो ठीक था लेकिन लड़ाई विरोधियों की राह में ज्यादा
से ज्यादा रोड़े अटका कर उनको मंजिल तक पहुंचने से पहले रोकने की भी है। अच्छा
खेलकर तो हर कोई भी जीत हासिल कर लेता है लेकिन ये राजनीति है यहां खुद के अच्छा
खेलकर जीत हासिल करने की बजाए दूसरे का खेल ज्यादा खराब करके या दिखाकर खुद बिना
अच्छा खेले ही जीतने की परंपरा है। लिहाजा 2014 के लिए अपनी जीत का रास्ता तैयार
करने के लिए एक बार फिर से इसी परंपरा का सहारा लिया जा रहा है..!
2014 में
भ्रष्टाचार अहम मुद्दा है और जिस तरह से मोदी ने आज भाजपा को मिशन के लिए और
कांग्रेस को कमीशन के लिए बताते हुए यूपीए सरकार के भ्रष्टाचार को अपना हथियार
बनाया उससे तो यही लगता है कि भाजपा हिंदुत्व के चेहरे के साथ ही भ्रष्टाचार की नाव
में सवार यूपीए सरकार की नैया डुबाने में कोई कसर नहीं छोड़ने वाली। लेकिन सबसे
अहम बात ये है जो कांग्रेस ने मोदी के कमीशन वाले जुमले पर जवाब में कही कि भाजपा
को अपने पूर्व अध्यक्ष बंगारु लक्ष्मण के कारनामे नहीं भूलने चाहिए कि किस तरह
फर्जी रक्षा सौदे की डील के दौरान तहलका के स्टिंग ऑपरेशन में बंगारु लक्ष्मण एक
लाख रूपए की रिश्वत लेते हुए कैमरे में पकड़े गए थे।
मोदी ने कहा कि देश
की जनता के पास भाजपा ही एकमात्र विकल्प है...लेकिन भाजपा का बीता हुआ कल कहीं न
कहीं भाजपा को भी कांग्रेस की ही जमात में खड़ा करता है यानि जब – जब दोनों सत्ता
में आए तब-तब दोनों ने ही भ्रष्टाचार के सागर में गोते लगाने के कोई मौके नहीं
छोड़े...ये बात अलग है कि कांग्रेसी ज्यादा बेहतर गोताखोर साबित हुए हैं..!
फैसला एक बार फिर
से जनता को ही करना है लेकिन दामन किसी का भी पाक साफ नहीं है..! सबसे बड़ी मुश्किल
ये है कि जनता के पास भी कोई मजबूत औऱ भरोसेमंद विकल्प नहीं है...ऐसे में देखना ये
होगा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ समाजसेवी अन्ना हजारे की मुहिम और योगगुरु बाबा
रामदेव का कालेधन के खिलाफ आंदोलन के साथ ही अरविंद केजरीवाल एंड कंपनी की आम आदमी
पार्टी क्या लोगों के दिलों में एक नए विकल्प का दीप जला पाने में कामयाब होगी या
फिर एक बार फिर से जनता देश के दोनों बड़े राष्ट्रीय दलों में से किसी एक पर भरोसा
जताकर उसके हाथ में देश की बागडोर सौंपेगी..?
deepaktiwari555@gmail.com
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