कुल पेज दृश्य

सोमवार, 23 अप्रैल 2012

राजनीति के विभीषण


राजनीति के विभीषण

विभीषण के नाम से तो आप सभी वाकिफ ही होंगे...सीता को रावण जब उठा कर ले गया था तो सीता की तलाश में जब हनुमान लंका में पहुंचे थे तो वे विभीषण ही थे जिन्होंने रावण की ताकत औऱ कमजोरियां को भगवान राम के सामने उजागर किया था...जो रावण के अंत की वजह बना था। इसी तरह कुछ विभीषण हर जगह होते हैं...लेकिन हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड में राजनीति के विभीषणों की...दरअसल उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव के दौरान राज्य के दोनों प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस में भी सैंकडों ऐसे ही विभीषण थे जिन्होंने अपनी नेता भक्ति के लिए अपनी ही पार्टी का बेड़ा गर्क करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अब चुनाव का परिणाम आए हुए करीब डेढ़ महीने का वक्त गुज़र चुका है...राज्य में कांग्रेस की सरकार बन गयी है...तो दोनों ही पार्टियों भाजपा औऱ कांग्रेस ने ऐसे विभीषणों की पहचान कर उनको किनारे करने का काम शुरू कर दिया है। ये ऐसे विभीषण थे जिन्होंने चुनाव के दौरान अपनी अपनी पार्टी भक्ति को किनारे कर नेता भक्ति पर ज्यादा मेहनत की...कुछ अपने पसंदीदा नेता को विधायकी का टिकट न मिलने से नाराज़ थे तो कुछ खुद को टिकट न मिला तो बन गए विभीषण...इसका खामियाजा अधिकतर जगह उन नेताओं औऱ कार्यकर्ताओं ने भी भुगता औऱ सबसे ज्यादा भुगता उनकी पार्टी ने भी...क्योकि इन विभीषणों के चलते दोनों ही पार्टियों के करीब करीब आधा दर्जन से ज्यादा प्रत्याशियों को कहीं बहुत कं अतंर से तो कहीं पर बुरी हार का मुंह देखना पड़ा...ये हाल राज्य की दोनों की प्रमुख दल भाजपा औऱ कांग्रेस में लगभग एक जैसे ही थे। ऐसे में दोनों ही पार्टियों ने अब इन विभीषणों की पहचान का काम शुरू कर दिया है...भाजपा ने इस काम में बकायदा एक पूरी टीम लगा रखी है...जो विभीषणों को पहचानने के लिए तीसरी आंख का काम कर रही है। पहले चरण में तो भाजपा ने चार जिलों को पूरी कार्यकारिणी को ही भंग कर दिया है...जबकि भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल रही कोटद्वार सीट से खंडूरी के हारने पर भाजपा से कोटद्वार के ही अपने नेता औऱ पूर्व विधायक शैलेन्द्र रावत को नोटिस थमा दिया है...वहीं कांग्रेस ने भी चुनाव से लेकर सीएम के नाम की घोषणा तक विभीषण बने नेताओं को को अब सबक सिखाना शुरू कर दिया है...लेकिन कांग्रेस की ये कार्रवाई सिर्फ हवा हवाई ही दिखाई दे रही है...विभीषणों के सरदार हरीश रावत पर तो प्रदेश कांग्रेस हाथ डालने से कतराती दिखाई दे रही है जबकि सरदार के सिपहसालारों को जरूर नोटिस जारी कर कार्यकर्ताओं को संदेश देने की कोशिश कांग्रेस कर रही है। बहरहाल विभीषणों की पहचान का ये काम अभी दोनों पार्टियों ने शुरू ही किया है...आगे आगे देखते हैं होता है क्या।


दीपक तिवारी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें