राजेश रंजन कहो, पप्पू यादव कहो, क्या फर्क पड़ता है,
लेकिन खबरदार जो राजनेता कहा ! ठीक है, बिहार के मधेपुरा से सांसद हैं, लेकिन राजनेता तो नहीं हैं ना। होते
तो क्या राजनेताओं को गालियां बकते। वादे कर उन्हें पूरा न करने पर “राजनेता” रूपी कौम की तारीफ
शायद ही कभी सुनने को मिले लेकिन पप्पू यादव ने जो बोला वो भी कहां सुनाई पड़ता
है।
क्या कहा था पप्पू यादव ने, ये
अभी तक आपने नहीं सुना है तो पढ़ लीजिए, सांसद जी बोले कि 'हर राजनेता @#% बहुत &*%@ होता है। मेरा बस चले तो राजनेता मिले और शूट ऐट साइट कर देना चाहिए। नाग
मिले छोड़ दीजिए, राजनेता मिले, लात कंठ पर देकर मारिए। सोसाइटी को किसी
ने कमजोर किया तो @%#(
पॉलिटिशन ने।'
ये शब्द हैं देश की
संसद में जनता के हक की आवाज़ उठाने वाले सांसद पप्पू यादव के। वो पप्पू यादव जो “द्रोहकाल के पथिक” नामक एक किताब भी
लिख चुके हैं।
पप्पू यादव हाल ही
में पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल
से निष्कासित भी किये जा चुके हैं। बिहार में विधानसभा चुनाव सामने खड़ा है ऐसे
में राजद से निकाले जाने के बाद से ही पप्पू यादव नया राजनीतिक ठौर तलाशते दिखाई
दिए, लेकिन ठौर ना मिलने पर पप्पू यादव ने अपनी नई पार्टी “जन क्रांति अधिकार
मोर्चा” का ही गठन कर लिया।
बिहार में अपना
राजनीतिक वजूद बचाने की कोशिश में लगे पप्पू यादव का एक राजनेता होते हुए,
राजनेताओं को गालियां बकना समझ से परे है। पप्पू यादव जी एक सवाल आपसे, क्या आप
राजनेता नहीं है ? इस सवाल का जवाब आप ना में तो नहीं दे पाएंगे
फिर आप क्या हुए ? आप भी तो इस कौम का
ही एक हिस्सा हैं। आप ने इस कौम में रहते हुए कोई अति विशिष्ट कार्य किया हो तो वो
ही बता दीजिए। गूगल बाबा भी थक गए, लेकिन आपके बारे में ऐसा कुछ हमें खोज के नहीं
दे पाए, जो आपको इन राजनेताओं से लग पहचान दिलाता हो। आपके नाम के साथ सीपीआईएम के
नेता अजीत सरकार के बारे में कुछ सूचनाएं छनकर जरूर मिल गई।
खैर छोड़िए, ये तो
पुरानी बात हो गई। लेकिन ये तो आपके कंठ से ताजा शब्द वर्षा हुई है, राजनेताओं के
लिए। अब इस पर क्या कहेंगे ?
बिहार का विधानसभा
चुनाव सामने खड़ा है, आपने नई पार्टी का गठन किया है ? कैसे खुद को जनता के
सामने “जस्टिफाई” करेंगे कि आप
राजनीति कर रहे हैं, आपकी राजनीतिक पार्टी है, लेकिन आप “राजनेता” नहीं है। आपकी
पार्टी के प्रत्याशी जो विभिन्न सीटों से चुनाव लड़ेंगे वे कैसे अपने आप को “जस्टिफाई” करेंगे ?
सपना तो आप बिहार का
अगला मुख्यमंत्री बनने का देख रहे हैं लेकिन ये तो बताते जाईए जनाब कि जनता कैसे
आप पर विश्वास करेगी ? क्यों आप पर आपकी पार्टी के प्रत्याशियों पर भरोसा करेगी ? नई-नई पार्टी का
गठन किया है आपने, लगता है आवेश में आप कुछ ज्यादा ही बोल गए ! आज नहीं तो कल यही
आप कहेंगे भी।
deepaktiwari555@gmail.com
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