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रविवार, 7 दिसंबर 2014

मोदी, आदर्श गांव और योजना आयोग !

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सासंद आदर्श ग्राम योजना की शुरुआत एक सार्थक कदम लगा, लेकिन उस पर भी राजनीति भारी है। कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी को योजना में फंड की चिंता है तो भाजपा से बौखलाई पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी चाहती हैं कि इस योजना से टीएमसी सांसद दूर रहें। ममता नहीं चाहती कि उनकी पार्टी के सांसद इस योजना के तहत अपने संसदीय क्षेत्र में एक गांव को गोद लें और उसे आदर्श ग्राम बनाएं !
राजनीतिक कारक कितने भारी हैं, इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि जब योजना आयोग के पुनर्गठन को लेकर सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को प्रधानमंत्री मोदी ने अहम बैठक के लिए दिल्ली बुलाते हैं, तो  पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी और जम्म कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्ला बैठक में नहीं पहुंचते हैं। अब ममता और उमर बैठक में न आ पाने का कारण चाहे जो भी गिनाएं लेकिन ये जग जाहिर है कि दोनों की अनुपस्थिति के पीछे सिर्फ और सिर्फ राजनीतिक कारण है।  
ममता जी , उमर साहब, राजनीति अपनी जगह है, आप राजनीति करो, जाहिर है सत्ता के लिए ! माफ किजिए ! देश सेवा के लिए, जनता की सेवा के लिए ही तो आप राजनीति में आए हैं। लेकिन एक अच्छी पहल को सिर्फ राजनीतिक कारणों से नजरअंदाज करना या उसका विरोध करना कहां तक जायज है। जब राहुल और सोनिया के साथ ही मुलायम सिंह ने तक अपने संसदीय क्षेत्र में एक गांव को आदर्श ग्राम बनाने के लिए चुना तो अच्छा लगा। लेकिन इसके बाद राहुल का फंड के बाने इस पर सवाल उठाना समझ नहीं आया !
एक सांसद की जिम्मेदारी है कि वह अपने संसदीय क्षेत्र की जनता की दुख-तकलीफों की चिंता करे, गांव से लेकर शहरों के विकास के लिए काम करे, सांसद निधि को सही जगह खर्च करे लेकिन अकसर देखने को मिलता है कि पांच साल का कार्यकाल निकल जाता है और अधिकतर सांसद महोदय तो अपनी आधी भी सांसद निधि को खर्च नहीं कर पाते। खर्च कर पाना तो दूर चुनाव जीतने के बाद अपने पूरे संसदीय क्षेत्र में तक नहीं जाते !
इन्हें एक गांव को आदर्श गांव बनाने के लिए काम करना तक जायज नहीं है। कायदे से तो पूरे संसदीय क्षेत्र को आदर्श संसदीय क्षेत्र बनाने के लिए सांसदों को काम करना चाहिए, लेकिन हमारे अति व्यस्त सांसदों के पास जनता के लिए इतना समय कहां है !
आप गांवों को गोद नहीं लेते हैं, आप प्रधानमंत्री की बैठक में नहीं पहुंचते हैं, क्या ये सही है ? वो भी सिर्फ इसलिए कि आपको ऐसा लगता है कि इससे आपके राजनीतिक हित आहत हो रहे हैं !
आप अच्छी योजनाओं को आगे बढ़ाएंगे, राजनीति में अपने व्यक्तिगत हितों को त्याग कर, व्यक्तिगत राग-द्वेष को पीछे छोड़कर काम करेंगे तो आपका मान कम नहीं होगा, बल्कि आपका मान बढ़ेगा ! आपको जनता वे इसलिए चुना है ताकि आप जनता के प्रतिनिधि के रूप में ऐसे फैसले लें जिससे समाज और देश का विकास हो ! उम्मीद करते हैं कि जनसेवा में आपके व्यकिगत हित या राग द्वेष आड़े नहीं आएगा और आप समाज और देश के लिए काम करेंगे  वरना समय किसका रहा है। समय बदलते देर नहीं लगती, बस जनता को चुनाव तक का ही तो इंतजार करना है !

deepaktiwari555@gmail.com

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